संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना : आगमन का चौथा रविवार, संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 20 दिसम्बर को देवदूत प्रार्थना का पाठ करने के पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए आगमन काल के चौथे रविवार का संदेश दिया। संदेश में उन्होंने कुँवारी मरियम के "हाँ" पर चिंतन किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 20 दिसम्बर 2020 (वाटिकन रेडियो)- आगमन काल के चौथे रविवार 20 दिसम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना का पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए आगमन काल के चौथे रविवार का संदेश दिया।

उन्होंने कहा, "आगमन के इस चौथे एवं अंतिम रविवार का सुसमाचार पाठ हमें प्रभु के जन्म के संदेश की कहानी प्रस्तुत करता है। स्वर्गदूत ने मरियम से कहा, "प्रणाम, प्रभु की कृपापात्री! प्रभु आपके साथ है।" (लूक. 1: 28.31) यह पूर्ण आनन्द की घोषणा है, जिसका उद्देश्य है मरियम को खुश करना जो उस समय की महिलाओं के बीच ईश्वर की माता होने की कल्पना नहीं कर रही थी। पर इस आनन्द के साथ मरियम के इम्तहान के शब्द भी गूँजते हैं। क्यों? क्योंकि वह उस समय एक मंगेतर थी (27) विवाहित नहीं। जोसेफ से उनकी मँगनी हुई थी। इस परिस्थिति में, मूसा की संहिता में कही गई थी कि शारीरिक संबंध और सहवास नहीं होना चाहिए। एक पुत्र को जन्म देना मरियम के लिए संहिता का उल्लंघन करना था और इसके लिए महिलाओं को खतरनाक सजा दी जाती थी, उन्हें पत्थरों से मार डाला जाता था। (विधि विवि. 22:20-21) निश्चय ही ईश्वरीय संदेश ने मरियम के हृदय को ज्योति और सामर्थ्य से भर दिया, फिर भी, उन्हें एक महत्वपूर्ण चुनाव करना था: ईश्वर को "हाँ" कहना और अपने जीवन सहित सब कुछ को दाँव पर लगाना था अथवा निमंत्रण से इंकार करना एवं अपने सामान्य जीवन में आगे बढ़ना।"

कुँवारी मरियम का सक्रिय "हाँ"

क्या कर सकती थी? उसने जवाब दिया : "देखिये मैं प्रभु की दासी हूँ। आपका कथन मुझमें पूरा हो जाए।" (लू. 1:38) जिस भाषा में सुसमाचार लिखा गया है उसके अनुसार यह सिर्फ "मुझमें पूरा हो जाए" का साधारण भाव नहीं है बल्कि तेज इच्छा प्रकट करता है, कुछ होने की तीव्र इच्छा व्यक्त करता है। दूसरे शब्दों में मरियम नहीं कहती है कि "होगा तो होगा... नहीं होगा तो कोई बात नहीं...।" यह एक परित्याग नहीं था। इसे कमजोरी और लाचारी से स्वीकार नहीं किया गया था। इसमें तेज और सजीव इच्छा देखाई पड़ती है। यह निष्क्रिय नहीं बल्कि सक्रिय थी। वह ईश्वर के लिए पीड़ा महसूस नहीं की बल्कि ईश्वर का अनुसरण की। संत पापा ने मरियम के बारे कहा, "वे एक ऐसी प्रेमिका हैं जो अपने स्वामी की सबकुछ में एवं तत्परता के साथ सहर्ष सेवा करती हैं। वे इस पर विचार करने के लिए कुछ समय मांग सकती थीं, अथवा क्या होगा उसपर स्पष्ट जानकारी पूछ सकती थीं, शायद कुछ शर्त भी रख सकती थीं, पर उन्होंने समय नहीं मांगा, ईश्वर को इंतजार नहीं कराया, न ही स्थगित किया।"  

अच्छे कार्यों को करने के लिए समय न टालें

संत पापा ने कहा, "हम अपने आप पर चिंतन करें, कितनी बार हम अपने जीवन में टालते हैं, आध्यात्मिक जीवन में भी। उदाहरण के लिए, हम कहते हैं, "मैं जानता हूँ कि प्रार्थना मेरे लिए अच्छा है किन्तु आज मेरे पास समय नहीं हैं... कल करूँगा... और उसी तरह कल, कल... कहकर टालते रहते हैं", कहते हैं कि मैं जानता हूँ कि दूसरों की सहायता करना महत्वपूर्ण काम है, जी हाँ, मुझे इसे करना चाहिए, पर कल करुँगा...कहते हुए स्थगित करते रहते हैं। आज क्रिसमस के द्वार पर मरियम हमें निमंत्रण दे रही हैं कि हम "हाँ" कहने को न टालें। क्या मुझे प्रार्थना करना है? हाँ, मैं प्रार्थना करना चाहता हूँ और करता हूँ। क्या मुझे दूसरों की मदद करनी है? कैसा करना है? मैं उसे बिना देरी करता हूँ। हर "हाँ" का मूल्य है किन्तु उनके साहसी "हाँ" की कीमत हमेशा अधिक है। "हाँ, मैं प्रभु की दासी हूँ आपका कथन मुझमें पूरा हो जाए", इस कथन ने हमारे लिए मुक्ति लाया।

कठिनाइयों के बावजूद शिकायत न करें

हम किस तरह "हाँ" कहें? कठिन समय में, जब महामारी ने हमें कुछ भी करने से रोक दिया है, शिकायत करने के बदले, हम उन लोगों की मदद करें जिनके पास कम साधन हैं। अपने और अपने मित्रों के लिए उपहार लेने के बदले जरूरतमंद लोगों को दें, जिनके बारे कोई नहीं सोचता। हमारे दिल में येसु जन्म लेनेवाले हैं अतः हम अपने हृदय को तैयार करें, प्रार्थना करने जाएँ, उपभोक्तावाद के प्रलोभन में न पड़े: "ओह! मुझे गिफ्त खरीदना है, मुझे ऐसा करना है वैसा करना है... हममें कई चीजों को करने की उन्माद होती है किन्तु महत्वपूर्ण चीज हैं येसु। संत पापा ने कहा, "भाइयो एवं बहनो, उपभोक्तावाद ने हमसे ख्रीस्त जयन्ती को छीन लिया है। उपभोक्तावाद बेतलेहेम की चरनी में नहीं है वहाँ हकीकत है, गरीबी और प्यार है। आइए, हम मरियम के समान अपने हृदय को तैयार करें, बुराई से मुक्त, ईश्वर का स्वागत करने के लिए तैयार हों।

कुँवारी मरियम से सीखें

"आपका कथन मुझमें पूरा हो जाए," यह आगमन के चौथे रविवार को कुँवारी मरियम का अंतिम वाक्य है और ख्रीस्त जयन्ती हेतु ठोस कदम लेने के लिए एक निमंत्रण है। क्योंकि यदि येसु का जन्म हमारे जीवन को स्पर्श नहीं करता तो यह व्यर्थ ही गुजर  जायगा। संत पापा ने विश्वासियों को तैयार होने के लिए प्रोत्साहन देते हुए कहा, "अभी देवदूत प्रार्थना में हम भी कहें, आपका कथन मुझमें पूरा हो। माता मरियम हमें क्रिसमस की तैयारी के इन अंतिम दिनों के मनोभाव के साथ इसे अपने जीवन में कहने हेतु मदद दें।"   

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20 December 2020, 15:47