संत जोसेफ संत जोसेफ 

संत जोसेफ: वह व्यक्ति जिन पर स्वर्ग भरोसा करता है

संत पापा फ्रांसिस का प्रेरितिक पत्र "पैट्रिस कॉर्डे" संत जोसेफ के व्यक्तित्व का बक्खान करता है। 1800 के दशक के अंत से आज तक, विभिन्न परमाध्यक्षों ने हमें कई सुंदर और गहन पृष्ठों का उपहार दिया है, जो इस "रहस्यमय महान व्यक्ति" के व्यक्तित्व में गहराई में डूबने की कोशिश है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 09 दिसम्बर 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ‘पैट्रीस कॉर्डे’(एक पिता के दिल के साथ) में लिखते हैं कि उन्होंने 40 साल से हर दिन, संत जोसेफ को चुनौती दी है। प्रभात वंदना प्रार्थना करने के बाद वे रोज एक फ्रेंच प्रार्थना की किताब से उन्नीसवीं सदी की प्रार्थना पढ़ते हैं।

इस प्रार्थना के माध्यम से संत पापा फ्राँसिस, संत जोसेफ को "गंभीर और परेशान करने वाली" दोनों स्थितियों को सौंपते हैं। प्रार्थना इस प्रकार समाप्त होती है: "यह न कहना कि मैंने तुम्हें व्यर्थ ही आमंत्रित किया है।"

हम ‘पाट्रिस कॉर्डे’ के एक फुटनोट में कलीसिया की दैनिक रिवाज के बारे में पाते हैं, 1870 की कलीसिया की स्मृति को संत पापा पियुस नवें वापस लाते है, जिन्होंने 1870 में बेदाग देहधारणा के पर्व पर, संत जोसेफ को पूरे विश्व की कलीसियाओं का संरक्षक घोषित किया।

एक मजबूत संबंध

संत पापा फ्राँसिस ने संत जोसेफ के साथ अपने गहरे संबंध के बारे में एकबार मनीला में अपनी एक आदत के बारे में साझा की थी। संत पापा अपनी चिंताओं को कागज पर लिखकर "सोते हुए जोसेफ" की एक मूर्ति के नीचे रखते हैं। अपने निवास संत मार्था के अध्ययन कक्ष में संत जोसेफ की मूर्ति है।

संत जोसेफ एक ऐसा व्यक्ति है जो "अनजान" है, जो रहस्य का स्वागत करता है और अपनी सेवा में खुद को लगाता है, कभी भी खुद को केंद्र में नहीं रखता, लेकिन उन चीजों को हल करता है जो असंभव हैं। पैट्रिस कॉर्डे में, संत पापा ने संत जोसेफ के कई गुणों का वर्णन एक सच्चे पति और पिता के रूप में किया है, मंगेतर जिसने "मरियम को बिना शर्त स्वीकार किया" और वह व्यक्ति जिसमें "येसु ने ईश्वर के कोमल प्रेम को देखा था।"

संत पापा फ्राँसिस, प्रेरितिक पत्र "पैट्रीस कॉर्डे" में "संत जोसेफ के वर्ष" की घोषणा करते हुए संत जोसेफ को विश्वव्यापी कलीसिया के संरक्षक के रूप में की घोषणा की 150 वीं वर्षगांठ को याद किया।

परमाध्यक्षीय नाम

संत जोसेफ के व्यक्तित्व को प्रकाश में लाने हेतु अनेक परमाध्यक्षों का योगदान रहा है। इस मोसाइक में संत पापा फ्रांसिस का भी योगदान है। 15 वीं शताब्दी के शुरू में, संत पापा सिक्सटुस पांचवें ने 19 मार्च को संत जोसेफ के पर्व दिवस का दिन तय किया। संत पापा पियुस नवें से लेकर विशेष रूप से 20 वीं शताब्दी के परमाध्यक्षों ने अपने दस्तावेजों में संत जोसेफ के छिपे रहस्यमय व्यक्तित्व पर नई रोशनी डाली।

