ऱाष्ट्रपति भवन में प्रतिष्ठित अधिकारियों को संबोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ऱाष्ट्रपति भवन में प्रतिष्ठित अधिकारियों को संबोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस 

इराकी सरकार, राजनयिकों, प्रतिष्ठित अधिकारियों को पोप का संबोधन

संत पापा फ्राँसिस ने इराक की प्रेरितिक यात्रा शुरु की। उन्होंने बगदाद के राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति बरहाम सालीह, सरकार और राजनयिक कोर के सदस्यों, प्रतिष्ठित अधिकारियों और नागर समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर अपना संदेश दिया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

बगदाद, शनिवार 5 मार्च 2021 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने बगदाद के राष्ट्रपति निवास में माननीय राष्ट्रपति, सरकार और राजनयिक कोर के सदस्यों, प्रतिष्ठित अधिकारियों और नागर समाज के प्रतिनिधियों का अभिवादन किया। संत पापा ने राष्ट्रपति सालीह के निंमत्रण के लिए धन्यवाद दिया जिससे कि वे लंबे समय से प्रतीक्षित इराक गणराज्य में आने की वर्षों की इच्छा को साकार कर पाये। संत पापा ने राष्ट्रपति के स्वागत भाषण के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने कहा कि यह पवित्र भूमि मुक्ति के इतिहास का पालना है हमारे आध्यत्मिक पिता अब्राहम और कई नबियों से जुड़ा हुआ है और यहूदी धर्म, ख्रीस्तीय धर्म और इस्लाम की महान धार्मिक परंपराएँ विकसित हुई हैं।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मबहनों और काथलिक कलीसिया के सभी विश्वासियों का अभिवादन किया और कहा कि वे इराकी समाज के बीच उनके विश्वास, आशा और प्रेम के गवाह में उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एक तीर्थयात्री के रूप में आये हैं।  संत पापा ने अन्य ख्रीस्तीय कलीसियाओं चर्चों के सदस्यों, इस्लाम के अनुयायियों और अन्य धार्मिक परंपराओं के प्रतिनिधियों का भी अभिवादन किया और कहा, ईश्वर हमें कृपा दे कि हम भाइयों और बहनों के समान हमारे विश्वास की यात्रा में आगे बढ़ें। धर्मों की प्रामाणिक शिक्षाएँ हमें आपसी समझ, मानव बंधुत्व और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व...और शांति के मूल्यों में निहित रहने के लिए आमंत्रित करते हैं।" (मानव बंधुत्व पर दस्तावेज़, अबू धाबी, 4 फरवरी 2019)

महामारी के समय उनकी यात्रा

संत पापा ने कहा कि उसकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब पूरी दुनिया कोविद -19 महामारी के संकट से उभरने की कोशिश कर रही है, जिसने न केवल अनगिनत व्यक्तियों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के बिगड़ने में भी योगदान दिया है। यह संकट सभी के लिए आवश्यक कदम उठाने और सभी के लिए टीकों के समान वितरण सहित आवश्यक प्रयासों की मांग करता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है: यह संकट "हमारी जीवन शैली और हमारे अस्तित्व के अर्थ पर पुनर्विचार" करने का आह्वान देता है। (फ्रातेल्ली तुत्ती, 33)

