संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

ईश्वर के वचन की शक्ति को महसूस करें, देवदूत प्रार्थना में पोप

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 31 जनवरी को विश्वासियों को खुले हृदय से सुसमाचार का पाठ करने, येसु को सुनने एवं उनका अनुसरण करने तथा अपने जीवन में उनके मुक्ति के चिन्ह को अनुभव करने का प्रोत्साहन दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 1 फरवरी 2021 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास की लाईब्रेरी रविवार 31 जनवरी को देवदूत प्रार्थना का पाठ किया जिसके पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज का सुसमाचार पाठ (मार.1,21-28) येसु के मिशन के एक विशिष्ट दिन का वर्णन करता है, विशेषकर, एक विश्राम दिवस का। विश्राम और प्रार्थना के लिए समर्पित दिन में लोग सभागृह गये। कफरनाहूम के सभागृह में येसु ने संहिता का पाठ किया एवं उसकी व्याख्या की। उपस्थित लोग उनकी शिक्षा सुनकर अचम्भित हो गये। वे इसलिए अचम्भित हुए क्योंकि वे शास्त्रियों की तरह नहीं बल्कि अधिकार के साथ शिक्षा दे रहे थे। (पद.22) इसके अलावा, येसु अपने कार्यों से भी अपने आपको शक्तिशाली दिखाते हैं। वास्तव में, सभागृह का एक व्यक्ति उनसे सवाल किये जाने के विपरीत, उन्हें ईश्वर का भेजा हुआ कहता है। येसु अशुद्ध आत्मा को पहचान लेते हैं, तथा उस व्यक्ति से निकल जाने का आदेश देते हैं और इस तरह उसे बाहर निकालते हैं। (पद 23-26)

येसु अधिकार के साथ शिक्षा देते हैं

यहाँ येसु के कार्य की दो विशेषताओं को देख सकते हैं : उपदेश और चंगाई के उपचारात्मक कार्य। वे उपदेश देते और चंगाई प्रदान करते हैं। दोनों ही आयाम संत मारकुस रचित सुसमाचार में महत्वपूर्ण हैं किन्तु उपदेश पर अधिक जोर दिया गया है, अपदूत निकालना उनके एकाधिकार की पुष्टि देता है और अपनी शिक्षा में येसु अधिकार के साथ उपदेश देते हैं, फरीसियों के समान नहीं जो पुरानी परम्परा एवं नियमों का पालन करते बल्कि येसु अपने धर्मसिद्धांत पर चलते हैं। वे शब्द, शब्द, शब्द और केवल शब्द को दुहराते रहते हैं जैसा कि महान गायक मीना गाया करता था। जबकि येसु के शब्दों में अधिकार है येसु आधिकारिक हैं। यह हृदय को स्पर्श करता है। येसु की शिक्षा में ईश्वर का अधिकार है जो बोलते हैं, वास्तव में, एक ही आदेश द्वारा वे व्यक्ति को अशुद्ध आत्मा से मुक्त करते एवं चंगाई प्रदान करते हैं। क्यों? क्योंकि उनके शब्द वही करते हैं जो वे बोलते हैं। क्योंकि वे निश्चित रूप से एक नबी हैं। संत पापा ने कहा पर मैं क्यों ऐसा कह रहा हूँ कि वे निश्चित रूप से एक नबी हैं? मूसा की प्रतिज्ञा की याद करें ˸ मूसा कहता है, "मेरे बाद, मेरे बहुत बाद, मेरे समान एक नबी आयेगा, जो आप लोगों को शिक्षा देगा।" मूसा ने येसु को एक निर्णायक नबी के रूप में प्रस्तुत किया। येसु की शिक्षा में ईश्वर के समान अधिकार है जो बोलते और सिर्फ एक आदेश पर अशुद्ध आत्मा के वश से व्यक्ति को मुक्त करते एवं उन्हें चंगाई प्रदान करते हैं। यही कारण है कि वे मानवीय अधिकार से नहीं बल्कि ईश्वरीय अधिकार के साथ बोलते हैं क्योंकि उनमें एक निर्णायक नबी बनने की शक्ति है अर्थात् ईश्वर के पुत्र जो हम सभी को चंगाई प्रदान करते हैं।

वे दुनिया की बुराई पर विजयी हैं  

दूसरा आयाम, चंगाई दिखलाता है कि ख्रीस्त की शिक्षा मानव जाति के बीच एवं दुनिया में बुराई पर विजय पाने के लिए है। उनके शब्द सीधे शैतान के राज्य की ओर इशारा करते हैं। वे उन्हें संकट में डालते और संसार से विदा होने के लिए बाध्य करते हैं। प्रभु के आदेश के साथ अपदूत ग्रस्त व्यक्ति मुक्त होता एवं नया व्यक्ति बन जाता है। इसके साथ ही, येसु की शिक्षा दुनिया और शैतान के तर्क के विपरीत होने की पुष्टि देता है। उनके शब्द चीजों के गलत क्रम को प्रकट करते हैं। वास्तव में, येसु के पहुँचने पर, व्यक्ति में वास करनेवाला अपदूत चिल्ला उठता है˸ "ईसा नाजरी, हम से आपको क्या? क्या आप हमारा सर्वनाश करने आये हैं?" (पद. 24). ये भाव येसु और शैतान के बीच बिलकुल असंबद्धता को दिखलाते हैं ˸ वे दो अलग-अलग विमानों में हैं। उनके बीच कोई भी चीज एक समान नहीं है। वे एक-दूसरे के बिलकुल विपरीत हैं. येसु का अधिकार जिसने लोगों को प्रभावित किया तथा नबी के रूप में होना जिसने मुक्त किया वे एक प्रतिज्ञात नबी हैं, ईश्वर के पुत्र हैं, जो चंगा करते हैं। आइये हम येसु के वचनों को सुनें जिसमें अधिकार हैं।  

सुसमाचार की प्रति हर दिन अपने साथ रखें

संत पापा ने ईश वचन का पाठ करने का प्रोत्साहन देते हुए कहा, "अपने पॉकेट या बैग में सुसमाचार की एक छोटी प्रति रखें ताकि आप दिन में इसे पढ़ सकेंगे कि आप येसु के अधिकार पूर्ण शब्दों को सुन सकें। हम सबकी अपनी समस्याएँ हैं, हम सभी ने पाप किया है, हम सभी में आध्यात्मिक अशुद्धियाँ हैं हम येसु से प्रार्थना करें, "येसु आप एक नबी हैं, ईश्वर के पुत्र हैं जिन्होंने हमें चंगा करने की प्रतिज्ञा की है, हमें चंगाई प्रदान कर।"  

तब संत पापा ने माता मरियम की याद करते हुए कहा, "कुँवारी मरियम ने येसु के शब्दों एवं कार्यों को हमेशा अपने हृदय में रखा। वे हमें भी उन्हें सुनने और उनका अनुसरण करने में मदद दे कि हम अपने जीवन में उनकी मुक्ति के चिन्हों को महसूस कर सकें।"

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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01 February 2021, 14:56