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इराक से विदा लेकर वापस लौटते संत पापा फ्राँसिस इराक से विदा लेकर वापस लौटते संत पापा फ्राँसिस 

ऐतिहासिक यात्रा समाप्त कर संत पापा इराक से वापस लौटे

संत पापा फ्रांसिस ने इराक में अपनी चार दिवसीय प्रेरितिक यात्रा समाप्त की। प्रेरितिक यात्रा के दौरान उन्होंने 6 शहरों और महत्वपूर्ण स्थलों का दौरा किया। उन्होंने लोगों को सांत्वना दी, विशेषकर, वहाँ के काथलिकों एवं ख्रीस्तियों को जिन्हें सांप्रदायिक हिंसा एवं आतंकवाद का बुरी तरह सामना करना पड़ा है। संत पापा ने सभी लोगों के बीच सहिष्णुता, भाईचारा, आशा एवं शांति की अपील की। यह इटली के बाहर उनकी 33वीं और मध्यपूर्वी देश इराक की पहली प्रेरितिक यात्रा थी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इराक, सोमवार, 8 मार्च 2021 (रेई)- इराक की प्रेरितिक यात्रा समाप्त कर संत पापा सोमवार सुबह को रोम के लिए रवाना हुए। प्रेरितिक राजदूत आवास में व्यक्तिरूप से ख्रीस्तयाग अर्पित करने एवं विदाई लेने के बाद वे बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के लिए रवाना हुए।

हवाई अड्डे पर इराक के राष्ट्रपति बरहम सलीह और उनकी पत्नी, पहले से उनका इंतजार कर रहे थे। वहाँ पहुँचकर संत पापा ने वीआईपी बैठक कमरे में राष्ट्रपति से व्यक्ति बातचीत की। फिर रेड कार्पेट पर चलते हुए राष्ट्रपति के साथ विमान की सीढ़ी तक पहुँचे। विमान पर सवार होने के पूर्व संत पापा ने इराक एवं वाटिकन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उन्हें धन्यवाद दिया। विमान में प्रवेश करते हुए पुनः सभी का अभिवादन किया एवं इराक से विदा होकर स्थानीय समयानुसार 9.54 मिनट पर, वे लोगों की टकटकी निगाहों से ओझल हो गये। 5 घंटे की यात्रा तक कर वे 12.45 मिनट पर रोम पहुँचे।    

संत पापा की विदाई करते विश्वासी
संत पापा की विदाई करते विश्वासी

चार दिवसीय प्रेरितिक यात्रा जिसकी शुरूआत शुक्रवार को हुई थी, कोविड-19 महामारी के कारण विराम के 15 महीनों के बाद हुई। संत पापा की पिछली अंतरराष्ट्रीय प्रेरितिक यात्रा थाईलैंड और जापान में नवम्बर 2019 को हुई थी। इराक में संत पापा ने बगदाद में ठहरकर नाजाफ, ऊर, इरबिल, मोसुल और काराकोश का दौरा किया।   

प्रेरितिक यात्रा के आदर्शवाक्य "आप सभी भाई हैं" जिसको संत मती रचित सुसमाचार से लिया गया था, की भावना से 84 वर्षीय संत पापा ने इराकी लोगों को भाईचारा के पथ पर आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया। यह कहते हुए कि जब वे अपनी विविधताओं के परे एवं एक-दूसरे को एक ही मानव परिवार के सदस्य के रूप में देखना सीख जायेंगे तभी वे देश के पुनःनिर्माण की प्रभावी प्रक्रिया शुरू कर पायेंगे। इस तरह वे भावी पीढ़ी के लिए एक बेहतर, अधिक न्यायपूर्ण एवं अधिक मानवीय विश्व को हस्तांतरित कर पायेंगे।"   