 धार्मिक, सांस्कृतिक, जातीय विविधता एक अनमोल संसाधन

संत पापा ने इराक के संकटों को इंगित करते हुए कहा कि पिछले कई दशकों में, इराक ने युद्धों के विनाशकारी प्रभावों को झेला है। आतंकवाद और सांप्रदायिक संघर्षों का कहर अक्सर विभिन्न जातीय और धार्मिक समूहों, विभिन्न विचारों और संस्कृतियों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को स्वीकार करने में असमर्थ कट्टरपंथ में बदल गया। इसने मृत्यु, विनाश और भारी बर्बादी को लाया। इससे न केवल भौतिक रूप से क्षति हुई है परंतु इतने सारे व्यक्तियों और समुदायों के घावों को ठीक होने में सालों-साल लग जाएँगे। संत पापा ने यज़ीदी समुदाय को याद किया, जो निर्दोष और क्रूर अत्याचार के शिकार हुए हैं, अपने धर्म के लिए सताए गए और मारे गए और जिनकी बहुत पहचान और अस्तित्व खतरे में है। संत पापा ने कहा, ʺअगर हम अपने मतभेदों से परे देखना सीखते हैं और एक दूसरे को एक ही मानव परिवार के सदस्यों के रूप में देखते हैं, तो हम पुनर्निर्माण की एक प्रभावी प्रक्रिया शुरू करने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए बेहतर, अधिक न्यायपूर्ण और अधिक मानवीय दुनिया में छोड़ने में सक्षम होंगे। इस संबंध में, सहस्राब्दियों से इराकी समाज की पहचान रही धार्मिक, सांस्कृतिक और जातीय विविधता एक अनमोल संसाधन है। इराक को आज हर किसी को यह दिखाना है, विशेष रूप से मध्य पूर्व में, कि विविधता संघर्ष को जन्म देने के बजाय, समाज के जीवन में सामंजस्यपूर्ण सहयोग की ओर ले जाती है।ʺ

धार्मिक समुदायों को सुरक्षा, स्वतंत्रता व सम्मान मिले

संत पापा ने कहा कि सह-अस्तित्व भाईचारा धैर्यशील और सच्चे संवाद की मांग करता है जिसका  न्याय द्वारा संरक्षण और कानून द्वारा सम्मान किया जाए। यह कार्य आसान नहीं है, यह कड़ी मेहनत और एक प्रतिबद्धता की मांग करता है ताकि सभी प्रतिद्वंद्विता और विरोधों को निर्धारित किया जा सके और सृष्टिकर्ता ईश्वर के बच्चों के रूप में हमारी पहचान के साथ एक दूसरे से बात की जा सके। (नोस्त्रा एताते 5) इस सिद्धांत के आधार पर, परमधर्मपीठ इराक में और दूसरे देशों में, सभी धार्मिक समुदायों को मान्यता, सम्मान, अधिकार और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सक्षम अधिकारियों से अथक अपील करती है। संत पापा ने राष्ट्र के हित के लिए इन प्रयासों को जारी रखने का आह्वान करते हुए इसमें संलग्न पुरुषों और महिलाओं की सराहना की।

संत पापा ने आतंकवाद और सांप्रदायिक संघर्षों में मारे गये लोगों के परिवार के सदस्यों को याद किया तथा उन्हें भी जिन्होंने दंगों में अपना घर, जीविका के साधन और सम्पत्ति सबकुध खो दिया। अब वे बेरोजगारी और गरीबी में जीवन बिता रहे हैं। “हम भी दूसरों की नाजुकता के लिए जिम्मेदार हैं," (फ्रातेल्ली तुत्ती, 115) अतः हमें आर्थिक रूप से ही नहीं, बल्कि शिक्षा के मामले में भी प्रगति के ठोस अवसर पैदा करने और हमारे आम घर की देखभाल के लिए हरसंभव प्रयास करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। संत पापा ने कहा कि एक संकट के बाद, हमें अच्छी तरह से पुनर्निर्माण करने की आवश्यकता है, ताकि सभी एक गरिमापूर्ण जीवन का आनंद ले सकें। हम कभी भी एक संकट से उसी परिस्थित में उबरते नहीं हैं,  हम इससे बेहतर या बदतर रूप से उभरते हैं।

संत पापा शांति के तीर्थयात्री

संत पापा ने कहा कि वे एक पश्चातापी के रूप में ईश्वर अपने भाइयों और बहनों से इतने विनाश और क्रूरता के लिए क्षमा माँगने आये हैं। वे मसीह, शांति के राजकुमार के नाम पर शांति के तीर्थ यात्री के रूप में आये हैं। इराक में शांति के लिए उन्होंने इन वर्षों में प्रार्थना की है। संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने इसके लिए कोई पहल नहीं छोड़ा और सबसे ऊपर उन्होंने इस आशय के लिए अपनी प्रार्थना और शारीरिक कष्टों को चढ़ाया। संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमेशा हमारे निवेदनों को सुनते हैं। यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसकी बातों को सुनें और उसकी राहों पर चलें। हो सकता है हथियारों का टकराव शांत हो जाए! यहाँ और हर जगह उनके प्रसार पर अंकुश लगाया जाए! शांतिदूतों की आवाज़ सुनी जाए! विनम्र, गरीब, सामान्य पुरुषों और महिलाओं की आवाज सुनी जाए जो शांति से रहना, काम करना और प्रार्थना करना चाहते हैं। हिंसा और अतिवाद, गुटों और असहिष्णुता के कृत्यों का अंत हो!

सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी

संत पापा ने कहा, ʺइराक ने इन वर्षों में लोकतांत्रिक समाज की नींव रखी है। इसके लिए सभी राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करना और सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की गारंटी देना आवश्यक है। किसी को भी दूसरे दर्जे का नागरिक नहीं माना जा सकता। मैं इस यात्रा पर अब तक किए गए कदमों को प्रोत्साहित करता हूँ और मुझे विश्वास है कि वे शांति और समरसता को मजबूत करेंगे।ʺ

अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का महत्वपूर्ण योगदान

संत पापा ने अतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, इस भूमि में और पूरे मध्य पूर्व में शांति को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भी भूमिका है। जैसा कि हमने पड़ोसी सीरिया में लंबे संघर्ष के दौरान देखा है - जो कि दस साल पहले शुरू हुआ था! - हमारी दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियाँ आज पूरे मानव परिवार को जोड़ती हैं। वे वैश्विक स्तर पर सहयोग की मांग करते हैं, ताकि अन्य चीजों, आर्थिक विषमताओं और क्षेत्रीय तनावों को दूर किया जा सके। संत पापा ने इराक में काम कर रहे देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को आंतरिक रूप से विस्थापित और घर लौटने का प्रयास करने वाले शरणार्थियों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने कई एजेंसियों का उल्लेख किया, जिनमें कई काथलिक एजेंसियां भी शामिल हैं, जो कई वर्षों से इस देश के लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बहुत सारे भाइयों और बहनों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना उदारता और न्याय का कार्य है और यह एक स्थायी शांति में योगदान देता है।

धर्म शांति और बंधुत्व की सेवा के लिए

संत पापा ने कहा कि धर्म, अपने स्वभाव से, शांति और बंधुत्व की सेवा के लिए होनी चाहिए। ईश्वर के नाम का उपयोग "हत्या, निर्वासन, आतंकवाद और उत्पीड़न के कार्यों को सही ठहराने के लिए नहीं किया जा सकता है।" (मानव बंधुत्व पर दस्तावेज़, अबू धाबी, 4 फरवरी 2019)। इसके विपरीत, ईश्वर, जिसने मनुष्य को सम्मान और अधिकारों में समान बनाया है, हमें प्यार, अच्छी इच्छा और सहमति के मूल्यों का प्रसार करने के लिए कहते हैं। इराक में भी, काथलिक कलीसिया सभी के लिए एक मित्र बनने की इच्छा रखती है और पारस्परिक बातचीत के माध्यम से, शांति बनाने में अन्य धर्मों के साथ रचनात्मक सहयोग करता है। इस भूमि में ख्रीस्तियों की सदियों पुरानी उपस्थिति और राष्ट्र के जीवन में उनके योगदान है वे एक समृद्ध विरासत का निर्माण करते हैं और सभी की सेवा जारी रखना चाहते हैं। सार्वजनिक जीवन में उनकी भागीदारी, पूरे अधिकार, स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों के साथ नागरिक, इस बात की गवाही देंगे कि धार्मिक विश्वास, जातीयता और संस्कृतियों का एक स्वस्थ बहुलवाद राष्ट्र की समृद्धि और सद्भाव में योगदान कर सकता है।

अंत में संत पापा ने पुनः वहाँ उपस्थित गणमान्य लोगों को अपना हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए भ्रातृत्व, एकजुटता और समरसता के समाज के निर्माण में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित किया। उनकी सेवा आम लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें शुभकामनायें देते हुए संत पापा ने उनपर, उनके परिवारों पर और पूरे देश में ईश्वरीय आशीष की कामना की।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

05 March 2021, 14:44