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काराकोश के निष्कलंक माँ मरियम को समर्पित गिरजाघर में संत पापा फ्राँसिस काराकोश के निष्कलंक माँ मरियम को समर्पित गिरजाघर में संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा द्वारा ख्रीस्तीय समुदाय के र्निर्माण हेतु प्रोत्साहन

संत पापा फ्राँसिस ने काराकोश के निष्कलंक माँ मरियम को समर्पित गिरजाघर में ख्रीस्तियों के साथ मुलाकात की और देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। संत पापा ने ख्रीस्तियों को क्षमा और बंधुत्व के आधार पर अपने समुदायों के पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

काराकोश, रविवार, 7 मार्च 2021(वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने अपनी प्रेरितिक यात्रा के तीसरे दिन काराकोश के ख्रीस्तीय समुदाय के साथ मुलाकात की। उन्होंने उनसे मुलाकात करने का इतना सुन्दर अवसर देने के लिए ईश्वर के प्रति अपना आभार प्रकट किया। संत पापा ने प्रधिधर्माध्यक्ष इग्नास योक्किफ योमान को परिचय भाषण के किए धन्यवाद दिया। संत पापा ने श्रीमति दोहा साबाह अबदुल्लाह और फादर अमर याको के साक्ष्य के लिए उनहें धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ʺजैसा कि मैं आपको देखता हूँ, मैं क़ाराकोश के लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को देख सकता हूँ और यह कुछ ऐसी सुंदरता को दर्शाता है जो इस पूरे क्षेत्र को भविष्य तक ले जाती है। यहां आपकी उपस्थिति एक अनुस्मारक है कि सुंदरता एकरंग में नहीं, लेकिन विविधता और अंतर में झलकती है।ʺ

गिरजाघर में श्रीमति दोहा से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस
गिरजाघर में श्रीमति दोहा से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस

मृत्यु पर जीवन की विजय

साथ ही संत पापा ने इस जमीन पर हुए विध्वंस, क्रूर हत्या, युद्ध और घृणा के लिए दुख व्यक्त किया। संत पापा ने कहा कि हमारा यहाँ एकत्रित होना यह दिखलाता है कि आतंकवाद और मृत्यु कभी अंतिम शब्द नहीं है। अंतिम शब्द ईश्वर और उसके पुत्र का है, जो पाप और मृत्यु के विजेता हैं। यहां तक कि आतंकवाद और युद्ध के कहर के बीच, हम विश्वास की आंखों से, मृत्यु पर जीवन की विजय के साथ देख सकते हैं। आपके माता-पिताओं का विश्वास इसका उदाहरण है, जिन्होंने इस स्थान पर ईश्वर की आराधना और स्तुति की। वे अटूट आशा के साथ अपनी सांसारिक यात्रा की, ईश्वर पर भरोसा रखा, वे कभी निराश नहीं हुए। जिस महान आध्यात्मिक विरासत को उन्होंने अपने पीछे छोड़ दिया, आपने उसे जीना जारी रखा है। इस विरासत को स्वीकार कीजिए! यह आपकी ताकत है! अब ईश्वर की कृपा पर भरोसा करने और नए सिरे से निर्माण करने और नए सिरे से जीवन शुरू करने का समय है। संत पापा ने कहा कि वे अकेले नही हैं। प्रार्थना और ठोस मदद के साथ पूरी कलीसिया उनके करीब है और इस क्षेत्र के बहुत सारे लोगों ने जरूरत के समय उनके लिए दरवाजे खोल दिया था।

युवा व बुजुर्गों का दायित्व पुनर्निर्माण

संत पापा ने कहा कि यह समय न केवल इमारतों को बनाने करने का है, बल्कि युवा और बुजुर्ग एक साथ मिलकर समुदायों और परिवारों को एकजुट करने का समय है। जैसा कि नबी योएल के ग्रंथ में हम पाते हैं, "आपके पुत्र और पुत्रियाँ भविष्यवाणी करेंगे, आपके बड़े-बूढ़े लोग स्वप्न देखेंगे, और आपके नवयुवकों को दिव्य दर्शन होंगे।" (योएल 3:1) संत पापा ने प्रश्न किया कि जब बूढ़े और जवान साथ आते हैं, तो क्या होता है? बूढ़े सपने देखते हैं, वे युवा के लिए भविष्य का सपना देखते हैं और युवा उन सपनों और भविष्यवाणी को वास्तविक बना सकते हैं। जब बूढ़े और जवान एक साथ आते हैं, तो ईश्वर प्रदत्त उपहारों को संरक्षित कर हस्तांतरित करते हैं। हमारे बच्चे न केवल इस भूमि, संस्कृति और परंपरा का हिस्सा हैं, बल्कि विश्वास के जीवित फल भी हैं जो इस भूमि पर ईश्वर के आशीर्वाद हैं। संत पापा ने उन्हें अपनी पहचान को बनाये रखने और अपनी जड़ों को संरक्षित करने के किए प्रोत्साहित किया।

