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आमदर्शन समारोह में विश्वासियों के साथ संत पापा फ्राँसिस आमदर्शन समारोह में विश्वासियों के साथ संत पापा फ्राँसिस 

नबी एलियस के समान साहसी बनें, पोप फ्राँसिस

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में अपनी धर्मशिक्षा माला जारी करते हुए नबी एलियस की जीवनी पर प्रकाश डाला। धर्मग्रंथ एलियस को एक पारदर्शी विश्वासी व्यक्ति स्वरुप प्रस्तुत करता है जो उनके नाम में अभिव्यक्त होता है जिसका अर्थ है “याहवे ईश्वर हैं” यह उनके प्रेरिताई के रहस्य को भी अपने में सम्माहित करता है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 7 अक्टूबर 2020 (रेई) - संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन के अवसर पर वाटिकन के संत पौल षष्टम सभागार में जमा हुए विश्वासियों और सभी तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुआ कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

हम प्रार्थना पर अपनी धर्मशिक्षा माला की शुरूआत पुनः करते हैं जो पृथ्वी की चंगाई हेतु धर्मशिक्षा के कारण बाधित हो गई थी। हम पवित्र धर्मग्रंथ में विचार करने हेतु अति विवश करनेवाले एक व्यक्तित्व नबी एलियस को पाते हैं। वे अपने समय से परे जाते हैं जिनकी चर्चा हम सुसमाचार के कुछ परिदृश्य हमारे लिए करते हैं। वे येसु ख्रीस्त की बगल में मूसा के संग उनके रूपांतर में दिखाई देते हैं (मत्ती. 17. 3)। येसु ख्रीस्त स्वयं योहन बपतिस्ता का साक्ष्य देने हेतु उनके नाम का जिक्र करते हैं (मत्ती. 17. 10-13)।

एलियस और बाईबिल

धर्मग्रंथ में, एलियस रहस्यात्मक रुप से अचानक प्रकट होते हैं। वे एक छोटे कस्बे से आते हैं (1 राजा 17. 1) और अंत में अपने शिष्य एलिशा की उपस्थिति में, उसकी आंखों के सामने ही, अग्नि रूपी रथ में सवार होकर ओझल हो जाते हैं, जो उन्हें स्वर्ग की ओर ले चलता है (2 राजा 2. 11-12)। इस भांति उनकी उत्पत्ति में हम किसी विशिष्ट संबंध को नहीं पाते और उससे भी बढ़कर अंत में, मानो स्वर्ग की ओर उनका अपहरण कर लिया गया। यही कारण है कि मुक्तिदाता के आगमन से पहले, एक आगमवक्ता के रुप में हम उनके पुनः आने की चर्चा सुनते हैं।

धर्मग्रंथ एलियस को एक पारदर्शी विश्वासी व्यक्ति स्वरुप प्रस्तुत करता है जो उनके नाम में अभिव्यक्त होता है जिसका अर्थ है “याहेवा ईश्वर हैं” यह उनके प्रेरिताई के रहस्य को भी अपने में सम्माहित करता है। वे अपने जीवन के अंत तक ऐसे ही रहते हैं, एक निष्ठावान व्यक्ति, जो किसी बात में समझौता नहीं करते। उनकी निशानी को हम अग्नि स्वरुप देखते हैं जो ईश्वरीय शुद्धिकारण शक्ति को व्यक्त करती है। वे चुने हुए लोगों के विश्वास की निशानी हैं, जो परीक्षा और दुःखों के शिकार होते, लेकिन कभी उस आर्दश जीवन के प्रति असफल नहीं होते जिनके लिए वे बनाये गये हैं।

प्रार्थनामय जीवन

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि प्रार्थना उनके जीवन का सार है। यही कारण है कि मठवासी जीवन जीने वाले उनकी आध्यात्मिकता का चुनाव करते हुए उन्हें अपने समर्पित जीवन का पिता चुनते हैं। एलियस वे ईश सेवक हैं जो सर्वशक्तिमान ईश्वर के नाम की रक्षा करने हेतु आगे आते हैं। इन सारी बातों के बावजूद वे स्वयं अपने आप में असफलताओं के शिकार होते हैं। हमें यह कहने में कठिनाई की अनुभूति होती है कि कौन से अनुभव उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण रहे- कर्मेल पर्वत पर झूठें नबियों को पछाड़ना (1 राजा 18.20-40) या अपने में इस बात की आश्चर्यजनक अनुभूति कि वे अपने पूर्वजों से बेहतर नहीं हैं (1राजा 19.4)। वे जो प्रार्थना करते हैं अपने हृदय की गहराई में अपनी कमजोरियों का अनुभव करते हैं जो उनके लिए उमंग के क्षणों से भी अधिक महत्वपूर्ण होता है, ऐसी परिस्थिति में हम इस बात का एहसास करते हैं कि जीवन सफलताओं और जीतों की एक श्रृंखला है।

