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देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा फ्राँसिस 

प्रार्थना हमें दूसरों की मदद हेतु आध्यात्मिक आलस्य से उठाता है, पोप

देवदूत प्रार्थना के दौरान रविवार को संत पापा फ्रांसिस ने येसु के रूपांतरण पर चिंतन किया तथा ख्रीस्तियों से आग्रह किया कि वे अपनी प्रार्थना की अनुभूति को दुनिया में आशा फैलाने की चाह में बदलें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 28 फरवरी 2021 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 28 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया,जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

चालीसा काल का यह दूसरा रविवार हमें निमंत्रण देता है कि हम पर्वत पर अपने तीन शिष्यों के सामने येसु के रूपांतरण पर चिंतन करें। (मार.9,2-10) कुछ ही देर पहले येसु ने घोषित किया था कि येरूसालेम में उन्हें बहुत दुःख उठाना होगा, अस्वीकार किया जाना एवं मार डाला जाना होगा।

टूटे हृदय

संत पापा ने कहा, "हम कल्पना करें कि उनके करीबी दोस्तों, उनके शिष्यों के दिल में क्या गुजरा होगा।" एक शक्तिशाली एवं विजयी मसीह की कल्पना अब संकट में थी, उनके स्वप्न बिखर रहे थे और वे उस विचार से परेशान हो गये थे कि गुरूवर जिनपर उन्होंने विश्वास किया, वे डाकूओं की तरह मार डाले जायेंगे, और ऐसे समय में, आत्मा की पीड़ा में, येसु पेत्रुस, याकूब और योहन को बुलाते एवं अपने साथ उन्हें पर्वत पर ले जाते हैं।

सुसमाचार कहता है, "उन्हें एक ऊँचे पहाड़ पर एकांत में ले चले।"(पद 2) बाईबिल में पहाड़ का हमेशा एक विशेष अर्थ है, यह एक ऊंचा स्थान होता है जहाँ आकाश और पृथ्वी एक-दूसरे का स्पर्श करते हैं, जहाँ मूसा एवं नबियों ने ईश्वर से मुलाकात करने के असाधारण अनुभव किये। पहाड़ पर चढ़ना थोड़ा ईश्वर के करीब आना है। येसु उस ऊंचाई पर अपने तीन शिष्यों के साथ चढ़े और पहाड़ की चोटी पर रूके।  जहाँ उनके सामने उनका रूपांतरण हो गया। उनके चेहरे चमकीले और उनके वस्त्र उजले हो गये जो पुनरूत्थान की झलक प्रस्तुत किया, उन भयभीत पुरूषों को अंधकार से पार होने की ज्योति प्रदान किया, आशा की ज्योति, अंधकार को पार करने का प्रकाश : मौत सब कुछ का अंत नहीं हो सकती क्योंकि यह पुनरूत्थान की महिमा को खोल देगी। इस तरह, येसु अपनी मृत्यु की घोषणा करते हैं, उन्हें पर्वत पर लाते और दिखाते हैं कि पुनरूत्थान के बाद क्या होनेवाला है।

नया दृष्टिकोण

संत पापा ने कहा, "जिस तरह प्रेरित पेत्रुस घोषित करते हैं, (पद 5) कि प्रभु के साथ पर्वत पर होना कितना अच्छा है। इस प्रकाश के पूर्व दर्शन को चालीसा काल के बीच में जीना है, याद करने का निमंत्रण है, खासकर, उस समय जब हम कठिन परीक्षा से होकर गुजरते हैं – और आपमें से कई लोग जानते हैं कि कठिनाई से पार होना क्या होता है- कि प्रभु जी उठे हैं और  उन्होंने अंधकार को अंतिम शब्द होने नहीं दिया है।"

