आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा  

प्रार्थना मानवीय जीवन का आधार, आमदर्शन समारोह में संत पापा

प्रार्थना की धर्मशिक्षा माला में संत पापा ने राजा दाऊद की प्रार्थना पर चिंतन किया। वह ईश्वर की चुनी हुई प्रजा के इतिहास में एक अति महत्वपूर्ण कार्य हेतु ईश्वर से चुना गया था। सुसमाचार में हम येसु को कई बार “दाऊद के पुत्र” कहे जाते हुए सुनते हैं, वास्तव में, उनका जन्म दाऊद की तरह ही बेतलहेम में हुआ था।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 24 जून 2020 (रेई)- संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन के प्रेरितिक पुस्तकालय से सभी का अभिवादन करते हुए कहा, “प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।”

प्रार्थना की अपनी धर्मशिक्षा माला में आज हम राजा दाऊद की प्रार्थना पर चिंतन करते हैं। वह ईश्वर की चुनी हुई प्रजा के इतिहास में एक अति महत्वपूर्ण कार्य हेतु, ईश्वर की ओर से चुना गया था। सुसमाचार में हम येसु को कई बार “दाऊद के पुत्र” कहे जाते हुए सुनते हैं, वास्तव में, उनका जन्म दाऊद की तरह ही बेतलहेम में हुआ था। ईश्वर की प्रतिज्ञा के अनुसार मसीह को दाऊद के वंश से आना था, एक राजा जो ईश्वरीय हृदय के अनुरुप पिता के प्रति पूर्ण आज्ञाकारी हो, जिनका कार्य पूर्ण निष्ठा में मुक्ति के कार्यों को परिलक्षित करता हो (सीसीसी 2579)।

एक चरवाहा

दाऊद के इतिहास की कहानी बेतलेहम के पहाड़ियों में शुरू होती है, जहाँ वह अपने पिता जेस्से की भेड़ों को चराया करता था। वह अपने कई भाइयों में सबसे छोटा था। जब नबी साम्मुएल ईश्वर की आज्ञा अनुसार नये राजा की नियुक्ति हेतु निकला तो ऐसा प्रतीत होता है मानो उसका पिता उसे एकदम भूल गया हो (1 सामु.16.1-13) वह खुली हवा में विचरण करता है, हम उसे वायु के मित्र की तरह देख सकते हैं, जो सूर्य की किरणों, प्रकृति में सराबोर है। उसकी मित्रता केवल सरंगी के साथ है जो उनके हृदय को सुकून पहुंचाती है, जिसका वादन करते हुए वह लम्बे एकांत समय में ईश्वर की स्तुति गाता है।

दाऊद, इस भांति सर्वप्रथम अपने में एक चरवाहा है। वह अपने जानवरों की देख-रेख करता, उन्हें चराता और खतरों से उनकी रक्षा करता है। दाऊद जब ईश्वर की योजना अनुसार उनके कार्यों, चुनी हुई प्रजा की देख-रेख हेतु नियुक्त किया गया तो उनके कार्यों में कोई अंतर नहीं हुआ। यही कारण है कि धर्मग्रंथ बाईबल में हम चरवाहे के प्रतिरुप को कई बार उद्घोषित पाते हैं। यहाँ तक की येसु भी अपने को “भला चरवाहा” के रुप में परिभाषित करते हैं जिनके मनोभाव मजदूर से एकदम अलग हैं। वे अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण अर्पित कर देते हैं, वे उनकी देख-रेख करते और उनमें से हर एक को नाम से जानते हैं (यो.10.11-18)।

दाऊद अपने पहले के कार्यों के परिणाम स्वरूप बहुत सारी बातों का अनुभवी है। अतः जब नबी नातान उनके गंभीर पापों के लिए उन्हें गालियां देता तो वह समझ जाता है कि एक चरवाहे के रुप में उन्होंने कौन-सा बुरा कार्य किया है, उन्होंने उस व्यक्ति की भेड़ की चोरी की है जिसे वह प्रेम करता था। उन्हें इस बात का एहसास होता है कि वह एक नम्र सेवक नहीं, वरन् शक्ति का भूखा, शिकारी बना गया जिनसे दूसरे को लूटा और अपना शिकार बनाया।

कवि स्वरूप आत्मा के साथ

संत पापा कहा कि हम दाऊद को उनकी बुलाहटीय गुण के आधार पर एक कवि स्वरुप देखते हैं। इस दृष्टिकोण से हम दाऊद को एक असभ्य व्यक्ति के रुप में नहीं पाते हैं। वह अपने में एक संवेदनशील व्यक्ति है जिसे गीत-संगीत से प्रेम है। उनकी सरंगी सदैव उनके साथ रहती है जिससे वह कभी अपने खुशी के गीतों से ईश्वर की महिमा करता है (2 सामु.6.16) तो कभी अपने दुःखों को प्रकट करते हुए अपने पापों के लिए क्षमा की याचना करता है। (स्त्रो.51.3)