संत पापा ने युद्ध के काले दिनों को याद करते हुए कहा कि निश्चित रूप से, युद्ध के दिनों में उन्हें एसा लगा होगा कि ईश्वर उनसे दूर हो गये हैं ऐसे क्षण विश्वास डगमगा सकता है। वैश्विक स्वास्थ्य संकट और महान असुरक्षा के इन दिनों में भी विश्वास डगमगाना सामान्य है। ऐसे समय में याद रखें कि येसु मसीह उनके पास हैं। सपने देखना बंद मत करें! हिम्मत न हारें! उम्मीद करना कभी न छोड़ें!  संत पापा ने स्वर्ग से संतगणों से प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया जो उपर से हमेशा अपनी नजरें उनपर लगाये रहते हैं। संत पापा ने कहा, ʺअगले दरवाजे पर संत भी होते हैं, जो हमारे बीच में रहते हैं और ईश्वर की उपस्थिति को दर्शाते हैं।" (गौदेते एत एसुलताते, 7) इस भूमि में उनमें से कई हैं, क्योंकि यह कई पुरुषों और महिलाओं की पवित्र भूमि है। एक बेहतर भविष्य बनाने में वे आपका साथ दें।

क्षमा, कृतज्ञता का महत्व

संत पापा ने कहा कि श्रीमति दोहा की एक बात उन्हें गहराई से छू गई। उसने कहा कि आतंकवादी हमलों में बचे लोगों को क्षमा देने की जरूरत है। क्षमा- यह एक महत्वपूर्ण शब्द है। प्यार करने और ख्रीस्तीय बने रहने के लिए क्षमा आवश्यक है। पूरी तरह से जीवन सामान्य पटरी पर आने के लिए वर्षों लग जाएंगे। पर वे कभी निराश न होवें। हिम्मत न हारें और सभी को माफ कर दें। संत पापा ने स्वीकार किया कि यह बहुत मुश्किल है। ईश्वर इस भूमि पर शांति ला सकते हैं। हम उन पर भरोसा करते हैं। इस भूमि में अब और कभी भी आतंकवाद और धर्म का हेरफेर न हो।

संत पापा ने कहा कि फादर अमर ने आतंकवादी हमलों और युद्ध के दौरान हुई सभी घटनाओं को याद करते हुए, ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त किया, जिसने अच्छे और बुरे समय में, स्वास्थ्य और बीमारी में भी जीवन को जीने की खुशी दी है। कृतज्ञता तब जन्म लेती और बढ़ती है जब हम ईश्वर के उपहारों और वादों को याद करते हैं। अतीत की स्मृति वर्तमान को आकार देती है और हमें भविष्य की ओर ले जाती है।

प्रार्थना के लिए अपील

संत पापा ने उन्हें ईश्वर द्वारा दिये सभी कृपादानों के लिए धन्यवाद देते हुए इस भूमि और सभी लोगों को शांति, क्षमा और बंधुत्व प्रदान करने हेतु प्रार्थना करने के लिए कहा, ʺआइए, हम हृदय परिवर्तन के लिए और जीवन की संस्कृति की विजय के लिए, सभी पुरुषों और महिलाओं के बीच सामंजस्य और भ्रातृ प्रेम के लिए, विविध धार्मिक परंपराओं और मतभेदों के सम्मान के लिए, और भली इच्छा वाले सभी लोगों के साथ एकता और सहयोग के भविष्य के निर्माण के प्रयास हेतु प्रार्थना करें। एक भ्रातृ प्रेम, जो "हमारी सामान्य मानवता के मूलभूत मूल्यों को मान्यता देता है, जिसके नाम पर हम निर्माण और संवाद, क्षमा और विकास को आगे बढ़ाते है।" (फ्रातेल्ली तुत्ती, 283)

संत पापा फ्राँसिस ने विमान से आते समय निष्कलंक गर्भाधान मरियम गिरजाघऱ के उपर माता मरिया की प्रतिमा को देखा और उन्होंने पूरे शहर के पुनःनिर्माण कार्य को माता मरियम के चरणों में सुपुर्द किया। संत पापा ने कहा कि माता मरियम न केवन उपर से हमारी रक्षा करती है बल्कि वह नीचे उतरकर माँ का प्यार देती है। यहाँ उसकी छवि का अनादर किया गया था परंतु ईश्वर की माता हमें प्रेम के साथ हमें देखती है। संत पापा ने इस देश की सभी माताओं और महिलाओं के प्रति अपना आभार व्यक्त किया जो साहस के साथ संघर्षों और पीड़ाओं के बावजूद, जीवन देना जारी रखती हैं। महिलाओं का सम्मान और उनकी रक्षा हो! संत पापा ने सभी से माताओं आवश्यकताओं और भविष्य की योजनाओं के लिए के लिए माता मरियम की मध्यस्ता से प्रार्थना करने को कहा।

इसके बाद संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभी विश्वासियों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

बुक ऑफ ऑनर में हस्ताक्षर करते हुए संत पापा
बुक ऑफ ऑनर में हस्ताक्षर करते हुए संत पापा

अंत में संत पापा फ्राँसिस ने बुक ऑफ ऑनर में हस्ताक्षर किया। संत पापा ने लिखा, ʺइस नष्ट हो चुके और पुनर्निर्मित किए गए गिरजाघर, आशा के प्रतीक से, काराकोश और इराक के सभी लोगों के लिए, मैं कुवांरी मरियम की मध्यस्ता से शांति के उपहार हेतु ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ।ʺ

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07 March 2021, 13:49