इराक में युद्ध के शिकार लोगों के लिए संत पापा की प्रार्थना
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
मोसुल, रविवार, 7 मार्च 2021 (रेई)- रविवार सुबह को संत पापा फ्राँसिस मोसुल के होश अल बेया चौक पहुँचे जहाँ उन्होंने खंडहरों के बीच इराक के लोगों के साथ देश एवं समस्त मध्यपूर्व में युद्ध से मारे गये सभी मृतकों के लिए प्रार्थना की।
चार गिरजाघरों के खंडहरों के आसपास उपस्थित लोगों को सम्बोधित करने से पहले, मोसुल के महाधर्माध्यक्ष नाजीब मिखाएल ने संत पापा का अभिवादन किया। इसके बाद उन्होंने एक काथलिक पुरोहित और सुन्नी मुस्लिम की गवाही सुनी, जो उस आतंक के शिकार हुए थे, जिसने मोसुल शहर में उत्पात मचाया था।
तीन विचार
प्रार्थना के पूर्व संत पापा ने अपने तीन मुख्य विचारों को प्रस्तुत किया ˸
यदि ईश्वर जीवन के ईश्वर हैं – और वे वैसे ही हैं – तो यह हमारे लिए उचित नहीं है कि हम उनके नाम पर अपने भाइयों एवं बहनों की हत्या करें।
यदि ईश्वर शांति के ईश्वर हैं – और वे वैसे ही हैं – तो यह हमारे लिए उचित नहीं है कि हम उनके नाम पर युद्ध करें।
यदि ईश्वर प्रेम के ईश्वर हैं – और वे वैसे ही हैं – तो यह हमारे लिए उचित नहीं है कि हम अपने भाइयों और बहनों से घृणा करें।
तब संत पापा ने उपस्थित सभी लोगों का आह्वान किया कि वे उनके साथ युद्ध के शिकार लोगों एवं अपने लिए प्रार्थना करें। उन्होंने कहा, "हम सभी, चाहे किसी भी धार्मिक परम्परा के क्यों न हों, सौहार्द और शांति से रह सकें, इस बात को याद करते हुए कि ईश्वर की नजरों में हम सभी भाई और बहन हैं।"
संत पापा ने इस प्रकार प्रार्थना की
हे सर्वशक्तिमान ईश्वर, सभी युगों के प्रभु, आपने प्रेम से दुनिया की सृष्टि की और अपनी सृष्टि पर आशीष बरसाने से कभी नहीं थकते। दुःख और मौत के सागर के ऊपर से, हिंसा, अन्याय और अनुचित लाभ से बढ़कर, आप अपने पिता तुल्य स्नेह से अपने पुत्र और पुत्रियों का साथ देते हैं।
हम स्त्री और पुरूषों ने आपके वरदानों को अस्वीकार किया एवं दुनियावी चिंताओं में मग्न रहकर, आपके शांति एवं सौहार्द के परामर्श को भूला दिया। हमने सिर्फ अपनी एवं अपनी रूचियों पर ध्यान दिया। आप और दूसरे लोगों के प्रति उदासीन रहे, हमने शांति के द्वार को बंद किया। नबी योना ने निनिवे के बारे जो कहा था वह दोहराया गया, मनुष्यों की दुष्टता स्वर्ग तक पहुँची है (योना 1,2) हमने शुद्ध हाथों को स्वर्ग की ओर नहीं उठाया है। (1 तिम 2:8), बल्कि पृथ्वी से फिर एक बार निर्दोष लोगों के लोहू की आवाज उठी। (उत्प 4,10) नबी योना के ग्रंथ में निनिवे के निवासियों ने नबी की आवाज सुनी और पश्चाताप कर मुक्ति प्राप्त की। प्रभु, हम इस समय व्यक्ति के लिए घृणा के शिकार सभी लोगों को तुझे समर्पित करते हैं। हम भी क्षमा की याचना करते हैं और आपसे प्रायश्चित की कृपा मांगते हैं। प्रभु दया कर! प्रभु दया कर! प्रभु दया कर!