संत पापा ने कहा कि प्रार्थना में यह सदैव होता है प्रार्थना के क्षणों में हम जोश और उमंग का एहसास करते तो वहीं यह हमारे लिए दुःख, सूखेपन और परीक्षाओं को लेकर आती है। प्रार्थना ऐसा ही है जहाँ हम अपने को ईश्वर के द्वारा ऊपर उठाये जाने का अनुभव करते तो वहीं बुरी परिस्थितियों और परीक्षाओं में पड़ा हुआ पाते हैं। यही प्रार्थना की सच्चाई है जिसे हम धर्मग्रंथ, बुलाहट की कहानियों में पाते हैं, जिसे हम नये व्यवस्थान संत पेत्रुस और पौलुस के उदाहरणों में देख सकते हैं।

एलियस की प्रज्ञा

एलियस अपने जीवन को प्रार्थनामय चिंतन में व्यतीत करते हैं वहीं वे अपने समय की घटनाओं को लेकर चिंतित अपने उत्तरदायित्वों को पूरा करते हैं। वे राजा और रानी के विरूद्ध, जो नबोत की दाखबारी हड़पने हेतु उसे मार डालते हैं, अपने कार्यों को करते हैं (1 राजा 21. 1-24)। संत पापा ने कहा कि हममें से कितने विश्वासी, उत्साही ख्रीस्तीय हैं जो न्यायकर्ता के रुप में साहस के साथ अपने उत्तरदायित्वों को एलियस की तरह करते हुए कहते हैं, “ऐसा नहीं करना चाहिए, यह एक कत्ल है”। हमें एलियस की भांति शक्तिशाली होने की जरूरत है। वे हमें इस बात से रुबरू कराते हैं कि एक प्रार्थनामय जीवन व्यतीत करनेवाले व्यक्ति के जीवन में विरोधाभास नहीं होता है। वह ईश्वर के समाने खड़ा होता और अपने भाइयों की ओर जाता है जिनके लिए वह भेजा गया है।

प्रार्थना ईश्वर के सामने खड़ा होना और अपने हृदय को बंद करना नहीं है, यह प्रार्थना नहीं वरन दिखावा भरी प्रार्थना है। प्रार्थना ईश्वर से मुठभेड़ है जो हमें अपने भाइयों की सेवा हेतु निर्देशित करता है। प्रार्थना की परख अपने पड़ोसियों की सच्ची सेवा में होती है और इसके विपरीत : विश्वासी पहले चुप रहते और प्रार्थना करने के बाद दुनिया में कार्य करते हैं; अन्यथा उनके कार्य आवेशपूर्ण होते हैं, जहाँ हम विवेक का अभाव पाते हैं, जो एक लक्ष्य के बिना तेजी से चलना है और जब विश्वासी ऐसा करते हैं, तो वे बहुत सारे अन्याय करते हैं क्योंकि वे प्रभु के पास प्रार्थना करने नहीं जाते वे यह विचार नहीं कर पाते कि उन्हें क्या करना है।

एलियस की कहानी हम सभों के लिए

धर्मग्रंथ हमें बतलाता है कि एलियस के विश्वास में प्रगति हुई, वे अपने प्रार्थनामय जीवन में विकास करते और धीरे-धीरे परिशुद्ध होते हैं। राह चलते हुए उनके लिए ईश्वर का चेहरा स्पष्ट होता है। वे अपने अनुभव की चरमसीमा पर पहुंचते जब ईश्वर होरेब पर्वत पर उन्हें अपने को प्रकट करते हैं (1 राजा 19. 9-13) वे अपने को आंधी में नहीं, भूकम्प में नहीं और न ही धधकती आग में बल्कि शीतल वायु के मंद-मंद प्रवाह में प्रकट करते हैं। अपनी इस नम्र उपस्थिति में ईश्वर नबी एलियस से वार्ता करते हैं जो शांति खोये भाग रहे होते हैं। ईश्वर एक थके व्यक्ति से मिलने आते हैं जो अपने में यह अनुभव करता है कि वह अपने में असपफल हो गया है। वायु की धीमी प्रवाह, खामोशी के धागे में ईश्वर उनके हृदय को शांति और चैन से भर देते हैं।

संत पापा ने कहा कि यह नबी एलियस की कहानी है जो ऐसा प्रतीत होता है कि हम सभी के लिए लिखी गई है। अपने जीवन में कभी हम भी बेकार औऱ अकेलेपन का अनुभव कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में यह प्रार्थना है जो हमारे हृदयों के द्वार को दस्तक देगी। यदि हमने अपने जीवन में कोई गलती की है या हम अपने में भयभीत और सहमे हुए हैं, जब हम प्रार्थना में प्रभु की ओर आते हैं तो वे हमें अपनी चैन और शांति से भर देते हैं। यह हमें एलियस का उदाहरण सिखलाता है। 

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07 October 2020, 14:19