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ख्रीस्त जयंती चिंतन हेतु निमंत्रण, संत पापा

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर ख्रीस्त जयंती को बेहतर ढ़ंग से मनाने हेतु कुछ सुझाव दिये।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 23 दिसम्बर 2020 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन प्रेरितिक निवास की पुस्तकालय से सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयों एवं बहनों, सुप्रभात।

हम सभी ख्रीस्त जयंती के निकट हैं अतः आज की धर्मशिक्षा माला में मैं इस समारोह की तैयारी हेतु कुछ बातों पर प्रकाश डालना चाहूँगा। मध्य रात्रि के समय स्वर्गदूत गरेड़ियों को यह संदेश सुनाते हैं, “डरिए नहीं। देखिए, मैं आप को सभी लोगों के लिए बड़े आनन्द का सुसमाचार सुनाता हूँ। आज दाऊद के नगर में आपके मुक्तिदाता, प्रभु मसीह का जन्म हुआ है। यह आप लोगों के लिए पहचान होगी- आप एक बालक को कपड़ों में लपेटा और चरनी में लिटाया हुआ पायेंगे।” (लूकस 2.10-12)

भौतिकता से ऊपर उठें 

गरेड़ियों का अनुसरण करते हुए हम भी आध्यात्मिक रूप से बेतलेहम की ओर जाते हैं जहाँ मरियम ने बालक को गोशाले में जन्म दिया, “क्योंकि उनके लिए सराय में जगह नहीं थी” (2.7)। ख्रीस्त जयंती सारी दुनिया के लिए एक त्योहार बन गई है और वे जो विश्वास नहीं करते वे भी अपने को इसकी ओर आकर्षित होता पाते हैं। ख्रीस्तीय यद्यपि अपने में यह जानते हैं कि यह उनके लिए एक बड़ी घटना है जहाँ ईश्वर ने दिव्य ज्योति को सारी दुनिया के लिए प्रज्जवलित किया है जो उन्हें क्षंणभगुर चीजों में भ्रमित नहीं रखती है। हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम इसे केवल अपने मनोभावों या भौतिक चीजों के त्योहार तक ही सीमित न रखें जहाँ हम ढ़ेर सारे उपहार खरीदते और शुभकामनाएँ देते हैं जबकि हमारा ख्रीस्तीय विश्वास अपने में कमजोर बना रहता और हम मानवीय रुप में कमजोर रहते हैं। अतः यह जरुरी है कि हम अपने में व्याप्त कुछ दुनियावी मानसिकता को नियंत्रित करें जो हमें उस ऊष्मा को समझने के अयोग्य बना देती जिसका सार विश्वास है, यो हमारे लिए यह है, “शब्द ने शरीरधारण कर हमारे बीच निवास किया। हमने उसकी महिमा देखी। वह पिता के एकलौते की महिमा जैसी है (यो.1.14)। यही ख्रीस्त जयंती का सार और सच्चाई है इससे अलग और दूसरा कुछ भी नहीं है।

असहाय बालक को देखें

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त जयंती हमें चिंतन हेतु निमंत्रण देता है जहाँ हम एक ओर मानवीय इतिहास में पाप के कारण घायल स्थिति पर विचार करते हैं जहाँ नर और नारी बेचैनी में सच्चाई, करुणा और मुक्ति की खोज करते हैं तो वहीं दूसरी ओर ईश्वर की अच्छाई की खोज, जो हमारे बीच आते औऱ हमें सच्चाई से रूबरू कराते, जो हमें बचाती तथा हमें उनकी मित्रता औऱ उनके जीवन के सहभागी बनाती है। यह हमारे लिए उपहार है, हमारी अयोग्यता के बावजूद ईश्वर की ओर से हमारे लिए शुद्ध उपहार। एक संत पापा हमें कहते हैं, “हम इधर देखें, उधर देखें, वहाँ देखें, यहाँ देखें और अपनी योग्यता की खोज करते लेकिन हमें ईश्वरीय कृपा के अलावे कुछ नहीं मिलेगा।” हमारे लिए सारी चीजें कृपाओं के रुप में मिलीं हैं। हमें यह कृपा ख्रीस्त जयंती की साधरणता और मानवता में प्राप्त होती है जो हमारे मन और दिन में व्याप्त निराशा को दूर करती है जो इन दिनों महामारी के कारण हममें उत्पन्न हुए हैं। हम अपनी बेचैनी पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, हम पराजयों और असफलताओं से बाहर निकल सकते हैं अपने में इस बात का एहसास करते हुए कि नम्र और गरीब बालक जो अपने में गुप्त और असहाय है स्वयं ईश्वर हैं जो हमारे लिए मानव बनते हैं। वाटिकन द्वितीय महासभा, आधुनिक समय में कलीसिया के संबंध में कहती है यह घटना हरएक को अपने में सम्माहित करती है, “ईश पुत्र ने अपने मानव बनने के द्वारा हर मानव से अपने को संयुक्त किया है। वे मानवीय हाथों से कार्यों करते हैं, मानवीय हृदय से सोचते, मानवीच विचार से कार्य करते और मानवीय हृदय से प्रेम करते हैं। कुंवारी मरियम से जनमे वे सचमुच हमारी तरह बन गये, पाप को छोड़ सभी बातों में हमारी तरह”( गैदियुम एत एस्पेस, 22)। येसु हमारी तरह बनें गये, येसु में हम ईश्वर को देखते जो हमारी तरह मानव बनें।

