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देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा फ्राँसिस 

देवदूत प्रार्थना : येसु प्रकाश हैं जो हमें ईश्वर के प्रेम के लिए खोलते हैं

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस ने येसु की पहचान पर चिंतन किया एवं ख्रीस्तियों को निमंत्रण दिया कि वे प्रकाश का स्वागत करें जो उनके हृदय को ईश्वर के प्रेम के लिए खोल देगा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 14 मार्च 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 14 मार्च को संत पापा फ्रांसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

चालीसाकाल के इस चौथे रविवार में यूखरिस्तीय धर्मविधि इस निमंत्रण के साथ शुरू होती है : येरूसालेम आनन्द मनाओ... (इसा. 66,10)

इस आनन्द का कारण क्या है? चालीसाकाल में इस आनन्द का मकसद क्या है? आज का सुसमाचार हमें बतलाता है। “ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उसमें विश्वास करता है उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे।”(यो. 3,16) यही आनन्दमय संदेश ख्रीस्तीय विश्वास का केंद्र है : ईश्वर के प्रेम ने एक दुर्बल एवं पापी मानवता के लिए, पुत्र को दान करने में अपनी पराकष्ठा प्राप्त की। उन्होंने अपने पुत्र को हमारे लिए दिया, हम सभी के लिए।

ऊपर उठाया जाना

यही येसु और निकोदिमुस के बीच रात की वार्ता में प्रकट होता है, इसके एक भाग को उसी सुसमाचार पाठ में बतलाया गया है। (यो. 3,14-21)

निकोदिमुस हर इस्राएली की तरह, मसीह का इंतजार कर रहा था, वह उन्हें एक शक्तिशाली व्यक्ति की तरह उम्मीद कर रहा था जो सामर्थ्य के साथ दुनिया का न्याय करता। जबकि येसु इस उम्मीद को चुनौती देते हैं, अपने आपको तीन तरह से प्रस्तुत करते हुए : मानव पुत्र क्रूस पर उठाया जाएगा, ईश्वर का पुत्र मुक्ति के लिए दुनिया में भेजा जाएगा और प्रकाश जो सच्चाई पर चलनेवालों को झूठ के रास्ते पर चलनेवालों से अलग करेगा। हम इन तीन आयामों पर गौर करें – मानव का पुत्र, ईश्वर का पुत्र और प्रकाश।  

येसु सबसे पहले अपने आपको मानव पुत्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं (14-15) यह वाक्य कांसे के सांप की ओर इंगित करता है (नाहे 21: 4-9) जो ईश्वर की इच्छा से मूसा द्वारा मरूभूमि में तैयार किया गया था जब लोग जहरीले सांपों के शिकार हो गये थे। जिन लोगों को सांप ने काट लिया था और जब वे कांसे के सांप की ओर नजर उठाते थे तो वे चंगे हो जाते थे उसी तरह येसु भी क्रूस पर उठाये गये और जिन्होंने उनपर विश्वास किया वे अपने पापों से मुक्त हो गये और जीवन प्राप्त किये।

ईश्वर की क्षमाशीलता में आननद

दूसरा आयाम है, ईश्वर का पुत्र (16-18) पिता ईश्वर ने मानव को इतना प्यार किया कि अपने पुत्र को ही दे दिया : उन्होंने उन्हें शरीरधारण में दिया और मौत के लिए समर्पित करने तक दे दिया। ईश्वर के दान का मकसद है हरेक व्यक्ति का आनन्त जीवन : वास्तव में ईश्वर ने अपने पुत्र को दुनिया को दण्ड देने के लिए नहीं भेजा, बल्कि इसलिए कि येसु के द्वारा दुनिया को बचाया जा सके। येसु का मिशन सभी लोगों के लिए मुक्ति का मिशन है, हम सभी के लिए मुक्ति।

तीसरा नाम जिसको येसु अपने लिए लेते हैं वह है “प्रकाश” (19-21) सुसमाचार कहता है, प्रकाश इस दुनिया में आया किन्तु लोगों ने प्रकाश से अधिक अंधकार को पसंद किया। (19) येसु का दुनिया में आना एक चुनाव का आह्वान करता है :  जो कोई अंधकार को चुनता है वह दण्डित किया जाएगा, जो कोई प्रकाश का चुनाव करता है उसे मुक्ति का न्याय प्राप्त होगा। न्याय हमेशा हरेक व्यक्ति के स्वतंत्र चुनाव का परिणाम है : जो गलत काम करता है वह अंधकार की खोज करता है, बुराई हमेशा अपने को छिपाता है, ढक लेता है। जो सच्चाई की खोज करता अर्थात् अच्छा काम करता है वह प्रकाश में आता है जीवन के रास्ते को प्रकाशित करता है। जो प्रकाश में चलता है जो प्रकाश के निकट आता, वह अच्छे काम के अलावा दूसरा कुछ नहीं कर सकता।

चालीसा काल में हमारा निमंत्रण

चालीसा काल के समय हम बड़े समर्पण के साथ यही करने के लिए बुलाये जाते हैं : हमारे अंतःकरण में प्रकाश का स्वागत करने, ईश्वर के असीम प्रेम, उनकी करुणा जो स्नेह एवं अच्छाई से पूर्ण है उसकी क्षमाशीलता के लिए अपने हृदय को खोलने हेतु। हम यह न भूलें कि ईश्वर हमेशा क्षमा करते हैं यदि हम दीनता पूर्वक उनसे क्षमा मांगे। हमें सिर्फ क्षमा मांगना है और वे हमें क्षमा कर देते हैं। इस प्रकार हम सच्ची खुशी प्राप्त करेंगे और ईश्वर की क्षमाशीलता में आनन्दित हो पायेंगे जो नवीकृत करता और जीवन देता है।

अति पवित्र मरिया हमें सहायता दे कि हम येसु द्वारा चुनौती दिये जाने से न डरें। यह एक स्वस्थ चुनौती है, हमारी चंगाई के लिए ताकि हमारा आनन्द परिपूर्ण हो जाए।

 

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14 March 2021, 12:55

दूत-संवाद की प्रार्थना एक ऐसी प्रार्थना है जिसको शरीरधारण के रहस्य की स्मृति में दिन में तीन बार की जाती है : सुबह 6.00 बजे, मध्याह्न एवं संध्या 6.00 बजे, और इस समय देवदूत प्रार्थना की घंटी बजायी जाती है। दूत-संवाद शब्द "प्रभु के दूत ने मरियम को संदेश दिया" से आता है जिसमें तीन छोटे पाठ होते हैं जो प्रभु येसु के शरीरधारण पर प्रकाश डालते हैं और साथ ही साथ तीन प्रणाम मरियम की विन्ती दुहरायी जाती है।

यह प्रार्थना संत पापा द्वारा रविवारों एवं महापर्वों के अवसरों पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में किया जाता है। देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा एक छोटा संदेश प्रस्तुत करते हैं जो उस दिन के पाठ पर आधारित होता है, जिसके बाद वे तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हैं। पास्का से लेकर पेंतेकोस्त तक देवदूत प्रार्थना के स्थान पर "स्वर्ग की रानी" प्रार्थना की जाती है जो येसु ख्रीस्त के पुनरूत्थान की यादगारी में की जाने वाली प्रार्थना है। इसके अंत में "पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो..." तीन बार की जाती है।

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