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सृष्टि की देखभाल हेतु मानव प्रतिष्ठा को बढ़ा दें

समग्र पारिस्थितिकी पर सम्मेलन में भाग लेनेवाले फोकोलारे मूवमेंट के सदस्यों को प्रेषित संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने कहा है कि मानव परिवार का आमहित एवं सृष्टि जगत, गरीबी तथा अन्याय पर शीघ्र कारर्वाई की मांग करता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 24 अक्तूबर 2020 (वीएन)- संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को ऑनलाईन सम्मेलन में भाग ले रहे प्रतिभागियों को सम्बोधित कर कहा कि हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जिसमें हमें एक नये और समावेशी सामाजिक – आर्थिक मिसाल की तत्काल जरूरत है जो इस सच्चाई को दर्शाता है कि हम "एक एकल मानव परिवार" हैं।

संत पापा ने अपना संदेश अंतरराष्ट्रीय ऑन लाईन सभा के प्रतिभागियों को दिया जो विश्व पत्र लौदातो सी की 5वीं सालगिराह को मनानेवाले कार्यक्रमों में से एक था।  

समग्र पारिस्थितिकी की ओर नया रास्ता

सम्मेलन की विषयवस्तु थी, "समग्र पारिस्थितिकी की ओर नया रास्ता" जिसका आयोजन "ईकोवन" के द्वारा किया गया था। फोकोलारे मूवमेंट की परिस्थितिकी पहल समग्र मानव विकास को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद एवं वैश्विक काथलिक जलवायु आंदोलन के सहयोग से किया गया था।

संत पापा ने गौर किया कि सभा में "मानवता की एक संबंधपरक दृष्टि और विभिन्न दृष्टिकोणों से हमारी दुनिया की देखभाल: नैतिक, वैज्ञानिक, सामाजिक और धार्मिक" पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि फोकोलारे मूवमेंट इस मुद्दे पर जागृति लाने में बढ़ावा देने हेतु अधिक कार्य कर पायेगी।    

एकता का कारिज्म

संत पापा ने फोकोलारे मूवमेंट की संस्थापक क्यारा लुबिक की दृढ़ता की याद की।जिनके अनुसार सृष्ट दुनिया अपने आप में एकता की विशिष्ठता धारण करती है। उन्होंने कहा, "उनका दृष्टिकोण यह पहचान करने में आपका मार्गदर्शन करे कि सब कुछ जुड़ा हुआ है और पर्यावरण के प्रति सच्ची चिंता के लिए आवश्यक है अपने मानव भाई बहनों के प्रति सच्चा प्रेम एवं समाज की समस्याओं को सुलझाने में अटूट प्रतिबद्धता।"

एक मानव परिवार  

संत पापा ने इस बात को उजागर किया कि आज हमें जागृति जाना है कि हम एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं, एक ही शरीर को साझा करनेवाले सहयात्री हैं, एक ही पृथ्वी की संतान हैं जो हमारा आमघर है।  

उन्होंने कहा कि यह एकात्मता "व्यावहारिक उपायों को विकसित करने और लागू करने की दृढ़ इच्छा की मांग करती है, जो उनके मानव, परिवार और कार्य संबंधों में सभी व्यक्तियों की गरिमा को बढ़ावा देते हैं, साथ ही साथ, वे गरीबी के संरचनात्मक कारणों का मुकाबला करते हुए प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए भी काम करते हैं।”

मन-परिवर्तन की जरूरत

संत पापा ने अपने संदेश के अंत में गहरे आंतरिक मन-परिवर्तन का आह्वान किया, व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दोनों स्तर पर। उन्होंने कहा कि हम अपने समय में बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं जिसमें धर्म को, “शोषण और स्वार्थ के तर्क को तोड़ने और एक शांत, सरल और विनम्र जीवन शैली अपनाने का बढ़ावा देने में सहयोग देना चाहिए। 

 

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24 October 2020, 15:07