संत पापा फ्राँसिस और एडिथ ब्रूक संत पापा फ्राँसिस और एडिथ ब्रूक 

संत पापा ने औशविट्ज़ से बचकर निकली महिला से की मुलाकात

हंगेरियन लेखिका एडिथ ब्रुक, जो अब लगभग 90 वर्ष की है, इटली में कई वर्षों से रह रही है। जनवरी में, ओसेवातोरे रोमानो ने होलोकॉस्ट मेमोरियल दिवस के लिए उनका साक्षात्कार लिया। उसकी गवाह से प्रभावित, संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को उसे रोम में उसके घर पर मिलने का फैसला किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 22 फरवरी 2021 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने ओसेवातोरे रोमानो में एडिथ का साक्षात्कार पढ़ा, जिसमें नाज़ी उत्पीड़न के दौरान उन्हें और उनके परिवार के भयावह अनुभव की चर्चा थी जो उन्हें गहराई से छू लिया। इसलिए संत पापा शनिवार को उससे मिलने के लिए उसके घर गये। संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार दोपहर वाटिकन से निकले और रोम स्थित हंगरी की एक यहूदी लेखिक एडिथ ब्रुक के घर पहँचे। रोम के केंद्र में लेखिका एडिथ ने अपने जीवन का दो तिहाई हिस्सा बिताया है।

संत पापा फ्राँसिस ने उसे कहा, "मैं आपकी गवाही के लिए धन्यवाद करने और नाजी साम्राज्य के पागलपन से शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां आया हूँ और ईमानदारी के साथ मैं उन शब्दों को दोहराता हूँ जो मैंने अपने दिल से याद वाशेम में कहा था और यह कि मैं हर व्यक्ति के सामने दोहराता हूँ, जो आप जैसे व्यक्ति को इस वजह से इतना नुकसान हुआ है : मैं मानवता के नाम पर याचना करता हूँ,हे ईश्वर क्षमा करें। "

संत पापा के साथ ओसेरवातोरे रोमानो के निदेशक, एंड्रिया मोंडा भी उपस्थित थे जिन्होंने 26 जनवरी को एडिथ ब्रुक द्वारा फ्रांसेस्का रोमाना डे 'एंजेलिस को दिये हृदय स्पर्शी साक्षात्कार को प्रकाशित किया था।

एक बयान में, परमधर्मपीठ ने उल्लेख किया है कि, " संत पापा के साथ बातचीत ने प्रकाश के उन क्षणों को फिर से दर्शाया जिनके साथ शिविरों के नरक के अनुभव को छिद्रित किया गया था और उस समय का आशंकाओं ने आशाओं को जन्म दिया जिसमें हम जीते हैं, स्मृति की मूल्य पर बल देते हुए, इसे युवाओं के साथ साझा करने में बुजुर्गों की भूमिका अहम् है।"

 कुछ समय के बाद संत पापा फ्राँसिस ने एडिथ ब्रुक का घर छोड़ा, जिससे राहगीरों को आश्चर्य और खुशी हुई।

प्रताड़ना शिविर में एडिथ

एडिथ ब्रुक ने जो कुछ देखा, उसके साक्षी के रूप में अपना जीवन समर्पित किया। उसे दो अजनबियों से ऐसा करने के लिए कहा गया, जिन्होंने बर्गेन-बेलसेन प्रताड़ना शिविर में उससे बातें की: "अपनी कहानी बताओ। वे आप पर विश्वास नहीं करेंगे। लेकिन अगर आप जीवित हैं, तो हमारे नाम से भी कहानी बताएं" और उसने विश्वास बनाए रखा।

साक्षात्कार में एडिथ ने यहूदी बस्ती में अपने जीवन का वर्णन किया था। उसके बाद ग्रामीणों ने उनके घर को तोड़ दिया। उसने एक गैर-यहूदी व्यक्ति का वर्णन किया जिसने यहूदी लोगों की मदद करने के लिए गाड़ी भरकर भोज्य सामग्री लाया करता था।

उसने बताया कि बाद में उसने दचाऊ ने खाइयों को खोदने का काम किया, वे एक जर्मन सैनिक को याद करती हैं जिसने अपने गंदे टिन को उसके उपर फेंकते हुए उसे धोने के लिए कहा।  "उसने मेरे लिए नीचे कुछ जाम छोड़ दिया था।"

उसने बताया कि वह अपने अधिकारियों के भोजनालय में काम करती थी, एक रसोइया ने उसका नाम पूछा और जब उसने  अपना नाम एडिथ बताया, तो उसने कांपती आवाज के साथ कहा, "मेरी एक बेटी भी उसके उम्र की है।" यह कहते हुए, "उसने अपनी जेब से एक कंघी निकाली और मेरे सिर के नए-नए बालों को देखते हुए मुझे दे दिया।" "मुझे खुद को खोजने की अनुभूति थी, इतने लंबे समय के बाद, मैंने अपने को इन्सानों के बीच पाया। मैं जीवन और आशा के भाव से द्रवित थी।

एडिथ ब्रुक ने अंत में कहा, दुनिया को बचाने का यह छोटा संकेत है, उसने आज रोम के धर्माध्यक्ष को अपने घर में स्वागत किया, जहां वे उससे मिलने आये थे।

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22 February 2021, 14:09