मरियम के गर्भाधारण पर्व, संत पापा देवदूत प्रार्थना के दौरान मरियम के गर्भाधारण पर्व, संत पापा देवदूत प्रार्थना के दौरान 

पवित्रता, मानवीय जीवन का लक्ष्यः संत पापा

संत पापा फ्रांसिस ने संत मरियम के निष्कलंक गर्भाधारण पर्व के अवसर पर अपने देवदूत प्रार्थना के दौरान मानवीय जीवन के लक्ष्य पर प्रकाश डाला।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 08 दिसम्बर 2020  (रेई)  संत पापा फ्रांसिस ने संत मरियम के निष्कलंक गर्भाधारण महापर्व के अवसर पर देवदूत प्रार्थना के पूर्व सभों को अपना संदेश देते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

आज की धर्मविधि में हम मुक्ति इतिहास के आश्चर्यजनक त्योहारों में एक- कुंवारी मरिया के निष्कलंक गर्भाधारण का पर्व मनाते हैं। वह भी ईश्वर के द्वारा बचाई गई लेकिन एक अतिविशिष्ट रुप में, क्योंकि उनकी चाह यही रही कि उनके पुत्र की माता अपने गर्भाधारण के पहले से ही पापों की बुराई से बची रहे। और इसीलिए मरियम अपने सम्पूर्ण भौतिक जीवन में, “कृपाओं से परिपूर्ण”, जैसे कि स्वर्गदूत ने कहा, पापों के दाग से मुक्त रही (लूका.1.28), वह पवित्र आत्मा की कृपापात्री रही जिससे वह अपने पुत्र के साथ जीवन भर एक परिपूर्ण संबंध में बनी रहे। वह येसु ख्रीस्त की एक शिष्या रही। वह माता और शिष्या रही लेकिन पापमुक्त।

मानव का लक्ष्य 

ऐफेसियों के नाम संत पौलुस का पत्र (1.3-6,11-12) जिसकी शुरूआत महिमागान से होती है, वे हमें इस तथ्य को समझने में मदद करते हैं कि ईश्वर के द्वारा हरएक मानव का निर्माण पवित्रता की पूर्णता प्राप्ति हेतु हुआ है, उस सुन्दरता को मरियम ने शुरू से ही अपने में धारण किये रखा। हम जिस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु बुलाये गये हैं वह हमारे लिए ईश्वर का उपहार है जिसके बारे में प्रेरित कहते हैं, “उसने संसार की सृष्टि से पहले मसीह में हमको चुना, जिससे हम मसीह से संयुक्त होकर उसकी दृष्टि में पवित्र तथा निष्कलंक बनें”। (4) हम येसु ख्रीस्त में एक दिन पूर्णरूपेण पापों से मुक्त होकर दत्तक पुत्र बनें। यह हमारे लिए एक कृपा है जो ईश्वर की ओर से हमें मुफ्त में मिलता है।

ईश्वरीय कृपा सभों के लिए है

मरियम जिस कृपा से अपने में पूरिपूर्ण थी उसे हम अपने जीवन के अंत में पाते हैं जब हम येसु में “शुद्धिकारण” को प्राप्त कर स्वर्ग में प्रवेश करते हैं। यहाँ तक की सबसे निर्दोष भी, जो आदि पाप से ग्रस्ति इसके परिणमों से लड़ने की पूरी कोशिश की। वे जीवन के “संकरे द्वार” से होकर गुजरे जो जीवन का स्रोत है (लूका. 13.24)। क्या आप जानते हैं कि वह कौन व्यक्ति है जो सबसे पहले स्वर्ग के राज्य में प्रवेश किया। आप जानते हैं, येसु के साथ क्रूसित दो डाकूओं में से एक “डाकू” जिसने येसु को ओर मुड़ते हुए यह कहा, “येसु जब आप अपने राज्य में आयेंगे तो मुझे याद कीजिएगा” (लूका. 23.42-43)। येसु ने उससे कहा, “आज ही तुम मेरे साथ स्वर्ग में होगे”। ईश्वर की कृपा सभों के लिए व्याप्त है और बहुत से लोग जो इस दुनिया में सबसे पिछले हैं वे स्वर्ग के राज्य में अगले किये जायेंगे (मरकुस 10.31)।

बुराई को “न” ईश्वर को “हाँ”

संत पापा ने कहा कि लेकिन हम सावधान रहें। हमारी चतुराई हमारे काम नहीं आयेगी, जहाँ हम ईश्वर के धैर्य का फायदा उठाते और अपने जीवन के मूल्यांकन को निरंतर स्थगित करते हैं। वे धैर्य में हमारी प्रतीक्षा करते हैं और हमें अपनी कृपा सदैव देते हैं। हम लोगों को धोखा दे सकते हैं लेकिन ईश्वर को नहीं। वे हमारे हृदय को हमसे बेहतर जानते हैं। हम वर्तमान समय का लाभ उठायें। हम अपने जीवन को दुनियावी रूप में जीते हुए न बितायें। लेकिन हम इस समय से वाकिफ हो, बुराई को “न” कहते हुए ईश्वर को “हाँ” कहें। हम अपने को ईश्वर की कृपा हेतु खोलें, अपने बारे में सोचने का परित्याग करें, अपने आडम्बरी जीवन को छोड़ सच्चाई का सामना करें। हम अपने जीवन की हकीकत से रुबरु हों, हम अपने आप से पूछें कि हम क्या और कैसे हैं। हम इस बात को स्वीकारे कि हमने ईश्वर को और अपने पड़ोसियों को प्रेम नहीं किया है। हम इसे स्वीकार करें और पापस्वीकार संस्कार में सहभागी होते हुए क्षमा की याचना कर अपने में परिवर्तन की एक यात्रा शुरू करें, दूसरों की, की गई बुराई की भरपाई करें। वे हमसे प्रेममय मित्रता हेतु हमारे हृदय के द्वार खटखटाते हैं जिससे वे हमें मुक्ति प्रदान करें।

ऐसा करना हमारे लिए “पवित्र और निष्कलंक” होने का मार्ग बनता है। माता मरियम की शुद्धता की सुन्दरता हमारे लिए अतुलनीय है लेकिन यह हमें आकर्षित करती है। हम अपने को उनके हाथों में समर्पित करते हुए पाप को “न”  कहें और कृपा को सदैव “हाँ”।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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08 December 2020, 15:00