यूरोप के मनीवाल समिति से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस यूरोप के मनीवाल समिति से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  

मनिवाल से पोप : व्यापारियों को मानवता पर सट्टा लगाने से रोकना

संत पापा फ्राँसिस ने यूरोपीय समिति (मनिवाल) के विशेषज्ञों का वाटिकन में स्वागत किया।

उषा मनोरमा तरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 8 अक्टूबर 2020 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने काले धन को श्वेत करने एवं आंतकवाद को वित्तीय सहायता देने की समस्या का समाधान करने के लिए उठाये गये उपायों का मूल्यांकन करनेवाली यूरोपीय समिति (मनिवाल) के विशेषज्ञों का वाटिकन में स्वागत किया। उन्होंने उनके इस कार्य को, जीवन की रक्षा, पृथ्वी पर मानव जाति के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं आर्थिक प्रणाली जो कमजोर एवं सबसे जरूरतमंद लोगों को शोषित नहीं करती, उनसे नजदीकी से जुड़ा बताया।   

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "इस दोहरे मोर्चे पर आपका काम मेरे दिल के लिए विशेष रूप से प्रिय है।" यह हमारे लिए आवश्यक है कि हम रूपये के साथ हमारे संबंध पर पुनः चिंतन करें। ऐसा प्रतीत होता है कि कई स्थानों पर मानव व्यक्ति के ऊपर रूपये के प्रभुत्व को यों ही मान लिया जाता है। कभी-कभी, धन इकट्ठा करने के प्रयास में, यह कहाँ से यह आता है, उसपर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता, इससे अधिक या कम अवैध गतिविधियाँ उत्पन्न हो जाती हैं, और इसके पीछे शोषण के तंत्र शामिल होते हैं। इस प्रकार, ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं जहाँ, धन को छूने में, हमारे हाथों पर, हमारे भाइयों और बहनों के खून लग सकते हैं।

यह भी हो सकता है कि वित्तीय स्रोत, आतंक फैलाने के लिए, शक्तिशाली लोगों को सहारा देने और अपने भाई-बहनों के जीवन का बलिदान करने के लिए प्रयोग किया जाता है ताकि वे अपनी शक्ति को कायम रख सकें।

अपने नये विश्व पत्र फ्रतेल्ली तूत्ती का हवाला देते हुए संत पापा ने कहा कि "भय अथवा परमाणु, रसायनिक एवं जैविक भय में धन राशि खर्च करने की अपेक्षा, हमें संसाधनों का प्रयोग, भूखमरी दूर करने एवं गरीब देशों के विकास के लिए करना चाहिए ताकि उनके नागरिक हिंसक अथवा काल्पनिक हल के पीछे न पड़ें या उन्हें अधिक प्रतिष्ठित जीवन की खोज में अपना देश छोड़ना न पड़े।" 

संत पापा ने स्वीकार किया कि कलीसिया की सामाजिक शिक्षा ने नव उदार नीति की गलती को रेखांकित किया है जो मानती है कि आर्थिक और नैतिक व्यवस्था एक-दूसरे से पूरी तरह से अलग हैं और अर्थव्यवस्था, नैतिकता पर निर्भर नहीं है। 

संत पापा ने कहा कि इस आलोक में वर्तमान परिस्थिति से ऐसा लगता है कि पुराने व्यवस्थान में सोने के बछड़े की पूजा वापस हो गई है और पैसे की मूर्ति एवं एक अवैयक्तिक अर्थव्यवस्था की तानाशाही की निर्मम आड़ में, सच्चा मानवीय उद्देश्य की कमी हो गई है।”

मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद से मुकाबला करने की उद्देश्य वाली नीतियां पैसे की निगरानी और ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने का एक माध्यम है, जहां अनियमित या आपराधिक गतिविधियों का पता लगाया जाता है।

येसु ने मंदिर में खरीद बिक्री करनेवालों को भगा दिया था और कहा था, "आप ईश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते।" जब धन अपना मानवीय चेहरा खो देता है तब वह मानव की सेवा नहीं करता बल्कि लोगों को अपना गुलाम बना लेता है। यह एक प्रकार की मूर्तिपूजा है जिसका बहिष्कार कर, चीजों को सार्वजनिक भलाई के अनुरूप पुनः व्यवस्थित करने के लिए ही हम सभी बुलाये गये हैं। पैसे को सेवा करना चाहिए न कि शासन।

संत पापा ने कहा कि इन सिद्धांतों को लागू करने के लिए ही वाटिनक ने धनराशि की व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु नैतिक व्यवस्था का उपाय अपनाया है।

अंत में, संत पापा ने मनीवाल समिति के विशेषज्ञों को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि जिन उपायों का वे मूल्यांकन कर रहे हैं, वे एक "स्वच्छ वित्त" को बढ़ावा देने के लिए हैं, जिसमें "व्यापारियों" को उस पवित्र "मंदिर" में सट्टा लगाने से रोकता है, जो सृष्टिकर्ता की प्रेम योजना अनुसार "मानवता" है। संत पापा ने उनके कार्यों के लिए शुभकामना देते हुए उनसे अपने लिए प्रार्थना का आग्रह किया।      

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08 October 2020, 16:55