वर्ष के अंत में संत पेत्रुस महागिरजाघर में  ते देयुम भजन और संध्या वंदना वर्ष के अंत में संत पेत्रुस महागिरजाघर में ते देयुम भजन और संध्या वंदना  

महामारी करुणा के कार्य करने को प्रेरित करती है, संत पापा

नए साल की पूर्व संध्या के लिए तैयार प्रवचन में, पोप फ्रांसिस पूछते हैं कि हम इतने कठिन वर्ष के बाद ईश्वर को कैसे धन्यवाद दे सकते हैं। वे कहते हैं कि ईश्वर हमेशा से हमारे लिए दया है, और हम घनिष्ठता, देखभाल और एकजुटता के कार्यों के लिए आभारी हैं जो हमने 2020 में देखा है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार 1 जनवरी 2021 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस शियाटिका दर्द के कारण परम्परा के अनुसार वर्ष के अंत में संत पेत्रुस महागिरजाघर में गाये जाने वाले ते देयुम भजन और संध्या वंदना का नेतृत्व नहीं कर पाये। परंतु पिछले साल के लिए हम किस तरह से धन्यवाद दे सकते हैं, इस पर उनहोंने एक चिंतन साझा किया।

इस समारोह की अध्यक्षता कार्डिनल मंडल के डीन, कार्डिनल जोवान्नी बतिस्ता रे ने की, जिन्होंने इस अवसर के लिए संत पापा फ्राँसिस द्वारा तैयार की गये प्रवचन को प्रस्तुत किया।

संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन में लिखा, "इस साल के अंत में" धन्यवाद देना शायद आपको "जबरजस्ती," या यहां तक कि झंझट सा लग सकता है, खासकर जब हम उन परिवारों के बारे में सोचते हैं जिन्होंने प्रियजनों को खो दिया है, या परिवार में बीमार लोग हैं, जिन्हें अकेलेपन का सामना करना पड़ा या जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी है।ʺ

उन्होंने पूछा, "इस तरह की त्रासदी का हमारे जीवन में क्या अर्थ हो सकता है," हमारे सवालों के जवाब में ईश्वर "उच्च कारणों" के लिए अपील नहीं करता है, जैसे कि वे कुछ उच्चतम भलाई के लिए लोगों का बलिदान करेगा। इसके बजाय, उसका उत्तर है मानव रुप लेना, हर एक को बचाने के लिए अपने एकमात्र पुत्र को इस दुनिया में भेजा।

ईश्वर की दया

अच्छे सामरी की तरह, ईश्वर अति दयावान है, वे पीड़ितों की मदद करते हैं। और इस मनोभाव में हम शायद, इस महामारी, साथ ही अन्य दुःख,जो मानवता को पीड़ित करते हैं, के अर्थ 'को ढूँढ सकते हैं: यह मनोभाव हम में करुणा जगाते हैं और देखभाल, एकजुटता, स्नेह के साथ लोग दूसरों की मदद करने में लग जाते हैं।" हम इसे रोम में और दुनिया भर में होते हुए देखते हैं और "इस बात के लिए हम आज शाम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं: महामारी के दौरान लॉकडाउन में हमारे शहरों में हुई अच्छी चीजों के लिए। दुर्भाग्य से महामारी अभी तक खत्म नहीं हुआ है।”

महामारी योद्धाओं के प्रति आभार

संत पापा फ्राँसिस ने "कई लोगों की प्रशंसा की, जिन्होंने बिना शोर किए, इस दुखद समय को और सहज बनाने की कोशिश की है।" उन्होंने न केवल स्वास्थ्यकर्मियों और पुरोहितों और धर्मसंघियों लोगों को महामारी योद्धा के रुप में देखा, बल्कि उन सभी को भी "जो अपने परिवार के लिए और प्रतिबद्ध लोगों के लिए, आम भलाई के लिए अपनी सेवा के हर संभव प्रयास करते हैं।" उन्होंने विशेष रूप से शिक्षकों और स्कूल प्रशासकों, साथ ही नागर अधिकारियों को याद किया, जिन्होंने दूसरों की भलाई में, विशेष रूप से सबसे अधिक वंचितों की सेवा में अपने निजी हितों की परवाह नहीं की।

ईश्वर में आशा

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "यह सब ईश्वर की दया के बिना, अनुग्रह के बिना नहीं हो सकता है," "यह कैसे संभव है ... इतने सारे लोग, अच्छा करने के अलावा किसी अन्य इनाम के बिना, दूसरों के बारे में चिंतित होने की ताकत पाते हैं?" "अंत में, भले ही वे खुद इसके बारे में नहीं जानते हों, जो उन्हें मज़बूत करता है, वह ईश्वर की ताकत है जो उनके स्वार्थ से अधिक शक्तिशाली है" और "इस कारण से, इस शाम को हम उनकी प्रशंसा करते हैं, क्योंकि हम मानते हैं और हम जानते हैं कि पृथ्वी पर सम्पन्न होने वाले सभी भले कार्य ईश्वर से ही आते हैं।"

संत पापा ने प्रार्थना के साथ इंतजार कर रहे भविष्य की ओर देखते हुए अपने प्रवचन को अंत करते हुए कहा, " प्रभु, आपकी दया हमेशा हमारे साथ हो, क्योंकि हमने आप में आशा व्यक्त की है।"

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01 January 2021, 15:25