दुनिया जो उनकी आंखों के सामने है वह अपने में गुमनाम नहीं है वह उसके रहस्यों से अपने को वाकिफ पाता है। और यही वह स्थल होता है जहाँ से प्रार्थना की उत्पत्ति होती है, यह हमारे विश्वास में अपने जीवन की सुदृढ़ता को व्यक्त करती है जिसके फलस्वरुप हम जीवन के आश्चर्य से नहीं वरन रहस्य से अपने को विस्मित पाते हैं जो हममें कविता, संगीत, कृतज्ञता, प्रशंसा यहां तक की शोक और विनय में अभिव्यक्त होता है। इस भांति हम दाऊद को स्तोत्रों के रचियेता स्वरूप पाते हैं। ये हमें इस्रराएल के राजा के बारे में कहते हैं तो कुछ उनके जीवन और उनके जीवन की महान घटनाओं के बारे में।

इस तरह दाऊद में हम एक सपने को पाते हैं, जो उनमें एक अच्छे चरवाहे होने की भावना को व्यक्त करता है। कभी वे अपने कार्यों का निर्वाहन उचित रुप में करते तो वे कभी असफल हो जाते हैं। लेकिन इन सारी परिस्थितियों में हमारे लिए महत्वपूर्ण यह है कि वह हमारा ध्यान मुक्ति इतिहास की ओर करते हैं जहां से हमारे लिए एक-दूसरे राजा की घोषणा की जाती है जिसके बारे वे हमें एक झलक प्रदान करते हैं।

जीवन के रहस्यों पर चिंतन

संत पापा ने कहा कि हम दाऊद की ओर देखें उनके बारे में चिंतन करें। हम उन्हें पवित्र और पापी, सताने वाले और सताया गया, शिकार और हत्यारा के रुप में पाते हैं। दाऊद का व्यक्तित्व इन सभी रुपों में है। इस संदर्भ में यदि हम अपने जीवन की घटनाओं को देखेंगे तो हम भी अपने जीवन में दूसरों के विरोध को पायेंगे। हम अपनी निरंतरता की कमी में पाप करते हैं। दाऊद के जीवन में हम एक सुनहरे धागे को देखते हैं जो उनके जीवन की सारी चीजों को पिरो कर रखती है और वह है उनका प्रार्थनामय जीवन। उनकी प्रार्थनामय वाणी कभी खत्म नहीं हुई। वे चाहे खुशी के दौर से होकर गुजरे या गमहीन जीवन के क्षणों से, वे सदैव प्रार्थना में संलग्न रहे, केवल उनके संगीत की धुन में परिवर्तन आया। ऐसा करने के द्वारा दाऊद हमें सभी बातों में ईश्वर के साथ एक प्रार्थनामय वार्ता में प्रवेश करने की शिक्षा देते हैं, चाहे वह खुशी हो या गम, प्रेम हो या दुःख भरी परिस्थिति, मित्रता हो या बीमारी की घड़ी। वे सारी चीजें जिन्हें हम अपने शब्दों में ईश्वर के सामने व्यक्त करते हैं ईश्वर उन्हें सुनते हैं।

प्रार्थना महान बनाती है

दाऊद जो अकेलापन को जानता था, वास्तव में, कभी अकेला नहीं रहा और मूल रूप से यही प्रार्थना की शक्ति है जो उन सभी में होती है जो उसे अपने जीवन में स्थान देते हैं। प्रार्थना महानता प्रदान करती है और दाऊद महान थे क्योंकि वे प्रार्थना करते थे। प्रार्थना जो महानता प्रदान करती है उसके द्वारा हम ईश्वर के साथ संबंध सुनिश्चित कर सकते हैं जो जीवन की हजारों कठिनाइयों, अच्छाई या बुराई में मनुष्यों की यात्रा के सच्चे साथी हैं। हमेशा प्रार्थना करते रहे, “धन्यवाद प्रभु, मैं डरता हूँ प्रभु, मुझे सहायता दीजिए प्रभु। मुझे क्षमा कीजिए प्रभु।” दाऊद का भरोसा इतना महान था कि जब वे सताये जा रहे थे और उन्हें भागना था उन्होंने किसी को रक्षा करने नहीं दिया। "यदि मेरा ईश्वर मुझे इस तरह अपमानित करता है तो वह जानता है क्योंकि प्रार्थना की महानता हमें ईश्वर के हाथ में छोड़ता है। प्रेम में घायल हाथ ही, सुरक्षित हमारे हाथ हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए सभों को अपने प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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24 June 2020, 13:47