कुछ देर मौन रहने के बाद संत पापा ने फिर प्रार्थना की ˸
प्रभु हमारे ईश्वर, इस शहर में, हम आपके निकट होने की चिरस्थायी मानवीय चाह के दो चिन्हों को देखते हैं : अपने अल-हदबा मीनार के साथ अल-नूरी मस्जिद, और घंटे के माता मरियम का गिरजाघर जिसकी घड़ी ने एक शताब्दी से भी पहले से यहाँ आने- जानेवाले लोगों को याद दिलाया है कि जीवन अल्पकालीन है और समय मूल्यवान है। हमें यह महसूस करना सिखा कि आपने हमें अपने प्रेम, शांति और मेल-मिलाप की योजना सौंप दी है और पृथ्वी पर हमारे जीवन के इस अल्प समय में इसे आगे ले जाने की जिम्मेदारी दी है।
हमें विवेक प्रदान कर कि केवल इसे, शीघ्र अपने जीवन में अमल करने के द्वारा, इस शहर और इस देश का पुनःनिर्माण हो सकता है एवं दुःख से टूटा हृदय चंगा हो सकता है। हमें मदद दे कि हम स्वार्थी चीजों को बढ़ावा देने में अपना समय न बीतायें, न व्यक्तिगत रूप से और न ही दल में बल्कि आपके प्रेम योजना को पूरा करें। और जब कभी हम भटक जाएँ, हमें कृपा दे कि हम ईश्वर के सच्चे पुरूषों एवं महिलाओं की आवाज सुन सकें तथा उपयुक्त समय पर पश्चाताप कर सकें, ऐसा न हो कि हम फिर एक बार विनाश और मृत्यु के शिकार ने बनें।
आपको उन सभी लोगों को अर्पित करते जिनका जीवन पृथ्वी पर उनके भाई-बहनों के हिंसक हाथों द्वारा कम कर दिया गया। हम उन लोगों के लिए भी तुझसे प्रार्थना करते हैं जो अपने भाई-बहनों को हानि पहुँचाते हैं। वे पश्चाताप करें और आपकी करुणा की शक्ति से स्पर्श किये जाएँ। मरे हुए विश्वासियों की आत्माएँ परमेश्वर की दया से शांति में निवास करें, आमेन।
मोसुल का होश अल बेया
मोसुल के होश अल बेया (गिरजाघर का प्रांगण) में चार गिरजाघरों के खंडहर हैं। जिनका जिक्र संत पापा ने अपनी प्रार्थना में की। प्राचीन ख्रीस्तीय समुदाय के चार गिरजाघरों को तथाकथित इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने ध्वस्त कर दिया था। सिर्फ मोसुल में करीब 30 से अधिक गिरजाघर थे जिनको पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। उनमें से किसी का पुनःनिर्माण नहीं किया गया है।
मोसुल पर कब्जा
जून 2014 से जुलाई 2017 के बीच इस्लामिक स्टेट ने मोसुल पर कब्जा कर लिया था। करीब 5 लाख लोग जिनमें ख्रीस्तियों की संख्या 1 लाख 20 हजारी थी मोसुल से भाग गये, जबकि 2004 में मोसुल में लोगों की कुल संख्या 18,46,500 थी। शहर को सुनियोजित ढंग से ध्वस्त कर दिया गया, जिसमें कई गिरजाघर, अवं एड-डीन, नबी यनिस का मकबरा (नबी योना का मकबरा) तथा निनिवे स्थल की दीवार, साथ ही साथ दुर्लभ पांडुलिपियों एवं पुस्तकालय में संरक्षित एक लाख किताबें, पुरातात्विक संग्रह और नीनवे संग्रहालय की कई मूर्तियाँ शामिल थे।
जून 2017 में, इस्लामिक स्टेट, जिसने सरकारी बलों को घेर लिया था, और अकेले पुराने शहर के नियंत्रण के साथ, मूर एड-डीएन की मस्जिद को नष्ट कर दिया, जो कि खलीफा का प्रतीक था, हालांकि, कुछ दिनों बाद शहर के मध्ययुगीन क्षेत्र के एक हिस्से के साथ इराकी सेना ने इसपर कब्जा कर लिया था।
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