कई बार हम अपने आपमें, परिवार में या सामाजिक जीवन में अंधकार के क्षण से होकर गुजरते हैं और भय होता है कि आगे कोई रास्ता नहीं होगा। हम उस बड़ी पहेला के सामने डर महसूस करते हैं जैसे बीमारी, निर्दोष पीड़ा या मौत का रहस्य। विश्वास की उसी यात्रा में हम बहुधा लड़खड़ाते, क्रूस के ठोकर एवं सुसमाचार की मांग का उत्तर देते हैं, जो हमें सेवा के लिए समय देने और अपने जीवन को बचाने एवं रक्षा करने की अपेक्षा प्रेम से खर्च करने का आह्वान करती है। इस प्रकार हमें एक दूसरे नजरिये की जरूरत है, एक प्रकाश की जो जीवन के रहस्य की गहराई को प्रकाशित करता एवं हमें अपनी योजनाओं और दुनिया के तौर तरीकों से परे जाने में मदद देता है। संत पापा ने कहा कि हम भी पर्वत पर चढ़ने के लिए बुलाये गये हैं, पुनरूत्थान की सुन्दरता पर चिंतन करने, जो हमारे जीवन के हर आयाम में प्रकाश की किरण बिखेरता है, अपने पास्का विजय के साथ इतिहास का विश्लेषण करने में सहायता दे।

आध्यात्मिक आलस्य

संत पापा ने आध्यात्मिक आलस्य से सावधान करते हुए कहा, "हम सावधान रहें, पेत्रुस के उस अच्छा लगने से, "हमारे लिए यहाँ होना अच्छा है" जो एक आध्यात्मिक आलस्य न बने। हम पहाड़ पर, इस मुलाकात की सुखद अनुभूति का आनन्द लेने के लिए रूके नहीं रह सकते। येसु स्वयं हमें घाटी पर वापस लाते हैं, हमारे भाई-बहनों और दिनचर्या के बीच। हम आध्यात्मिक आलस्य से सावधान रहें : कि हम अपनी प्रार्थनाओं एवं धर्मविधियों में सही हैं और यह हमारे लिए पर्याप्त है, नहीं! पहाड़ पर चढ़ने का अर्थ वास्तविकता को भूलना नहीं है। प्रार्थना का अर्थ जीवन की कठिनाइयों को अनदेखा करना नहीं है। विश्वास के प्रकाश का अर्थ सुन्दर आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करना भी नहीं है। संत पापा ने कहा, "जी नहीं, यह येसु का संदेश नहीं है।"

ख्रीस्तीय मिशन

हम ख्रीस्त के साथ मुलाकात करने के लिए बुलाये गये हैं ताकि उनके प्रकाश से आलोकित होकर, हम उसे अपने लिए ग्रहण करें एवं सभी ओर चमकायें। लोगों के दिलों में छोटी ज्योति जलायें, प्रेम और आशा के दीये पर जलते सुसमाचार के छोटे प्रकाश बनें, यही एक ख्रीस्तीय का मिशन है।   

आइये, हम अति पवित्र माता मरियम से प्रार्थना करें, कि वे हमें ख्रीस्त के प्रकाश को विस्मय के साथ स्वागत करने, उसकी रक्षा करने एवं बांटने में मदद दें।      

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28 February 2021, 15:03

दूत-संवाद की प्रार्थना एक ऐसी प्रार्थना है जिसको शरीरधारण के रहस्य की स्मृति में दिन में तीन बार की जाती है : सुबह 6.00 बजे, मध्याह्न एवं संध्या 6.00 बजे, और इस समय देवदूत प्रार्थना की घंटी बजायी जाती है। दूत-संवाद शब्द "प्रभु के दूत ने मरियम को संदेश दिया" से आता है जिसमें तीन छोटे पाठ होते हैं जो प्रभु येसु के शरीरधारण पर प्रकाश डालते हैं और साथ ही साथ तीन प्रणाम मरियम की विन्ती दुहरायी जाती है।

यह प्रार्थना संत पापा द्वारा रविवारों एवं महापर्वों के अवसरों पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में किया जाता है। देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा एक छोटा संदेश प्रस्तुत करते हैं जो उस दिन के पाठ पर आधारित होता है, जिसके बाद वे तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हैं। पास्का से लेकर पेंतेकोस्त तक देवदूत प्रार्थना के स्थान पर "स्वर्ग की रानी" प्रार्थना की जाती है जो येसु ख्रीस्त के पुनरूत्थान की यादगारी में की जाने वाली प्रार्थना है। इसके अंत में "पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो..." तीन बार की जाती है।

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