बुजूर्गों की देखभाल बुजूर्गों की देखभाल  संपादकीय

बीमारों की देखभाल में, प्यार करने की शिक्षा

जीवन के अंतिम चरण पर कलीसिया की धर्मशिक्षा को "समारितानुस बोनुस" (भला समारी) द्वारा प्रेरितिक स्वर में फिर से प्रस्तावित किया गया है : अंत तक व्यक्ति की देखभाल की जानी चाहिए एवं स्नेह से उनके नजदीक रहना चाहिए।

अंद्रेया तोरनेल्ली

ऐसा कहना कि व्यक्ति जो लाइलाज है देखभाल नहीं किये जाने का पर्यायवची नहीं है। यह विश्वास के सिद्धांत के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के पत्र समारितानुस बोनुस को समझने की कुँजी है जिसकी विषयवस्तु है, "विकट समय एवं जीवन के अंतिम चरण में व्यक्ति की देखभाल।"

जीवन के मूल्य के बारे में आम चेतना खोने और सार्वजनिक बहस के बीच अक्सर कुछ मामले जो समाचार बनते हैं, दस्तावेज़ स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि "जीवन का अपरिवर्तनीय मूल्य प्राकृतिक नैतिक कानून और कानूनी आदेश का एक अनिवार्य आधार है।” अतः "हम किसी के जीवन को सीधे खत्म करने की नहीं सोच सकते, चाहे वह इसके लिए आग्रह ही क्यों न करें।"

इस दृष्टिकोण से, समारितानुस बोनुस में कुछ भी नया प्रस्तुत नहीं किया गया है। वास्तव में, कलीसिया की शिक्षा ने इच्छामृत्यु के किसी भी रूप अथवा आत्महत्या को बारम्बार 'नहीं' कहा है तथा व्याख्या दी है कि बीमार व्यक्ति के लिए भोजन एवं पेयजल को सबसे आवश्यक चीज के रूप में आपूर्ति की जानी चाहिए। कलीसिया की शिक्षा ने आक्रामक चिकित्सा उपचार का भी विरोध किया है क्योंकि ऐसे मामले में जब मौत अपरिहार्य है यह विज्ञान और विवेक के अनुसार वैध है कि उपचार केवल जीवन के एक अनिश्चित समय या दर्दनाक स्थिति को बढ़ाता है”।

इस तरह यह पत्र, हाल में संत पापाओं ने जो शिक्षा दी है उसे पुनः खोल रहा है। इस क्षेत्र में यह अनुमोदक कानून के कारण आवश्यक है। नवीनता प्रेरितिक स्वर है जिसे उन पन्नों पर सुना जा सकता है जो जीवन के अंतिम चरण में रोगियों का साथ देते एवं उनकी देखभाल करते हैं। इन लोगों की देखभाल करना केवल चिकित्सा परिप्रेक्ष्य तक सीमित नहीं होना चाहे। यह एक "कोरल" उपस्थिति की सिफारिश करता है ताकि रोगी को स्नेह से, साथ दिया जा सके। परिवार का संदर्भ महत्वपूर्ण है। परिवार के लिए "मदद और पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता है"। राज्य सरकारों को "परिवार के प्राथमिक, मौलिक और अपरिवर्तनीय सामाजिक कार्य ... को समर्थन देने के लिए संसाधन और संरचनाएं प्रदान करने की आवश्यकता है।" संत पापा फ्राँसिस ने हमेशा याद दिलाया है कि परिवार हमेशा सबसे निकट का अस्पताल है। आज भी विश्व के कई हिस्सों में, अस्पताल कुछ ही लोगों का विशेषाधिकार बन गया है और यह बहुधा लोगों की पहुँच से दूर है।

मीडिया में चर्चा किए गए कई मामलों की याद दिलाने के अलावा, समारितानुस बोनुस हमें उन लोगों के साक्ष्य को भी देखने में मदद देता है जो पीड़ित हैं और जो उनकी देखभाल कर रहे हैं। असाध्य बीमारी से पीड़ित या अचेत अवस्था में पड़े लोगों के प्रति प्रेम, त्याग, समर्पण के कई साक्ष्य उनके माता-पिता, बच्चों, पोते-पोतियों आदि में देखने को मिलता है जो हजारों कठिनाईयों के बावजूद प्रतिदिन उन्हें चुपचाप सह लेते हैं।  

अपनी आत्मकथा में, कार्डिनल एंजेलो स्कोला ने एक घटना का वर्णन किया है जो वर्षों पहले हुआ था: वेनिस में प्रेरितिक यात्रा के दौरान एक दिन जब वे बीमार व्यक्ति के घर से निकल रहे थे, स्थानीय धर्माध्यक्ष ने उनके ही समान एक व्यक्ति के बारे बतलाया जो विवेकशील था। तीन सप्ताह पहले उनके अत्यन्त विकलांग बेटे का देहांत हो गया था जो न बोल सकता था और न चल सकता था। वह व्यक्ति अपने बेटे को रात और दिन मदद करता था और अपनी उपस्थिति से राहत देने की कोशिश करता था। वह उसे एक ही बार छोड़ता था, जब वह रविवार को गिरजा जाता था। उस व्यक्ति को देखकर उन्हें थोड़ी परेशानी हुई जैसा कि पुरोहितों के साथ बहुधा होता है। फिर भी उन्होंने अपना कर्तव्य समझकर कहा, "ईश्वर आपको इसका पुरस्कार देंगे।" तब मुस्कुराते हुए उस पिता ने कहा, "स्वामी जी वास्तव में, मैंने बहुत कुछ पा लिया है क्योंकि उसने मुझे समझा दिया है कि प्यार का मतलब क्या होता है।"

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22 September 2020, 22:20