ईश पुत्र का मानव बनना

यह सच्चाई हमें खुशी और साहस से भर देता है। ईश्वर हमें नजरअंदाज नहीं करते हैं वे हमें अपने से दूर नहीं करते हैं, वे हमारे बीच से यूं ही पार नहीं होते, हमारी गलतियों से मुँह नहीं मोड़ते, उनका शरीरधारण अपने में छिछला नहीं रहा बल्कि उन्होंने सभी रुपों में हमारे मानवीय स्वभाव और मानव परिवेश को धारण किया। वे हममें से एक, हमारी तरह बनें। पाप को छोड़ हम उनमें सारी मानवता को पाते हैं। उन्होंने सभी रुपों में हमारे स्वभाव को धारण किया जैसे कि हम सभी हैं। ख्रीस्तीय विश्वास को समझने हेतु यह महत्वपूर्ण है। संत अगुस्टीन अपने मनपरिवर्तन की यात्रा में चिंतन करते हुए अपने पापस्वीकारों में लिखते हैं, “ईश्वर को ग्रहण करने हेतु मुझ में अब तक पर्याप्त विनम्रता नहीं थी, न ही मुझे अभी तक उनकी दुर्बल शिक्षाओं का ज्ञान था” (पापस्वीकार VII,8) येसु की दुर्बलता क्या थीॽ येसु की “दुर्बलता” हमारी लिए उनकी “शिक्षा” थी, क्योंकि यह हमें ईश्वर को प्रेम करने का रहस्य प्रकट करती है। जन्मपर्व हमारे लिए प्रेम का त्योहार है जहाँ प्रेम में येसु ख्रीस्त ने शरीरधारण कर हमारे बीच जन्म लिया। येसु मानव जाति के लिए ज्योति हैं जो अंधकार में चमकते हैं जो मानव जीवन और सारी दुनिया को अर्थपूर्ण बनाता है।    

चरनी सम्मुख चिंतन करें

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि यह छोटा चिंतन हमें ख्रीस्त जयंती को बेहतर रुप में मनाने हेतु मदद करें। वही एक दूसरी तरह की तैयारी है जिसकी याद हम सभों को दिलाई जाती है, जिसे सभी कोई अपने में पूरा कर सकते हैः शांति में चरनी के पास थोड़ा चिंतन करें। चरनी उस धर्मशिक्षा की सच्चाई है जिसके बारे में मैंने विगत साल कुछ कहा था जिसे हमने आज के सुसमाचार में सुना। “अदमीराबिले सिनियुम” “मोहित करने वाला प्रतीक” एक पत्र जिसे मैंने पिछले साल प्रेषित किया था उसे देखना उचित होगा। संत फ्रांसिस आस्सीसी के विद्यालय में हम एक छोटा बच्चा बनते हुए जन्मपर्व के दृश्य पर चिंतन कर सकते हैं जहाँ ईश्वर दुनिया में आने की चाह रखते और हमें अपने पुनर्जन्म से आश्चर्यचकित करते हैं। हम अपने में आश्चर्यचकित होने की कृपा मांगें जहाँ हम इस रहस्य की कोमलता को पाते हैं जो अति मनोहर हमारे हृदयों के करीब है। ईश्वर हमें आश्चर्यचकित होने की कृपा दें, हम उनसे मिलें, उनके निकट आयें और सभों को उनके करीब लायें। यह हममें कोमलता को पुनः सृजित करेगा। संत पापा ने फिलहाल ही कुछ वैज्ञानिकों से अपनी वार्ता की बातों को साझा करते हुए कहा कि आज सभी चीजों के लिए कृत्रिम ज्ञान और रोबर्ट का निर्माण किया जा रहा है। “रोबर्ट अपने में क्या कर सकते हैंॽ” बहुत सारी बातों का जिक्र करने का बाद उन्होंने कोमलता की विषयवस्तु को संक्षेपित किया। संत पापा ने कहा कि रोबर्ट अपने में यह नहीं कर पायेगा। इसी कोमलता को आज ईश्वर आश्चर्यजनक रुप में हमारे बीच अपने जन्म के द्वारा लाते हैं, मानव की कोमलता ईश्वर के निकट रहती है। आज मानवीय दुःख भरी परिस्थिति में हमारे लिए इसी कोमलता की जरुरत है। यदि महामारी ने हमें एक दूसरे से दूर रहने को मजबूर किया है तो चरनी में येसु हमें एक दूसरे के लिए कोमलता का पाठ पढ़ाते, मानवीय होना सिखाते हैं। आइए हम उस राह का अनुसारण करें।

 

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23 December 2020, 15:05