संत पापा जॉन पौल प्रथम संत पापा जॉन पौल प्रथम 

जॉन पौल I : द्वितीय वाटिकन महासभा में, मुस्कुराते पोप का विश्वास

कार्डिनल अल्बीनो लुचीयानी 26 अगस्त को आज से 42 साल पहले संत पापा नियुक्त किये गये। विशेषज्ञ वर्तमान समय में उसके तथाकथित चमत्कार की जांच पड़ताल कर रहे हैं जिससे संत पापा जोन पौल प्रथम की धन्य घोषिणा आगे बढ़ा सके।

दिलिप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरूवार, 27 अगस्त 2020 (रेई) संत पापाओं के कार्यकाल के इतिहास में सबसे छोटी अवधि तक संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी रहे संत पापा जोन पौल प्रथम को कलीसिया की बलि वेदी पर सम्मान मिलेगा।

संत पापा जोन पौल प्रथम मात्र 34 दिन तक ही संत पेत्रुत के सिंहासन के अधिकारी रहे लेकिन इतने थोड़े समय में ही उनके द्वारा दिया गया साक्ष्य कलीसिया में आज भी मूर्त रूप में बरकरार है जिसे कलीसिया के अधिकारी आज भी स्वीकार करते हैं जो इटली और सीमांतों में भी सम्मान की नजरों से देखे जाते हैं।

आज से 42 साल पहले अल्बीनो लुचीयानी, वेनिस के आचार्य वैश्विक काथलिक कलीसिया के अधिकारी नियुक्ति के चौथे चरण में 26 अगस्त 1978 को संत पापा चुने गये। उन्होंने कलीसिया के दो पूर्व संत पापाओं जोन 13वें और पौल 6वें को अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए उनके नामानुरूप अपने लिए दो नामों “जॉन पौल” को चुना। पहले ने उन्हें भित्तोरियो भेनेतो का धर्माध्यक्ष नियुक्त किया तो वहीं दूसरे ने उन्हें वेनिस में तबादला करते हुए कार्डिनल के पद पर प्रतिष्ठापित किया।

मुस्कुराते संत पापा

एक महीने की अपने कार्य अवधि में ही संत पापा जोन पौल प्रथम ने संचार माध्यमों के जारिये अपने लिए “मुस्कुराते संत पापा” एक उपाधि हासिल की। उनका नम्र स्वभाव दुनिया के सामने इस बात को प्रकट करता है कि उनकी आध्यात्मिक सुस्पष्टता और प्रेरितिक ऊर्जा अपने में कभी भी कम नहीं थी। उनका यह साक्ष्य द्वितीय वाटिकन महासभा में उनके मनोभावों और किये गये कार्यों द्वारा प्रमाणित होता है।

वैश्विक कलीसिया की सांसें

वाटिकन द्वितीय महासभा के कार्य सत्रों के दौरान संत पापा ने वैश्विक कलीसिया के अनुभवों को गहराई से जीया। सभागार में, उन्होंने अपने धर्मप्रांत के विश्वासियों को सन् 1963 में लिखा,“यह मेरे काफी है कि मैं अपनी निगाहें अपने कदमों की ओर उठा सकता हूँ जो मेरे सामने हैं। ये वे हैं, प्रेरितिक धर्माध्यक्षों की दाढ़ी,  अफ्रीकावासियों के काले चेहरे, एशियावासियों के उभरे हुए चेहरे की हड्डियाँ।” उनके साथ अपने थोड़े शब्दों को साझा करना ही काफी है और आवश्यकताओं की क्षितिज उभर कर आती है, जिसके बारे में हमें पता नहीं चलता। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति “ख्रीस्तीयता आशावादी” सांसों को अनुभव करता है जो वाटिकन महासभा के फलहित होने की प्रतिज्ञा है, जो "व्यापक निराशावाद" सापेक्षतावादी संस्कृति के खिलाफ है।

धन्य घोषणा की ओर

संत पापा जॉन पौल प्रथम को संत घोषित करने की प्रक्रिया 2003 से शुरू की गई है। तीन सालों के धर्मप्रांतीय स्तर के कार्यों के उपरांत उनके दस्तावेज 2006 में रोम पहुँचें और “पोसीतो” (संत घोषणा हेतु औपचारिक तर्क) विशेषज्ञों द्वारा निरीक्षण में है। नवंबर 2017 में उनसे संबंधित दस्तावेजों की  सावधानीपूर्वक जांच-पड़ताल पूरी की गई। धन्य घोषणा हेतु एक चमत्कार जिसका अध्ययन अभी जारी है जो बोयनस आईरेस धर्मप्रांत में सन् 2011 में उनकी मध्यस्थ प्रार्थना द्वारा हुआ था। 

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27 August 2020, 14:34