गरीबों के विश्व दिवस पर पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए संत पापा फ्राँसिस गरीबों के विश्व दिवस पर पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान करते हुए संत पापा फ्राँसिस 

गरीब हमें अनन्त आय की गारंटी देते हैं, संत पापा

गरीबों के विश्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र मिस्सा का अनुष्ठान किया। संत पापा ने सभी ख्रीस्तियों से आग्रह किया कि वे अपना जीवन प्रार्थना और दूसरों की उदारता पूर्वक मदद करने में बितायें और जरूरत पड़ने पर सुसमाचार के गवाह बनें।

वाटिकन सिटी, सोमवार 16 नवम्बर 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने 2016 में गरीबों के विश्व दिवस की स्थापना की थी, जो काथलिक पंचाग के अनुसार प्रतिवर्ष 33वें सामान्य रविवार को मनाया जाता है। इस वर्ष गरीबों के विश्व दिवस की विषय वस्तु थी : "गरीबों की ओर अपना हाथ बढ़ाओ।"

इस अवसर को चिह्नित करने के लिए संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया। संत मत्ती के सुसमाचार से लिए गये पाठ 25:14-30 पर चिंतन किया। जिसमें येसु एक मालिक के बारे में दृष्टांत बताते हैं, जो अपने सेवकों को उनकी क्षमता के अनुसार प्रतिभाओं को वितरित किया। संत पापा ने कहा कि यह दृष्टान्त हमारे अपने जीवन की शुरुआत, केंद्र और अंत पर प्रकाश डालता है।

शुरुआत: प्रतिभाओं को सौंपा

"सब कुछ बहुत अच्छा से शुरू होता है।" संत पापा ने कहा, "हमारा जीवन, ईश्वर की कृपा से शुरू हुआ, उस क्षण हम प्रत्येक को विभिन्न प्रतिभाओं को सौंपा गया था। हमारे पास एक महान धन है जो इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि हमारे पास क्या हैं, लेकिन हम जो हैं उस पर निर्भर करता है : हमें जो जीवन मिला है, वह सबसे बड़ा वरदान है। ईश्वर ने अपने ही रुप में हमें बनाया है।"

'काश…अगर'

संत पापा फ्राँसिस ने उस प्रलोभन के खिलाफ चेतावनी दी जहाँ हम अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा पाने और सिर्फ अपने लिए जमा करने के प्रयास में लगे रहते हैं, जैसे कि एक बेहतर नौकरी या ज्यादा से ज्यादा रुपया जमा करना।

उन्होंने कहा, "काश...अगर" ये भ्रमपूर्ण शब्द है, यह हमें अपनी प्रतिभा की सराहना करने और उन्हें अच्छी तरह से उपयोग करने से रोकता है। ईश्वर हमें वर्तमान समय का अधिकतम लाभ उठाने के लिए कहते है, अतीत के लिए पछतावा नहीं, बल्कि प्रभु के फिर से वापस आने का बेसब्री से इंतजार है।"

केंद्र: सेवा का जीवन

संत पापा फ्राँसिस ने दृष्टांत और हमारे जीवन के केंद्र पर चिंतन करते हुए कहा, "सेवकों का काम है सेवा करना।" सेवा वह है जो हमारी प्रतिभाओं को फल देती है और हमारे जीवन को अर्थ देती है। "जो लोग सेवा करने के लिए नहीं जीते हैं, वे इस जीवन में कम ही सेवा देते हैं।"

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार स्पष्ट करता है कि विश्वासी सेवकों को जोखिम उठाना चाहिए। अच्छे सेवक अपने पास जो कुछ भी है, उससे चिपके नहीं रहते, अपितु अपनी प्रतिभा का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करते हैं और वे भयभीत या अति व्यस्त नहीं होते हैं। अगर अच्छाई का निवेश नहीं किया जाता है, तो वह खो जाती है और हमारे जीवन की भव्यता को इस बात से नहीं मापी जाती कि हम कितना बचाते हैं, लेकिन हम कितना फलदायी हैं।

उन्होंने कहा कि अच्छा करने के बजाए, संपत्ति जमा करने पर केंद्रित जीवन अर्थहीन और खाली है। "हमारे पास उपहार रहने का कारण यह है कि हम स्वंय दूसरों के लिए एक उपहार हो सकते हैं।"

गरीब बैंक कर्मी

संत पापा फ्राँसिस ने पूछा, "फिर हम कैसे सेवा करते हैं, क्योंकि ईश्वर ने हमारी सेवा की होगी?"

येसु के दृष्टांत के अनुसार, मालिक ने उस अविश्वासी सेवक, जिसने अपनी प्रतिभा को दफन कर दिया,से कहा कि उसे अपनी अशर्फियां "महाजनों" के पास निवेश करना चाहिए ताकि वह ब्याज कमा सके।

संत पापा ने कहा कि वे बैंक कर्मी गरीब हैं। "गरीब हमें एक अनन्त आय की गारंटी देते हैं, अब भी वे हमें प्यार के अमीर बनने में मदद करते हैं। हमें सबसे बुरी तरह की गरीबी का मुकाबला करना है और वह है-प्यार की गरीबी।” संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय केवल गरीबों की ओर अपने हाथ बढ़ाकर अपनी प्रतिभा को बढ़ा सकते हैं।

अंत: सफलता बनाम प्यार

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि येसु का दृष्टांत हमें अपने जीवन के अंत के बारे में बताता है। जब हमारा जीवन खत्म हो जाता है तो सच्चाई सामने आ जाती है। इस धारणा के साथ कि सफलता, शक्ति और पैसा जीवन को अर्थ देते हैं, तो इस दुनिया का ढोंग फीका हो जाएगा जबकि प्यार - हमने जो प्यार दिया है - वह सच्चा धन के रूप में सामने आएगा।"

उन्होंने कहा, "अगर हम जीवन को खराब तरीके से नहीं जीना चाहते हैं, तो आइए, हम ईश्वर से गरीबों में येसु को देखने की कृपा मांगे और गरीबों में येसु की सेवा करें।"

निस्वार्थ सेवा का एक ताजा उदाहरण

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने इटली के एक पुरोहित को याद किया जो दो महीने पहले गरीबों की सेवा करते हुए मार डाले गये थे। फादर रॉबर्टो मालगेसिनी की हत्या इटली के कोमो शहर में उनकी ही पल्ली सान रोक्को में की गई थी। कथित तौर पर उसे मारने वाला व्यक्ति मानसिक समस्याओं से जूझ रहा ट्यूनीशियाई प्रवासी था, जिसकी सहायता फादर रॉबर्टो कर रहे थे।

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "इस पुरोहित को सिद्धांतों में कोई दिलचस्पी नहीं थी, उसने बस येसु को गरीबों में देखा और उन्हीं की सेवा करते हुए अपने जीवन को अर्थपूर्ण बनाया। उन्होंने ईश्वर के नाम पर उदारता के साथ उन गरीबों के आँसू पोंछे।”

संत पापा ने कहा कि फादर रॉबर्टो एक वफादार नौकर के समान थे, जिनका जीवन गरीबों पर केंद्रित था।

“ईश्वर का उपहार प्राप्त करने के लिए, वो दिन की शुरुआत प्रार्थना से करते थे, उनके दिन का केंद्र दान था, वो दूसरों की सेवा उदारता और बड़े प्रेम से करते थे। उनका जीवन फलदायी था और जीवन का अंत में उसने सुसमाचार की गवाही दी।”

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16 November 2020, 14:35