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लीमा की बच्ची रोमेरो दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है लीमा की बच्ची रोमेरो दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है 

दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए संत पापा ने की प्रार्थना

विश्व दुर्लभ रोग दिवस पर, संत पापा फ्राँसिस ने चिकित्सा शोधकर्ताओं और दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों को याद किया। कार्डिनल पीटर टर्कसन ने नीति निर्माताओं से स्वास्थ्य सेवा के अपने अधिकार की गारंटी देने का आग्रह किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 1 मार्च 2021 (वाटिकन न्यूज) : जैसा कि दुनिया ने रविवार 28 फरवरी को 16 वें विश्व दुर्लभ रोग दिवस के रूप में चिह्नित किया है, संत पापा फ्राँसिस ने एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित कई लोगों, विशेष रूप से बच्चों के लिए प्रार्थना करने हेतु सभी लोगों को अमंत्रित किया।

रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना का पाठ करने के बाद संत पापा ने चिकित्सा शोधकर्ताओं को दुर्लभ बीमारियों के उपचार और निदान हेतु उनके काम के लिए धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, "एक दुर्लभ बीमारी से निपटने के लिए एकजुटता का नेटवर्क पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।" "वे अकेलापन महसूस करने वाले लोगो की मदद करते हैं और अनुभव एवं सलाह साझा करने हेतु बढ़ावा देते हैं।"

संत पापा फ्राँसिस ने बीमार लोगों, विशेषकर बच्चों और उनके परिवारों के प्रति भी अपनी निकटता व्यक्त की। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे "उन बीमार बच्चों के निकट हों जो पीड़ित हैं, उनके लिए प्रार्थना करें और उन्हें ईश्वर के प्रेम और कोमलता को महसूस करने में मदद करें।"

संत पापा ने कहा "आइए, हम उन सभी लोगों के लिए प्रार्थना करें जिन्हें एक दुर्लभ बीमारी है। हम विशेष रूप से पीड़ित बच्चों के लिए प्रार्थना करें।"

कार्डिनल टर्कसन का संदेश

समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए बने विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन ने अलग से रविवार को एक संदेश जारी किया जिसमें समाज के सबसे कमजोर सदस्यों की सुरक्षा को रेखांकित किया।

कार्डिनल पीटर टर्कसन ने कहा कि 6,000 से अधिक बीमारी को "दुर्लभ" माना जाता है और अधिकांश (72%) वंशानुगत हैं जबकि 70% बचपन में शुरू होते हैं।

उन्होंने कहा कि दुर्लभ बीमारियों वाले लोग "समाज के सबसे कमजोर समूहों में से हैं।" वे उन विकृतियों से पीड़ित होते हैं जिनका अक्सर कोई इलाज नहीं होता है और आमतौर पर जीवन भर और अपक्षयी होती हैं।

देखभाल का अभाव

कार्डिनल ने अफसोस जताया कि इनमें से कई बीमारियों को अक्सर चिकित्सा विज्ञान द्वारा उपेक्षित किया जाता है और इसलिए उनका निदान और उपचार करना मुश्किल है। वे और उनके परिवार के पास उचित शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक देखभाल तक पहुंच की कमी है।

उन्होंने कहा,"यह सब हमारे प्यारे भाइयों और बहनों को समाज में एकीकृत करने, उनकी क्षमता का एहसास करने, परिवार, काम और सामाजिक जीवन में सक्रिय रूप से भाग लेने से रोकता है, जो उनके व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है, इस प्रकार भेदभाव और अकेलापन पैदा करता है।"

स्वास्थ्य के अधिकार की गारंटी

कार्डिनल टर्कसन ने कहा कि कोविद -19 महामारी ने इन कठिनाइयों और बढ़ा दिया है, जिससे उपचार और उचित देखभाल करना और भी कठिन हो गया है।

इसलिए, कार्डिनल ने नीति निर्माताओं और संस्थानों से सभी लोगों, खासकर दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए "स्वास्थ्य के अधिकार की गारंटी" देने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि यह "अंतरराष्ट्रीय सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और अधिक टिकाऊ और लचीला स्वास्थ्य प्रणालियों को बढ़ावा देने से किया जा सकता है जो सबसे कमजोरों की जरूरतों को नहीं भूलते हैं और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ते हैं।"

देखभाल की संस्कृति

कार्डिनल टर्कसन ने गौर दिया कि देखभाल की संस्कृति केवल "प्रत्येक मानव व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा देने, गरीबों और एकजुटता के साथ एकजुटता, आम अच्छाई और सृष्टि की सुरक्षा" के परिणामस्वरूप हो सकती है।

उन्होंने कहा कि अधिक मानवीय समाज का निर्माण दुर्लभ बीमारियों वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा के समावेशी उपयोग को सुनिश्चित करके किया जा सकता है।

दुर्लभ रोग पीड़ितों के लिए आशा

अंत में, कार्डिनल टर्कसन ने ख्रीस्तियों को चालीसा के इस समय को "आशा बनाये रखने और उन लोगों से प्यार करने के लिए प्रोत्साहित किया जो पीड़ित, परित्यक्त और व्यथित हैं।"

कार्डिनल ने कहा, "इन शब्दों के साथ मैं इस संक्षिप्त संदेश को समाप्त करता हूँ। मैं कुवांरी मरियम, दया की माता और रोगियों का स्वास्थ्य के चरणों में  उन सभी को सिपुर्द करता हूँ एक दुर्लभ बीमारी से प्रभावित हैं, उनके परिवार, जो उन्हें प्यार से देखभाल करते हैं और जो देखभाल करने और पूर्ण जीवन जीने के अधिकार की रक्षा और पहचान करने की पूरी कोशिश करते हैं।”

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01 March 2021, 13:33