माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, सोमवार 25 जनवरी 2021 (वाटिकन न्यूज) : वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में ईश्वर के वचन के दूसरे रविवार का पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान संत पापा फ्राँसिस के स्थान पर नवीन सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय सम्मेलन के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष रिनो फिसिकेला ने किया। संत पापा इन दिनों शियाटिका के दर्द से पीड़ित हैं।
महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला द्वारा पढ़े गए प्रवचन में, संत पापा फ्राँसिस ने अपना ध्यान इस बात पर केंद्रित किया कि येसु क्या कहते हैं और किससे कहते हैं, जब वे ईश्वर के राज्य की घोषणा करते हैं।
येसु का कथन
संत पापा ने उल्लेख किया कि येसु ने अपने उपदेश को कैसे शुरू किया: "समय पुरा हो चुका है। ईश्वर का राज्य निकट आ गया है।" उन्होंने कहा कि इससे निकलने वाला पहला संदेश यह है कि "ईश्वर निकट है और उसका राज्य पृथ्वी पर आ गया है।"
संत पापा ने कहा, "ईश्वर की दूरी का समय तब समाप्त हो गया, तो वे येसु में मनुष्य बन गए।"
ईश्वर हमारे पास हैं
संत पापा ने जोर देकर कहा कि, " हमें विश्वास करना चाहिए और घोषणा करनी चाहिए कि ईश्वर हमारे पास, हमारे नजदीक आये हैं, उन्होंने हमें क्षमा कर दिया गया है और हमपर दया दिखाई है।"
संत पापा फ्राँसिस ने कहा, ईश्वर का वचन लगातार हमसे कहता है, "डरो मत, मैं तुम्हारे साथ हूँ, मैं तुम्हारे बगल में हूँ और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा। हमसे बात करते हुए, प्रभु "हमें याद दिलाते हैं कि वे हमें अपने दिल में रखते हैं, हम उनकी आँखों में अनमोल हैं और वे हमें अपने हाथ की हथेली में रखते हैं।"
संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि ईश्वर का वचन सांत्वना देता है, लेकिन मनपरिवर्तन के लिए भी आह्वान करता है।" ईश्वर की निकटता की घोषणा करने के तुरंत बाद, येसु कहते हैं, “पश्चाताप करो।”
संत पापा फ्राँसिस ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जो लोग ईश्वर का वचन सुनते हैं, उन्हें लगातार याद दिलाया जाता है कि हमारा जीवन दूसरों से खुद को बचाने के लिए नहीं है, बल्कि उस ईश्वर के नाम पर, उनका सामना करने के लिए है जो उनके निकट हैं।"
कोई भी ईश्वर से दूर नहीं
येसु जिनसे बातें करते हैं, उसकी ओर ध्यान दिलाते हुए, संत पापा ने कहा कि उनका पहला वचन गलीलिया के मछुआरों के लिए था, जिन्हें उन्होंने "साधारण लोग" कहा था।
संत पापा ने बताया कि येसु अपना कार्य "केंद्र से नहीं बल्कि लोगों के साथ परिधि से शुरू किया था और उसने हमें यह बताने के लिए ऐसा किया कि कोई भी ईश्वर के दिल से दूर नहीं है।"
ईश्वर के वचन की "विशेष शक्ति" को देखते हुए,संत पापा ने जोर दिया कि यह "प्रत्येक व्यक्ति को सीधे छू सकता है। झील के किनारे अपनी नौकाओं में शिष्य अपने परिवार के सदस्यों और साथी कर्मचारियों की संगत में, येसु के उन वचनों को कभी नहीं भूलेंगे: वे शब्द जिन्होंने उनके जीवन को हमेशा के लिए चिह्नित किया।" येसु ने उनसे कहा: मेरे पीछे आओ, मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊँगा।''
संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "उन्होंने बुलंद शब्दों और विचारों का उपयोग करते हुए उनसे अपील नहीं की, लेकिन उनके जीवन से बात की और बताया कि वे "मनुष्यों के मछुए" थे।" येसु ने उनसे "अपनी आजीविका के संदर्भ में" बात की थी। संत पापा ने कहा कि येसु हमारे साथ भी ऐसा ही करते हैं, उन्हें हमारी तलाश है कि हम कहां हैं और वे हमारे बगल में हमारे साथ चलते हैं।
ईशवचन के लिए जगह बनायें
अंत में, संत पापा ने सभी से आग्रह किया कि "ईश्वर के वचन को अनदेखा न करें।" यह एक प्रेम पत्र है, इसे उन्होंने हमारे लिए लिखा है, जो हम प्रत्येक को भली भांति जानते हैं।” संत पापा ने सभी विश्वासियों से ‘ईशवचन’ को हमेशा अपने साथ ले जाने और "अपने घरों में एक विशेष स्थान" देने का आग्रह किया।
ईश्वर के शब्द पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होने के लिए, संत पापा ने प्रार्थना की कि हमें "टेलीविज़न को बंद करने और बाइबल को खोलने, तथा अपने सेल फोन को बंद करने और सुसमाचार को खोलने की" शक्ति मिले।