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सृष्टिकर्ता के साथ शांति, सृष्टि के साथ सामंजस्य

सृष्टि की देखभाल हेतु विश्व प्रार्थना दिवस और सृष्टि काल के अवसर पर अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने जयन्ती वर्ष का बाईबिल के अनुसार महत्व पर प्रकाश डाला। सृष्टि काल की विषयवस्तु है "पृथ्वी की जयन्ती"।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिक सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 1 सितम्बर 2020 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने 1 सितम्बर सृष्टि की देखभाल हेतु विश्व प्रार्थना दिवस के अवसर पर एक संदेश प्रकाशित कर विश्वभर के ख्रीस्तीय विश्वासियों का आह्वान किया कि वे सृष्टिकर्ता ईश्वर पर अपने विश्वास को नवीकृत करें तथा हमारे आमघर की देखभाल हेतु प्रार्थना और कार्य में सहभागी हों।

उन्होंने कहा, "मुझे बहुत खुशी है कि 2020 के सृष्टि काल को मनाने के लिए पारिस्थितिकी परिवार द्वारा चुनी गई विषयवस्तु, "पृथ्वी की जुबली" है जब पृथ्वी दिवस की पचासवीं वर्षगांठ मनायी जा रही है।

संत पापा ने संदेश में बतलाया कि पवित्र धर्मग्रंथ में जयन्ती वर्ष को यादगारी, लौटने, विश्राम करने, वापस पाने और खुशी मनाने के पवित्र समय के रूप में मनाया जाता है।

यादगारी का समय

संत पापा ने कहा, "हमें यह याद रखने के लिए आमंत्रित किया जाता है कि सृष्टि का अंतिम लक्ष्य ईश्वर के शाश्वत विश्राम में प्रवेश करना है। हालांकि, यह यात्रा, सात दिनों की एक सप्ताह, सात वर्षों के चक्र और सात विश्राम वर्षों के अंत में आने वाले महान जयंती वर्ष के दौरान होती है।"

जयन्ती निश्चय ही एक कृपा का समय है, प्रेम के समुदाय में रहने और बढ़ने की सृष्टि की मौलिक बुलाहट को याद करने का समय है। हमारा अस्तित्व सिर्फ रिश्तों में : सृष्टिकर्ता ईश्वर के साथ और आम परिवार के सदस्यों के रूप में हमारे भाई बहनों के साथ बरकरार रह सकता है। सब कुछ जुड़ा हुआ है एवं हम मानव प्राँणी एक अनोखी तीर्थयात्रा में भाई-बहनों के रूप में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं ईश्वर ने अपने प्रत्येक प्राणी के लिए प्रेम का परिचय दिया है जो हमें भाई सूरज, बहन चांद और धरती माँ के साथ स्नेह से जोड़ता है।   

अतः जुबली यादगारी का समय है जिसमें हम अंतर-संबंधपरक अस्तित्व की याद को सुदृढ़ करते हैं। हमें सदा याद रखना चाहिए कि सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है, और प्रकृति के साथ हमारे अपने जीवन एवं संबंधों के लिए वास्तविक देखभाल, भाईचारा, न्याय और दूसरों के प्रति विश्वास से अविभाज्य है।

लौटने का समय

संत पापा ने कहा, "जुबली प्रायश्चित कर वापस लौटने का समय है। हमने सृष्टिकर्ता, अपने भाई-बहनों एवं सृष्टि के साथ हमारे संबंध को तोड़ दिया है। हमें उस टूटे रिश्ते को जोड़ना है।"  

जुबली ईश्वर हमारे प्रेमी सृष्टिकर्ता के पास लौटने का समय है। हम सृष्टि के साथ सामंजस्य से तब तक नहीं रह सकते जब तक कि हम सृष्टिकर्ता के साथ शांति से नहीं रहते हैं जो कि सभी चीजों के स्रोत एवं उदगम हैं।

जयन्ती काल हमें अपने पड़ोसियों के बारे पुनः सोचने के लिए प्रेरित करता है, विशेष कर गरीब एवं सबसे कमजोर लोगों के बारे। यह शोषितों और आधुनिक गुलामी के शिकार विभिन्न रूपों में व्यक्तियों और बाल श्रमिकों की तस्करी में फंसे लोगों को मुक्त करने का समय है।  

आराम करने का समय

अपनी प्रज्ञा में ईश्वर ने विश्राम दिवस को अलग किया ताकि भूमि और उसपर निवास करने वाले लोग आराम कर सके एवं पुनः ताजगी प्राप्त कर सकें। जबकि इन दिनों हमारी जीवनशैली ग्रह को सीमा के पार ढकेल रही है। विकास, उत्पादन एवं उपभोग की अत्यधिक मांग प्रकृति जगत को समाप्त कर रही है जिसके कारण सृष्टि कराह रही है। अतः आज हमें जीवन जीने के ऐसे तरीकों को खोजने की जरूरत है जो सही और स्थायी हो, जो पृथ्वी को उसके बाकी हिस्सों की आवश्यकता पूरी कर सके, जो हर किसी को पर्याप्तता से संतुष्ट कर सके, जो हमें बनाए रखनेवाले पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट न करे।

जुबली भूमि और सृष्टि की आवाज सुनने एवं प्राकृतिक के व्यवस्थित क्रम में लौटने का समय है। यह याद करने का समय कि हम इस प्रकृति के हिस्से हैं इसके स्वामी नहीं।

संत पापा कहते हैं कि जैव विविधता के विघटन, जलवायु आपदाओं और गरीबों एवं कमजोरों पर वर्तमान महामारी का अनुचित प्रभाव, "हमारे अनियंत्रित लालच और उपभोग के चेहरे पर मुखौटा" है।

ऋण माफ करना

संत पापा ने कहा है कि जयन्ती न्याय पाने का समय है। सबसे कमजोर देशों के लिए ऋण माफ करने का समय। कोविद -19 के परिणामस्वरूप वे चिकित्सा, सामाजिक और आर्थिक संकटों के गंभीर प्रभावों की पहचान करते हैं।

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01 September 2020, 16:07