हालाँकि, उनका नाम कभी भी किसी भी परमाध्यक्ष द्वारा नहीं चुना गया है, भले ही पिछले दशकों में, विभिन्न परमाध्यक्षों के अपने बपतिस्मा नामों में बार-बार पुनरावृत्ति की हो: संत पापा पियुस दसवें (जुसेप्पे मेल्किओरे सार्टो), संत पापा जॉन तेईस्वें (एंजेलो जुसेप्पे रोन्कल्ली), संत पापा जॉन पॉल द्वितीय (करोल जोसेफ़ वोइतिल्ला), संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें (जोसेफ रातज़िंगर)। संत पापा फ्राँसिस का नाम जोसेफ नहीं है, लेकिन उन्होंने 19 मार्च को पवित्र मिस्सा के साथ अपने परमाध्यक्षीय कार्य की शुरुआत की।

 नाम जोड़ना

संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें की इच्छा की पुष्टि करते हुए, संत  पापा फ्राँसिस ने 1 मई 2013 को फैसला किया कि संत जोसेफ, धन्य कुवांरी मरियम के पति का नाम युखारिस्तूय प्रार्थना II, III और IV में जोड़ा जाएगा। इससे पहले, 13 नवंबर 1962 को, संत पापा जॉन तेईस्वें ने स्थापित किया था कि उनका नाम मरियम के नाम के साथ और प्रेरितों के नाम के पहले रोमन कैनन में डाला जाएगा।

संत पापा जॉन तेईस्वें ने स्वयं द्वितीय वाटिकन महासभा को येसु के पालक "पिता" को सौंपने की इच्छा रखते हुए, 1961 में प्रेरितिक पत्र ‘ले सोशियो’ लिखा था। इसमें उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों द्वारा पोषित संत जोसेफ की भक्ति के सारांश को शामिल किया था। ये केवल पूजन पद्धति "नौकरशाही" के बारे में अस्पष्ट पहलू नहीं हैं। प्रत्येक नया फरमान एक और अधिक गहराई से निहित कलीसियाई समझ और जागरूकता को प्रदर्शित करता है।

कलीसिया संत जोसेफ के वर्ष में पूर्ण पाप मुक्ति प्राप्ति का अवसर प्रदान करती है। वाटिकन के प्रायश्चित संबन्धी प्रेरितिक विभाग ने मंगलवार 8 दिसम्बर को एक आज्ञप्ति जारी कर पूर्ण पाप मुक्ति की घोषणा की। यह 8 दिसम्बर 2020 से शुरु होकर 8 दिसम्बर 2021 तक चलेगा।

मजदूरों के संत

1 मई 1955, यह रविवार था और संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्रांगण में श्रमिकों की भीड़ थी। वे एसीएलआइ (क्रिश्चियन एसोसिएशन ऑफ़ क्रिस्चियन वर्कर्स) के सदस्य थे, और उनमें से कई ने दस साल पहले 13 मार्च 1945 को संत पापा पियुस बारहवें  के साथ हुई अपनी मुलाकात को याद किया।

संत पापा पियुस बारहवें ने बड़े उत्साह के साथ अपने संदेश में एसीएलआइ की मूल पहचान पर जोर दिया ताकि वे "सामाजिक शांति" के लिए प्रतिबद्ध हो सकें। अंत में, पूरी तरह से बात बदलते हुए उन्हें एक "उपहार" दिया, जिसने उपस्थित लोगों को आश्चर्यचकित और उत्साहित कर दिया।

उन्होने कहा, हम आपके लिए संत जोसेफ को मजदूरों के संत के रुप में घोषित करते हैं। प्रतिवर्ष 1 मई को मजदूर संत जोसेफ का पर्व मनाया जाएगा। प्रिय श्रमिकों, क्या आप हमारे उपहार के बारे में खुश हैं? हम निश्चित हैं कि आप खुश हैं, क्योंकि नाज़रेथ का विनम्र कारीगर न केवल ईश्वर और पवित्र कलीसिया के समक्ष कार्यकर्ता की गरिमा को दर्शाता है, बल्कि वह हमेशा आपका और आपके परिवारों के भविष्य के संरक्षक भी है।

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09 December 2020, 14:41