पृथ्वी पृथ्वी  

पृथ्वी की चंगाई हेतु मानवता के मन-परिवर्तन की आवश्यकता

संत पापा फ्राँसिस ने गुरूवार 3 सितम्बर को लौदातो सी विषय पर फ्राँस के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के साथ सहयोग करनेवाले विशेषज्ञों के एक दल का, वाटिकन में स्वागत किया तथा उनके कार्य के लिए प्रोत्साहन दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 3 सितम्बर 20 (रेई)- संत पापा ने कहा, "हम एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं, हम आमघर में जीने के लिए बुलाये गये हैं जिसके पतन के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। स्वास्थ्य संकट जिसका सामना मानव इस समय कर रहा है, हमारी दुर्बलता की याद दिलाता है। हम समझते हैं कि हम कितने हद तक एक-दूसरे से जुड़े हैं और एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जिसके संसाधनों को साझा करते हैं और इसके दुरूपयोग के गंभीर परिणाम देख रहे हैं, न केवल पर्यावरण में किन्तु सामाजिक एवं मानवीय परिस्थितियों में भी। 

पारिस्थितिक जागरूकता

पारिस्थितिकी के प्रति जागरूकता को अब हर जगह महसूस किया जा रहा है जिसके कारण पर्यावरण का मुद्दा बढ़ रहा है। हर स्तर पर विचार किया जा रहा है एवं यह राजनीतिक और आर्थिक चुनाव को भी प्रभावित कर रहा है। फिर भी, बहुत कुछ करना बाकी है और हम अब भी बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहे।  

अपनी ओर से काथलिक कलीसिया आमघर की सुरक्षा हेतु प्रतिबद्धता में पूरी तरह सहभागी होना चाहती है। इसके पास प्रस्ताव रखने के लिए कोई तैयार हल नहीं हैं और न ही दांव पर लगी तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों की कठिनाइयों को ही यह नजरअंदाज करती है किन्तु यह ठोस रूप में कार्य करना चाहती है और सबसे बढ़कर यह गहरी और स्थायी पारिस्थितिक मन-परिवर्तन को बढ़ावा देना चाहती है क्योंकि सिर्फ यही उन चुनौतियों का जवाब दे सकती है जिसका सामना हम कर रहे हैं।

संत पापा ने पारिस्थितिक मन-परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए उन तरीकों को साझा किया, जो विश्वास की दृढ़ता द्वारा ख्रीस्तियों को प्रकृति एवं कमजोर भाई-बहनों की रक्षा करने हेतु महान प्रेरणा प्रदान करती है।

बाईबिल एवं मन-परिवर्तन

उन्होंने कहा, "बाईबिल सिखलाता है कि विश्व की सृष्टि संयोग से नहीं बल्कि ईश्वर की योजना से हुई है, जिसको उन्होंने प्रेम से बनाया है। विश्व सुन्दर और अच्छा है। यह सृष्टिकर्ता की महानता एवं असीम सुन्दरता की झलक प्रस्तुत करता है। हर सृष्ट वस्तु को पिता की कोमलता प्राप्त है जो उन्हें विश्व में स्थान प्रदान करते हैं। ख्रीस्तीय, उस कार्य का सम्मान किये बिना नहीं रह सकते, जिसको पिता ने उन्हें सौंपा है, जैसे कि खेती करने, उनकी देखभाल करने एवं एक बगीचे की तरह उसे बढ़ाने के कार्य, और यदि मानव को प्रकृति का उपयोग करने का अधिकार मिला है फिर भी वह किसी भी तरह से अपने आपको इसका मालिक नहीं समझ सकता, बल्कि वह केवल प्रबंधक है जिसको अपने प्रबंध का हिसाब देना है। उद्यान जिसको ईश्वर ने हमें प्रदान किया है हम इसमें सुसमाचार में येसु द्वारा बतलाये, सौहार्द, न्याय और शांति से जीने के लिए बुलाये गये हैं।"

संत पापा ने कहा, "जब प्रकृति को केवल एक लाभ एवं फायदा की वस्तु समझा जाता है, एक दर्शन जो शक्तिशाली की इच्छा को समेकित करता है तब सौहार्द बिगड़ जाता है तथा असमानता, अन्याय एवं पीड़ा उत्पन्न हो जाते हैं।"   

संयुक्तता

संयुक्तता की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा, "उदासीनता, स्वार्थ, लालच, घमंड, मालिक होने का दावा करता तथा दुनिया की निरंकुशता मानव प्राणी पर शासन करती है, यह एक ओर प्रजातियों को नष्ट करती तथा प्राकृतिक संसाधनों को लूटती है, दूसरी ओर, शोषण का शिकार होने के लिए, महिलाओं और बच्चों के काम का दुरुपयोग कर, परिवार के नियमों को पलटने के लिए, गर्भाधान से प्राकृतिक अंत तक मानव जीवन के अधिकार का सम्मान नहीं करती है।”

अपने प्रेरितिक पत्र लौदातो सी का हवाला देते हुए संत पापा ने जोर दिया कि "यदि पर्यावरण संकट एक उद्भव है या नैतिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संकट आधुनिक युग की एक बाहरी अभिव्यक्ति है, तब हम अपने आप को भ्रम में नहीं डाल सकते कि हम मूलभूत मानवीय रिश्ते को कायम रखे बिना, प्रकृति एवं पर्यावरण के साथ अपने संबंध को बनाये रख सकते हैं। अतः हमारे आमघर को चंगा करने के लिए सबसे पहले मानव हृदय को चंगा होने की जरूरत है।  

संत पापा ने पर्यावरण रक्षा दल के लिए अपना प्रोत्साहन दुहराते हुए कहा, "चाहे ग्रह पर स्थितियाँ विनाशकारी दिखाई दें और कुछ स्थितियां अपरिवर्तनीय भी लगे किन्तु हम ख्रीस्तीय आशा नहीं खोते, क्योंकि हमारी नजरें येसु ख्रीस्त पर टिकी हुई हैं।"

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03 September 2020, 16:33