संत पापा और पोंटिफ़िकल मेक्सिकन कोलेज के कार्यकर्ता और पुरोहित संत पापा और पोंटिफ़िकल मेक्सिकन कोलेज के कार्यकर्ता और पुरोहित  

पुरोहित याजकवाद का नहीं बल्कि करुणा का व्यक्ति है,संत पापा

पोंटिफ़िकल मेक्सिकन कॉलेज के पुरोहितों के साथ मुलाकात में संत पापा फ्राँसिस कलीसिया के पुरोहितों की बुलाहट की परख करते हैं। आध्यात्मिक सांसारिकता के प्रलोभन के खिलाफ यह आवश्यक है, कि वे अपने आप को ईश्वर की दयालुता के अनुरुप खुद को प्रतिरूपित करने के लिए उनके हाथों में छोड़ दें। प्रभु उनके हृदय को बड़ा और उदार बनाते है जिससे कि वे बहिष्कृत लोगों को आलिंगन कर सकें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 29 मार्च 2021 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में रोम स्थित पोंटिफ़िकल मेक्सिकन कोलेज के कार्यकर्ताओं और पुरोहितों से मुलाकात की। संत पापा ने 2016 में की गई अपनी मेक्सिको प्रेरितिक यात्रा के दौरान वहाँ के लोगों से हुई मुलाकात की याद की और प्रतिवर्ष यह स्मृति वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में गुआदालूपे की माता मरियम के महोत्सव के अवसर पर एक निश्चित रुप से नवीनीकृत हो जाती है।

संत पापा ने पोंटिफ़िकल मेक्सिकन कोलेज के फादर विक्टर उल्लीस वेसक्वेज़ मोरेनो को परिचय भाषण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने मेक्सिको में सुसमाचार प्रचार की समस्याओं और पूरे अमेरिकी महाद्वीप के लिए कुछ मुख्य चुनौतियों पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से महामारी के कारण रोम में चल रहे प्रशिक्षण में सामना कर रहे कठिनाइयों को साझा किया।

संत पापा ने कहा की आज की समस्याएँ हम पुरोहितों से माँग करती हैं कि हम प्रभु को अपने प्रेम भरी नजरों से देखें, वे हमारी नजरों को कोमलता, सामंजस्य और भाईचारे की नजरों में बदल देते हैं।

कोमलता

संत पापा ने कहा, मैं तीन विशेषताओं को उजागर करना चाहूंगा। इन सबसे ऊपर, हमें कोमलता की ज़रूरत है, इसी कोमलता के साथ पिता परमेश्वर समाज को पीड़ित करने वाली समस्याओं को देखते हैं: हिंसा, सामाजिक और आर्थिक असमानता, ध्रुवीकरण, भ्रष्टाचार और आशा की कमी, विशेष रूप से सबसे कम उम्र के लोगों के बीच। कुवांरी माता मरियम हमारी आदर्श हैं, जो एक माँ की कोमलता के साथ ईश्वर के धीरज भरे प्रेम को दर्शाती है जो बिना किसी भेद के सभी का स्वागत करती है। संत पापा ने कहा कि पुरोहित एक भले चरवाहे के समान अपने भेड़ों के लिए प्रेम और करुणा का भाव पैदा करता है, दोनों तरह की भेड़ों के लिए जो उन्हें सौंपी गई हैं और जो खो गई हैं। जब हम ईश्वर की इच्छा के अनुरुप खुद को प्रतिरूपित करने के लिए उनके हाथों छोड़ देते हैं तो हमारे प्रेरितिक कार्यों में, हमारी प्रार्थनाओं में सभी को सम्मिलित कर पाते हैं। हम अपने को अपने ऑफिस या घर तक या अकेले में रहने हेतु सीमित नहीं रख सकते। प्रभु हमें लोगों से मिलने के लिए बाहर जाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

