कलीसिया की सहायता एजेंसी, चर्च इन नीड कलीसिया की सहायता एजेंसी, चर्च इन नीड 

संत पापा ने काथलिक एजेंसियों से सीरिया एवं इराक की मदद की अपील की

संत पापा फ्राँसिस ने मध्यपूर्व की स्थानीय कलीसियाओं को प्रोत्साहन दिया कि वे सीरिया एवं इराक में जारी मानवीय संकट से पीड़ित लाखों लोगों की जरूरतों को पूरा करने के प्रयास को बनायें रखें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 10 दिसम्बर 20 (रेई)- संत पापा ने बृहस्पतिवार को मध्यपूर्व की कलीसिया के नेताओं की वर्चुवल सभा का उद्घाटन किया। सभा में सीरिया एवं इराक; तथा लेबनान, तुर्की एवं जॉर्डन जैसे पड़ोसी देशों में जारी मानवीय संकट पर प्रकाश डाला गया। इस वर्चुवल सभा का आयोजन वाटिकन के समग्र मानव विकास को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परिषद द्वारा की गई थी।

वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि सभा में विभिन्न कलीसियाई संस्थाओं के बीच समन्वय लाने की कोशिश की गई ताकि उस क्षेत्र के लोगों के जीवन में सुधार लाया जा सके।

एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना

संत पापा फ्राँसिस ने एक वीडियो संदेश द्वारा अपना समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "हर प्रयास, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, जिसे शांति के रास्ते को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में एक ईंट जोड़ने के समान है जो उदार, स्वागत करनेवाला होता है और जहाँ सभी कोई शांति से जीने के लिए स्थान पा सकते हैं।"   

संत पापा ने कहा कि वे अक्सर मध्यपूर्व के बारे सोचते हैं जहाँ लोगों को युद्ध के भय के कारण अपना घर छोड़कर भागना पड़ता है, खासकर, उन्होंने उन ख्रीस्तियों के लिए खेद प्रकट किया जिन्हें अपने विश्वास के पहले स्थान से पलायन करना पड़ता है।   

उन्होंने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य करना चाहिए कि इन भूमियों में ख्रीस्तीय उपस्थिति हमेशा की तरह बनी रह सके जो लोगों के बीच शांति, प्रगति, विकास एवं मेल-मिलाप का चिन्ह है।"

घर वापसी का स्वाप्न

संत पापा ने उन शरणार्थियों की भी याद की जो अपना घर लौटना चाहते हैं तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि उनकी घर वापसी हेतु उन्हें सुरक्षा की गारांटी तथा आवश्यक आर्थिक स्थिति प्रदान की जाए। उन्होंने कहा, "इस संबंध में हर प्रयास महत्वपूर्ण है।"

विस्थापितों की देखभाल

तब संत पापा ने उन क्षेत्रों में मानवीय सहायता प्रदान करनेवाले काथलिक एजेंसियों को सम्बोधित किया। उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि वे "भले समारी के उदाहरण पर चलते हुए, धर्म के नाम पर भेदभाव किये बिना, इन क्षेत्रों के विस्थापितों एवं शरणार्थियों का स्वागत करने एवं साथ देने हेतु अथक रूप से कार्य करें।"  

सुसमाचार से प्रेरित उदारता

संत पापा ने काथलिक एजेंसियों को याद दिलाया कि ख्रीस्त एक एनजीओ नहीं हैं। "हमारे मदद के कार्यों को सुसमाचार से प्रेरित होना चाहिए। हमारे सहायता के कार्यों को स्थानीय कलीसिया के लिए ठोस होना चाहिए जो उन कलीसियाओं की मदद करती है जो पीड़ित हैं।" उन्होंने इसे एक कलीसिया द्वारा दूसरी कलीसिया की मदद कहा।

संत पापा ने अपने वीडियो संदेश के अंत में मध्य पूर्व की कलीसियाओं के धर्मगुरूओं को अपनी निरंतर प्रार्थनाओं एवं आशीर्वाद का आश्वासन दिया।  

उन्होंने कहा, "यह सभा एक नए जीवन के लिए आपके राष्ट्रों में समृद्धि, विकास और शांति के प्रचुर फल लाये।"

कलीसिया का कार्य, लाखों लोगों की मदद

सभा के आयोजकों ने गौर किया कि कलीसिया की सहायता एजेंसियों ने 2014 से अब तक सीरिया एवं इराक में 1 बिलियन डॉलर से भी अधिक दान किया है। यह हर साल  4 मिलियन लोगों की मदद करती है।

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 11 मिलियन सीरियाई लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है, और करीब 4 मिलियन इराकी भी इसी स्थिति में हैं।

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10 December 2020, 17:15