संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में 

संत पापाः मरियम मृत्युशय्या में हमारे संग

संत पापा फ्रांसिस ने माता मरियम के संग प्रार्थना करने और उनकी मतृत्व पर धर्मशिक्षा दी।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन प्रेरितिक निवास की पुस्तकालय से सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

आज की धर्मशिक्षा माता मरियम के संग प्रार्थनामय एकता में समर्पित है। यह स्वर्गदूत का मरियम को येसु के जन्म के संदेश पर्व की पूर्व संध्या हो रहा है। हम जानते हैं कि ख्रीस्तियों की प्रार्थना का मुख्य आधार येसु की मानवता है। वास्तव में, ख्रीस्तीय प्रार्थना अपने में अर्थहीन होती यदि शब्द ने शरीरधारण नहीं किया होता जो पवित्र आत्मा के द्वारा पिता से संग हमें पुत्रवत संबंध में संयुक्त करता है। धर्मग्रंथ में हमने शिष्यों, धर्मी नारियों और माता मरियम को येसु के स्वर्गारोहण के उपरांत एक साथ जमा होकर प्रार्थना करते सुना। प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय जो येसु द्वारा प्रतिज्ञा किये गये उपहार की प्रतिक्षा कर रहे थे।

येसु हमारे मध्यस्थ

येसु हमारे लिए मध्यस्थ हैं, एक सेतु जिन से होकर हम पिता के पास पहुंचते हैं। (सीसीसी 2674)। वे एकमात्र उद्धारक हैं: मसीह के अलावे हमारे लिए कोई सह-उद्धारक नहीं है। हर प्रार्थना जिसे हम ईश्वर के पास येसु के द्वारा, उनके साथ और उनमें करते हैं हमारे लिए पूरी की जाती है। पवित्र आत्मा हमारे लिए येसु ख्रीस्त में हर समय और हर जगह उनकी मध्यस्थता को विस्तृत करते हैं, येसु ख्रीस्त को छोड़ और कोई नाम नहीं जिन में हमारी मुक्ति है।(प्रेरि.4.12) ईश्वर और मनुष्य के बीच येसु ख्रीस्त ही एकमात्र मध्यस्थ हैं।

येसु ख्रीस्त की मध्यस्थता में जो हमारी प्रार्थना और भक्ति को अर्थपूर्ण और मूल्यवान बनाता उसमें सबसे पहले येसु की माता मरियम आती हैं।  

मरियम प्रथम शिष्या

माता मरियम ख्रीस्तियों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है उनके प्रार्थनमय जीवन में भी क्योंकि क्योंकि वे येसु ख्रीस्त की माता हैं। पूर्वी कलीसियाओं ने बहुत बार उन्हें “मार्ग दर्शिका” के रुप में निरूपित किया है जो हमें अपने बेटे येसु ख्रीस्त के पास ले चलती हैं। संत पापा फ्रांसिस ने बारी के गिरजाघर में ओडिजिट्रिया की उस खूबसूरत प्राचीन पेंटिंग की याद दिलाई जहाँ मरियम येसु की ओर हमारी विचवाई को व्यक्त करती हैं। हम ख्रीस्तीय मूर्ति विज्ञान में उनकी उपस्थिति को ख्रीस्तियों के जीवन में हर जगह पाते हैं, कुछ परिस्थितियों में विशेष रुप से जो सदैव येसु ख्रीस्त से जुड़ा हुआ है। उनके हाथ, उनकी आंखें और उनका व्यवहार अपने में एक जीवंत शिक्षा की भांति है जो हमारा ध्यान येसु की ओर क्रेन्दित करता है। वह पूरी तरह येसु की ओर समर्पित है (सीसीसी 2674)। संत पापा ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि वे माता की अपेक्षा एक शिष्या हैं। हम इसे काना के विवाह भोज में देखते हैं,“वे जैसा कहें तुम वैसा ही करो”। वह पहली शिष्या हैं जो सदा येसु ओर इंगित कराती हैं।

