नाईरोबी में 26 जुलाई को अपने प्रार्थनालय में प्रार्थना करते लेजो मरिया के श्रद्धालु नाईरोबी में 26 जुलाई को अपने प्रार्थनालय में प्रार्थना करते लेजो मरिया के श्रद्धालु 

कोविद -19 के दौरान विश्वास को जीने पर सर्वेक्षण

रोम के परमधर्मपीठीय उर्बानियन विश्व विद्यालय ने अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया में यह समझने के लिए एक सर्वेक्षण की पहल की है कि कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों ने अपने विश्वास को किस तरह जीया एवं कलीसिया के करीब रहे।

उषा मनोरम ातिरकी-वाटिकन सिटी

रोम, शुक्रवार, 7 अगस्त 2020 (वीएन) – रोम के परमधर्मपीठीय उर्बानियन विश्व विद्यालय ने अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया में यह समझने के लिए एक सर्वेक्षण की पहल की है कि कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों ने अपने विश्वास को किस तरह जीया एवं कलीसिया के करीब रहे।  

परमधर्मपीठीय उर्बनियन विश्वविद्यालय के कलीसियाई कानून विभाग एक सर्वेक्षण कर रहा है जिसकी विषयवस्तु है, "कोविड-19 महामारी के समय विश्वास को जीना।" सर्वेक्षण की अवधि 29 जून से 15 अगस्त है जिसमें अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया में सर्वेक्षण किया जा रहा है।

कलीसिया के जीवन में भारी बदलाव

लुस मिस्सियोनाले पत्रिका के निदेशक एलियस फ्रैंक ने सर्वेक्षण जारी किया है और कहा है कि "हम काथलिक रविवारीय मिस्सा बलिदान में भाग लेने, पापस्वीकार करने एवं अन्य धार्मिक अभ्यासों के आदी हैं किन्तु कोविड-19 ने बिना किसी पूर्व सूचना के कई देशों में विश्वास के उस जीवन को चकनाचूर कर दिया है।"

संत पापा द्वारा की गई महामारी की तूफान से तुलना को लेते हुए फैंक ने लिखा है कि "कलीसिया ख्रीस्त का धड़कता शरीर है। कलीसिया चट्टान पर निर्मित है वह हर प्रकार के तूफान से उबर जायेगी, हालांकि, विश्वासी तूफान का अत्यधिक दबाव महसूस कर रहे हैं जैसा कि चेले भी आंधी की चपेट में आ गये थे। (मती. 8, 25 मार. 4,38; लूक. 8,24).”

विश्लेषण करने के लिए सर्वेक्षण

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने हेतु लिये गये उपायों के कारण गिरजाघर बंद हो गये हैं और विश्वासी संस्कारों से वंचित हैं। इस नई परिस्थिति में जी रहे विश्वभर के काथलिकों का सर्वेक्षण परमधर्मपीठीय उर्बनियन विश्वविद्यालय यह जानने की उम्मीद से कर रहा है कि गिरजाघरों के बंद होने पर विश्वासियों की क्या प्रतिक्रिया है और वे अपने विश्वास को किस तरह जी रहे हैं। 

सर्वेक्षण में लोकधर्मी, पुरोहित, धर्मसमाजी शामिल हैं जिनपर अध्ययन किया जा रहा है कि वे इस बदले परिवेश में अपने विश्वास को किस तरह जी रहे हैं। 

इसके लिए कई बुनियादी सवालों का प्रस्ताव रखा गया है जैसा कि सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबंध, उपायों के परिणाम और उन उपायों के लिए लोगों का सहयोग।

दूसरे भाग में तालाबंदी के दौरान कलीसिया के प्रत्युत्तर एवं विश्वासियों के संस्कारीय जीवन पर प्रकाश डाला गया है।

प्रोत्साहन दिया गया है कि कोरोना वायरस महामारी का सामना करने के लिए किये गये विशेष कार्यों के संबंध में फोटो और वीडियो भी अपलोड किया जाए।

सर्वेक्षण के परिणाम  का प्रकाशन

सर्वेक्षण के परिणाम को उर्बनियन विश्वविद्यालय के कैनन लॉ विभाग द्वारा प्रकाशित पत्रिका लुस मिस्सियोनाले में प्रकाशित किया जाएगा। सर्वेक्षण में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की पहचान सार्वजनिक नहीं की जायेगी।  

अफ्रीका, एशिया या ओशिया के कोई भी व्यक्ति इस सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए निमंत्रित हैं और वे यहाँ क्लिक कर इसमें जुड़ सकते हैं।

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08 August 2020, 13:55