परमधर्मपीठ के लिये नियुक्त राजदूतों को सन्त पापा का सम्बोधन
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 4 दिसम्बर 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्रांसिस ने, शुक्रवार को, परमधर्मपीठ के लिये जॉर्डन, कज़ाक्स्तान, ज़ाम्बिया, माओरितानिया, उज़बेकिस्तान, मडागास्कर, एस्तोनिया, रुआन्डा, डेनमार्क और भारत के नवनियुक्त अनिवासी राजदूतों का प्रत्यय पत्र स्वीकार कर उन्हें सम्बोधित किया।
महामारी से जूझता विश्व
सन्त पापा ने नये राजदूतों से कहा कि वे अपना मिशन सम्पूर्ण मानव परिवार के लिये एक चुनौतीपूर्ण समय में कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोविद-19 महामारी से पूर्व भी विश्व युद्ध, हिंसा, आतंकवाद, भुखमरी और निर्धनता के कारण गम्भीर समस्याओं से जूझ रहा था जिसकी स्थिति अब और ख़राब हो गई है।
सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि महामारी ने सर्वत्र आर्थिक समस्याएँ खड़ी कर दी हैं तथा असमानता की खाई को औऱ अधिक गहरा दिया है। ऐसी स्थिति में, उन्होंने कहा, यह ज़रूरी है कि ज़िम्मेदार पदों पर रहनेवाले व्यक्ति समाज के दुर्बलों पर अपना ध्यान केन्द्रित करें तथा विश्व में न्याय की स्थापना करें।
सम्वाद और सहयोग अनिवार्य
उन्होंने कहा, आज, शायद पहले से कहीं अधिक, हमारी बढ़ती वैश्वीकृत दुनिया लोगों के बीच तत्काल गंभीर और सम्मानजनक बातचीत एवं सहयोग की मांग करती है ताकि भावी पीढ़ियाँ वर्तमान विश्व में व्याप्त गंभीर खतरों का सामना करने में सक्षम बन सकें।
लोगों के बीच सम्वाद, साक्षात्कार, समानता और मेलमिलाप को बढ़ावा देने का राजदूतों से आग्रह कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, वस्तुतः, हम में से प्रत्येक को आमंत्रित किया जाता है कि हम अपने दैनिक कार्यों द्वारा और अधिक, न्याय संगत, भ्रातृत्वपूर्ण और एकात्मता से परिपूर्ण विश्व समाज के निर्माण के लिये क्रियाशील रहें।
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