पोप की यात्रा का न केवल इराक के लिए बड़ा महत्व है बल्कि पूरे मध्यपूर्वी प्रदेश के लिए, खासकर, सीरिया के लिए महत्वपूर्ण है। भले चरवाहे ख्रीस्त के पदचिन्हों पर विश्वव्यापी कलीसिया के चरवाहे अपनी भेड़ों की खोज में निकले थे, जिसने सांप्रदायिक हिंसा एवं आतंकवाद की मार झेली है। उन्होंने उन्हें दुलारा और आश्वासन दिया कि वे नहीं भुलाये गये हैं।

इराक के शहीदों की केंद्रीय भूमि

रविवार, यात्रा का तीसरा दिन सबसे हृदयस्पर्शी दिन था। उस दिन संत पापा ने देश के उत्तरी भाग इरबिल, मोसुल और काराकोश की यात्रा की जहाँ ख्रीस्तियों की संख्या देश में सबसे अधिक है। वहाँ भी उन्होंने विश्वासियों को भाईचारा, आशा और शांति का संदेश दिया।  

ध्वस्त शहर मोसुल में उन्होंने ख्रीस्तियों और मुसलमानों को सुना कि किस तरह उन्हें इस्लामिक स्टेट के अधीन क्रूर आतंकवाद का सामना करना पड़ा। संत पापा ने एक साथ, हाथ मिलाकर राख से उठने के उनके प्रयास को आशीष दी। मृतकों के लिए प्रार्थना की एवं उज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि "भाईचारे की तुलना में भ्रातृघात टिकाऊ नहीं होता, उम्मीद नफरत से ज्यादा ताकतवर होती और शांति, युद्ध से ज्यादा शक्तिशाली होती है।"

 इराक का ख्रीस्तीय समुदाय विश्व का एक सबसे पुराना समुदाय है जिसको 2014 से 2017 के बीच इस्लामिक स्टेट द्वारा महा विनाश का सामना करना पड़ा। मोसुल का अधिकांश हिस्सा 2017 में ध्वस्त किया गया, जब इराक से आतंकवादियों को भगाने के लिए, इराक़ी सेना और अंतर्राष्ट्रीय सैन्य गठबंधन ने खूनी लड़ाई लड़ी।

मोसुल में, गिरजाघरों, घरों और इमारतों के खंडहरों को देखकर संत पापा द्रवित हो उठे।

काराकोश, एक ख्रीस्तीय गढ़, आईएस के आतंकवादियों के द्वारा कुचल दिया गया था,  जहाँ संत पापा ने निष्कलंक गर्भागमन के गिरजाघर का दर्शन किया। उन्होंने ख्रीस्तीय समुदाय से अपील की वे क्षमाशीलता एवं भ्रातृत्व की नींव पर समुदाय का पुनः निर्माण करें।  

रविवार को प्रेरितिक यात्रा के अंतिम पड़ाव पर, बगदाद लौटने के पहले उन्होंने इरबिल के स्टेडियम में 10,000 विश्वासियों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित किया। यूखरिस्तीय समारोह के अंत में संत पापा ने प्यारे राष्ट्र से विदाई ली। उन्होंने कहा, "इराक हमेशा मेरे साथ, मेरे दिल में रहेगा।" इस समय उनके साथ उन्होंने दुःख और विनाश की आवाज सुनी किन्तु आशा और सांत्वना की आवाज को भी सुनी। उन्होंने उन्हें भविष्य में शांति और समृद्धि के लिए एक साथ कार्य करने का प्रोत्साहन दिया ताकि किसी को पीछे रहने अथवा भेदभाव का सामना करने का अवसर न मिले। उन्होंने विभिन्न समुदायों के लिए प्रार्थना करते हुए कहा, "मैं प्रार्थना करता हूँ कि विभिन्न धार्मिक समुदाय मिलकर, सभी भली इच्छा रखने वाले लोगों के साथ, भलाई और शांति की सेवा में भाईचारा एवं एकात्मता के संबंध को मजबूत करने के लिए कार्य कर पायेंगे। उन्होंने अंतिम अभिवादन करते हुए कहा, "सलाम सलाम सलाम।"

इराक की प्रेरितिक यात्रा
इराक की प्रेरितिक यात्रा

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08 March 2021, 15:38