सामंजस्य

संत पापा ने दूसरी विशेषता को इंगित करते हुए कहा, ʺहमें सामंजस्य स्थापित करने की भी आवश्यकता है। जिन सामाजिक कठिनाइयों से हम गुज़र रहे हैं, उनमें भारी असमानता और भ्रष्टाचार हमसे एक एसी नज़र की मांग करते हैं, जो हमें उन विभिन्न धागों को बुनने में सक्षम बनाता है, जो राष्ट्रों के सामाजिक और धार्मिक ताने-बाने को बनाने वाली संस्कृतियों के बहुरंगी तिल्मों से काट दिए गए हैं, अपनी जातीय जड़ों या अपनी विशेष लोकप्रिय धार्मिकता के कारण त्याग दिए गए हैं। पुरोहितों का दायित्व है कि वे समाज के भीतर, मानव समूहों और संस्कृतियों के बीच सम्मानजनक सामंजस्य और रचनात्मक संबंधों के पुनर्निर्माण में मदद करें। पुरोहित ईश्वर से लोगों के मेल करायें  (सीएफ 2 कुरिं 5,20) "और न्याय की पुनर्स्थापना में खुद को प्रतिबद्ध करें।

भाईचारा

अंत में, हमारा वर्तमान समय हमें भाईचारे की भावना रखने के लिए प्रेरित करता है। हमारे सामने जो चुनौतियाँ हैं, वे सामाजिक ताने-बाने और वैश्विक यथार्थ को सामाजिक नेटवर्क और मीडिया द्वारा आपस में जोड़ देती हैं जो हमें प्रभु के साथ मिलकर विश्व बंधुत्व को बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो हमें संस्कृतियों के बीच बातचीत के माध्यम से विलक्षणताओं को उजागर करने में मदद करता है। भली इच्छा वाले पुरुषों और महिलाओं के साथ मिलकर, हमारे आम घर और एक नई दुनिया के निर्माण में विश्वासियों को प्रोत्साहित और मार्गदर्शन कर सकें। इसके लिए, हमें विश्वास की रोशनी और ईश्वर के रहस्य को समझने के लिए ज्ञान की आवश्यकता है। तभी हम समय के संकेतों को पढ़ सकेंगे। इसके लिए, चल रहे प्रशिक्षण में शैक्षणिक, आध्यात्मिक, मानवीय और प्रेरितिक आयामों का सामंजस्य स्थापित करना आवश्यक है और साथ ही, हमें अपनी व्यक्तिगत और सामुदायिक कमियों के साथ-साथ उस लापरवाही और दोषों से भी अवगत होना होगा तथा अपने जीवन को सुधारना होगा। हम सांसारिक प्रलोभनों को कम नहीं आंकें, जो अपर्याप्त व्यक्तिगत ज्ञान, आत्म-संदर्भित दृष्टिकोण, उपभोक्तावाद और हमारी जिम्मेदारियों से भागने आदि कई रूपों को जन्म दे सकते हैं।

माता मरिया, संत जोसेफ हमारे आदर्श

संत पापा ने कहा कि वे मसीह पर हमारी निगाहें टिकाये रखे। और अपने विशेष संस्कृति औक स्थानीय कलीसिया द्वारा जो विश्वास उनहें मिला है उसमें दिन प्रति दिन मजबूत बनें। उनके प्रार्थनालय में रखी गुवादालूपे की माता मरियम उनके विश्वास  और पुरोहिताई जीवन को जीने में मदद करे।  विश्वासपूर्वक ‘ला मोरेनिता’, प्रभु की माँ और हमारी माँ की ओर मुड़ें और उससे जो कुछ भी आपकी आवश्यकता हो, उसे पूछें।

अंत में संत पापा ने कहा कि संत जोसेफ विनम्र और मौन सेवा के साथ मुक्ति के रहस्य में भाग लेने वाले एक मॉडल है और जिसका साल हम मना रहे हैं, हम सभी को और मेक्सिको के सभी पुरोहितों के आशीर्वाद दें।

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29 March 2021, 15:55