ईश्वर की दीन दासी, यही वह भूमिका है जिसे मरियम ने जीवन भर निभाया है, इस कार्य में वह निष्ठावान बनी रहीं। सुसमाचार की कुछ परिस्थिति में हम उन्हें लुप्त पाते हैं लेकिन वह विकट परिस्थिति में पुनः प्रकट होती हैं, जैसे कि काना के विवाह भोज में, जहाँ उनके पुत्र ने पहला चमत्कार किया, हम उनकी प्रेममयी सहानुभूति के लिए उनके प्रति कृतज्ञ हैं। हम उन्हें गोलगोथा क्रूस के नीचे भी पाते हैं।

मरियम हमारी माता

अपनी मृत्यु के पहले येसु अपनी माता मरियम को अपने प्रिय शिष्य के हवाले करते हुए उनकी मातृत्व को सारी कलीसिया के लिए विस्तृत करते हैं। तब से लेकर अब तक हम सभी अपने को उनकी चरणों के नीचे पाते हैं जैसा कि कुछ मध्ययुगीन भित्तिचित्रों या चित्रकला में रेखांकित किया गया है। संत पापा ने कहा कि लातीनी भजन अनुवाक्य में भी हम इसे पाते हैं कि येसु ने उन्हें हमारे लिए माता की तरह दिया है, देवी या सह-उद्धाकर्ता के रुप में नहीं।  

अतः हम विभिन्न रुपों में उन्हें पुकारते हुए उनके पास विन्ती करते हैं जो सुसमाचार में घोषित किया गया है, “कृपा से पूर्ण, धन्य सभी नारियों में” (सीसीसी. 2676)। एफेसिस के महाधर्मसभा ने उन्हें “ईश्वर की माता”, “थियोटोक्स” की संज्ञा दी और उसके तुरंत बाद प्रणाम मरियम संयुक्त किया गया। जैसे हम हे पिता हमारे की प्रार्थना में प्रशंसा के बाद अपने निवेदनों को जोड़ते हैं उसी भांति हम मरियम से निवेदन करते हैं कि वे हम पापियों के लिए करूण में प्रार्थना करें, “अब और हमारे मरने के समय”। हमारे जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में और जीवन के अंतिम घड़ी में, जिससे हम अनंत जीवन में प्रवेश हेतु मदद प्राप्त कर सकें।

मृत्यु के क्षण मरियम हमारे निकट

मरियम अपने बच्चों की मृत्युशय्या में सदैव उपस्थित रहती हैं जब वे इस दुनिया से विदा हो रहे होते हैं। यदि कोई अपने में परित्यक्त और अकेला है तो वे उसके निकट, वहाँ रहती हैं जैसे कि वे अपने पुत्र के निकट उनके साथ रहीं, जब सभों ने उन्हें छोड़ दिया था।

मरियम इस कोविड के समय में अपने लोगों के साथ थी और हैं जो दूर्भाग्यवश अपने जीवन की यात्रा को अकेले, अपने प्रियजनों की निकटता और सांत्वना के बिना ही पूरा किया है। मरियम अपनी ममतामयी करूणा में सदैव हमारे पास रहती हैं।

मरियम हमारी सुरक्षा

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि उनके पास की गई प्रार्थना कभी व्यर्थ नहीं जाती है। उस नारी ने “हाँ” कहते हुए तुरंत स्वर्ग के निमंत्रण को स्वीकार किया, वे हमारे प्रार्थनाओं का भी उत्तर देती हैं। वे हमारी पुकार को सुनती हैं चाहे वे हमारे हृदय की गहराई में ही क्यों न हों जिसे हम साहस नहीं होने के कारण उच्चरित नहीं कर पाते हैं, जिन्हें ईश्वर हमसे अधिक अच्छी तरह जानते हैं। वे उन्हें माता की तरह सुनती हैं। एक अच्छी माता की भांति और उसके भी अधिक वे खतरों में हमारी सुरक्षा करती हैं। वे हमारी चिंता करती हैं और जब हम अपनी ही बातों में खोये रहते और राह भटक जाते, न केवल अपने स्वास्थ्य को वरन अपनी मुक्ति को खतरे में डाल देते तो वे हमारी रक्षा करती हैं। वे हमारे साथ हैं और हमारे लिए सदैव प्रार्थना करती हैं, उनके लिए भी जो प्रार्थना नहीं करते हैं, क्योंकि वे हमारी माता हैं।

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24 March 2021, 14:54

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