संत फ्राँसिस असीसी बसीलिका संत फ्राँसिस असीसी बसीलिका 

उपहार के रूप में भाई, संत फ्रांसिस असीसी का अनुभव

संत फ्रांसिस के लिए भाईचारा एक अमूर्त सिद्धांत नहीं था, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति ईश्वर की ओर से दिया गया एक ठोस उपहार था। आज भी, असीसी के "पॉवरेलो" हमें याद दिलाते हैं कि अगर हम खुद को एक पिता की संतान के रूप में नहीं देखते हैं तो हम वास्तव में भाई-बहन नहीं बन सकते।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 16 सितम्बर 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत फ्रांसिस असीसी ने संत पापा को प्रेरित करना जारी रखा है। इतिहास में उनका नाम लेने वाले वे पहले परमाध्यक्ष हैं। संत फ्रांसिस द्वारा सृष्टि की रचना के साथ ईश्वर की स्तूति ने पाँच साल पहले संत पापा फ्राँसिस को प्ररितिक उद्बोधन ‘लौदातो सी’ लिखने के लिए प्रेरित किया।  इस बार, अपने नए प्रेरितिक पत्र ‘भाईचारा’ (सामाजिक मित्रता) पर केंद्रित है जिसपर वे आने वाले 3 अक्टूबर को ठीक उसी जगह हस्ताक्षर करेंगे, जहाँ संत फ्रांसिस रहा करते थे।

सभी उपहारों से श्रेष्ठ ‘भाई’

लेकिन संत फ्रांसिस के लिए कौन भाई हैं? एक अंतरंग और खुलासा प्रतिक्रिया उनके वसीयतनामा की शुरुआत में मिलती है, जहां उसने मसीह के नेतृत्व में एक कोढ़ी से मुलाकात की। उसे कोढ़ियों से घृणा थी। उन्होंने कहा, "और उसके बाद प्रभु ने मुझे भाइयों को दिया, किसी ने मुझे नहीं दिखाया कि मुझे क्या करना है, लेकिन वही सर्वोच ईश्वर ने मुझे बताया कि मुझे पवित्र सुसमाचार के अनुसार जीवन जीना है।"

संत फ्रांसिस कहते हैं कि उनके भाई ईश्वर की ओर से दिये गये सभी उपहारों से स्रेष्ठ हैं। वे अप्रत्याशित और ईमानदार उपहार हैं, क्योंकि वे उसे एक नई स्थिति का सामना कराते हैं जिसने उसे "मजबूर" किया कि वह प्रभु से मदद मांगे क्योंकि किसी को नहीं पता था कि उसे क्या करना है।

हमारे लिए, हमारे भाई सृष्टिकर्ता की अनमोल रचना हैं, हम में से प्रत्येक के लिए स्वतंत्र रूप से दिये गये हैं और इस प्रकार हम उन्हें चुन नहीं सकते हैं और न ही उनपर अधिकार जता सकते हैं, लेकिन केवल उनका स्वागत करते हैं और उनसे प्यार करते हैं क्योंकि वे अपनी कमजोरी और विविधता के साथ हैं, उन मतभेदों को (कई बार असहमति) जो अंत में केवल प्रभु पुनर्मिलन करा सकते हैं क्योंकि, संत पापा फ्राँसिस कहते हैं कि हम सद्भाव पैदा नहीं करते हैं, यह पवित्र आत्मा करता है।

मनपरिवर्तन

हम सभी भाई हैं क्योंकि हम सभी एक ही पिता की संतान हैं। इसलिए कोई एक दूसरे के लिए अजनबी नहीं है। संत फ्रांसिस के जीवन में क्रांति के परिप्रेक्ष्य में यह परिवर्तन उन्हें आश्चर्यजनक विकल्प बनाने के लिए प्रेरित करता है, जैसे कि मिस्र के सुल्तान से मुलाकात हेतु उनकी प्रसिद्ध यात्रा। यह असीसी के संत के मनपरिवर्तन का परिणाम है और हम प्रत्येक पुरुष और महिला के मनपरिवर्तन के बारे में कह सकते हैं जिसने व्यक्तिगत रूप से ईसा मसीह के साथ मुलाकात की है। वास्तव में अगर हम हमारे लिए पिता ईश्वर के सामान्य प्रेम की परियोजना को नहीं पहचानते हैं, तो भाई होना ही काफी नहीं है। खुद भाई काईन ने हाबिल को मार डाला। काईन ने उसे मार डाला क्योंकि नफरत ने उसकी आँखों को सील कर दिया था जिससे वह पिता के प्यार को नहीं देख सकता था और अपने भाई को भी नहीं पहचान पाया।

सुसमाचारी जीवन

संत फ्रांसिस असीसी के लिए भाईचारा एक "स्थिर" उपहार और अपने आप में एक अंत नहीं है। यह उदारता से बढ़ता और पोषित होता है। इसके अलावा, यह हमेशा शांति की ओर बढ़ता है। भाई और बहनों के बीच का रिश्ता एक आयाम को विकसित करता है जिसमें सबकी सहभागिता होती है। अपने भाइयों के साथ मुलाकात के बाद ही ईश्वर ने संत फ्रांसिस को प्रकट किया कि उसे सुसमाचारी जीवन जीना चाहिए,और इससे भी आगे जाना होगा: उसे खुद को  "पवित्र सुसमाचार" बनाना होगा। और संत फ्रांसिस ने सही रुप में सुसमाचार को जीया।

इटली के संरक्षक संत

संत फ्रांसिस इटली के संरक्षक संत हैं। पिता ईश्वर के प्रति उनका प्रेम जिस तरह से बढ़ता गया उतना ही अपने भाइयों और सृष्टि की हर वस्तु के प्रति आदर सम्मान बढ़ने लगा। उसके लिए सूर्य भाई था और चंद्रमा बहन।

आठ शताब्दियों के बाद, हर प्रकार के अवरोध के निर्माण के बावजूद, दुनिया अभी भी भाईचारे और पितृत्व के लिए प्यासी है। यह वही है जो लगातार खोज रहा है। संत फ्रांसिस असीसी की गवाही, जो हर किसी के लिए भाई बनना चाहता था, वह हमेशा की तरह समकालीन है। वे अभी भी हमें और संत पापा फ्राँसिस को, भाईचारे के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

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16 September 2020, 14:51