खोज

ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस 

संत पेत्रुस एवं संत पौलुस का महापर्व, संत पापा का प्रवचन

संत पापा फ्राँसिस ने 29 जून को काथलिक कलीसिया के दो महान प्रेरित संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के महापर्व दिवस के अवसर पर समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 जून 2020 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने प्रवचन में कहा, "इस शहर के दो प्रेरितों के पर्व दिवस पर मैं आप लोगों के साथ दो मूल शब्दों पर चिंतन करना चाहता हूँ : एकता एवं भविष्यवाणी।"

एकता – एक साथ हम दो व्यक्तियों का पर्व मना रहे हैं जो एक-दूसरे से बहुत भिन्न थे। पेत्रुस एक मछुआरा था जिसका दिनचर्या नाव खेने और जाल के बीच बीतता था, वहीं पौलुस एक सुसंस्कृत फरीसी था जो सभागृहों में शिक्षा देता था। जब वे मिशन में गये, तब पेत्रुस ने यहूदियों का मन-परिवर्तन किया, जबकि पौलुस ने गैर-यहूदियों का। और जब उनके रास्ते एक-दूसरे के रास्ते को काट रहे थे तब उन्होंने विरोध किया, जैसा कि पौलुस अपने एक पत्र में इसका बिना शर्म जिक्र करते हैं। (गला.2,11) संक्षेप में, वे दोनों एक-दूसरे से बिलकुल अलग थे किन्तु हम उन्हें भाई की तरह पाते हैं, एक ही परिवार के सदस्यों के समान एकता में, जहाँ लोग झगड़ते किन्तु हमेशा एक-दूसरे को प्यार करते हैं। परिवार के सदस्य के रूप में उनके बीच जो संबंध था वह स्वभाविक नहीं था बल्कि प्रभु की ओर से था जिन्होंने हमें पसंद करने नहीं बल्कि प्यार करने की आज्ञा दी है। वे ही हैं जो हमें बिना एक रूपता प्रदान किये, एक साथ लाते हैं।

प्रार्थना का फल एकता

संत पापा ने पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, "आज का पहला पाठ हमें इस एकता के उदगम के पास लाता है। यह बतलाता हैं कि कलीसिया जो अभी-अभी जन्मी थी वह एक विकट परिस्थिति से गुजर रही थी: हेरोद ने हिंसक अत्याचार शुरू कर दिये थे, प्रेरित याकूब को मार डाला गया था और इसी समय में पेत्रुस को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। समुदाय को लगा कि उनका कत्ल हो गया है, हर कोई अपने जीवन के लिए भयभीत था। फिर भी इस कठिन समय में कोई नहीं भागा, किसी ने अपनी चमड़ी बचाने की कोशिश नहीं की, किसी ने एक-दूसरे को नहीं छोड़ा बल्कि सभी एक साथ प्रार्थना करने लगे। प्रार्थना से उन्हें साहस मिला, प्रार्थना से एकता मिली जो किसी भी खतरे से अधिक शक्तिशाली थी। सुसमाचार पाठ बतलाता है कि "जब पेत्रुस पर इस प्रकार बंदीगृह में पहरा बैठा हुआ था तब कलीसिया आग्रह के साथ उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना करती रही।" (प्रे.च. 12,5)

संत पापा ने कहा कि एकता एक ऐसा सिद्धांत है जो प्रार्थना के द्वारा सक्रिय होता है क्योंकि प्रार्थना पवित्र आत्मा को कार्य करने देती है, आशा का द्वार खोलती है, दूरी कम कर देती है ताकि हम एक साथ कठिनाई का सामना कर सकें।

शिकायत नहीं प्रार्थना करें

हम एक दूसरी चीज पर गौर करे ˸ उस नाटकीय परिस्थिति में कोई भी अत्याचार और हेरोद की बुराई की शिकायत नहीं कर रहा था। ख्रीस्तियों के लिए यह बेकार और ऊबाऊ वाली बात थी कि वे संसार और समाज की शिकायत करें, कि यह ठीक नहीं चल रहा है। शिकायतें कुछ नहीं बदल सकतीं हैं। उन ख्रीस्तियों ने दोष नहीं दिया बल्कि प्रार्थना की। उस समुदाय में कोई नहीं कह रहा था कि "यदि पेत्रुस अधिक सतर्क होता, तो हम इस स्थिति में नहीं होते"। उनके बारे कोई बात नहीं कर रहा था किन्तु सभी उनके लिए प्रार्थना कर रहे थे। वे उनके पीठ पीछे बात नहीं कर रहे थे वरन् ईश्वर में लीन थे। आज हम अपने आप से पूछें, क्या हम प्रार्थना के द्वारा एकता को बनाये रखते हैं? क्या हम एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करते हैं? क्या होगा यदि हम अधिक प्रार्थना करेंगे और कम बड़बड़ायेंगे? वही होगा जो जेल में पेत्रुस के साथ हुआ, बहुत सारे द्वार जो अलग करते हैं खुल जायेंगे, कई बेड़ियाँ जो जकड़कर रखते हैं वे गिर जायेंगे।

दूसरों के लिए प्रार्थना करें

संत पापा ने एक-दूसरे के लिए प्रार्थना करने पर जोर देते हुए कहा, "उस कृपा की याचना करें कि हम दूसरों के लिए प्रार्थना करना सीख सकें।" संत पौलुस ख्रीस्तियों का आह्वान करते हैं कि वे सभी के लिए प्रार्थना करें और सबसे पढ़कर उन लोगों के लिए जो प्रशासन में कार्य करते हैं। (1 तिम. 2,1-3) संत पापा ने कहा कि यह एक जिम्मेदारी है जिसको प्रभु हमें देते हैं, क्या हम उसे पूरा करते हैं या सिर्फ उसपर बहस करते हैं? ईश्वर चाहते हैं कि जब हम प्रार्थना करते हैं तब उन लोगों की भी याद करें जो हमारे समान नहीं सोचते। जिन्होंने हमारे लिए अपना द्वार बंद कर लिया है और जो क्षमा देने में कठिनाई महसूस करते हैं। प्रार्थना ही है जो बेड़ियों को तोड़ सकती है, एकता की राह पर अग्रसर कर सकती है।

पालियो एकता का प्रतीक  

आज पालियो (या अम्बरिका) की आशीष की जाती है। जिसे कार्डिनल मंडली के डीन एवं पिछले साल नियुक्त महाधर्माध्यक्ष को प्रदान की जाती है। पालियो भेड़ों एवं उनके चरवाहों की एकता की याद दिलाती है जो येसु की तरह भेड़ को अपने गंधे पर उठा लेते हैं जिससे कि वह कभी अलग न हो।

आज एक सुन्दर परम्परा के अनुसार, कुस्तुनतुनिया के प्राधिधर्माध्यक्ष के साथ खास रूप से एक साथ मिलते हैं। पेत्रुस और अंद्रेयस दोनों भाई थे और जब संभव है हम उनके पर्व में हम भ्रातृत्व मुलाकात के रूप में शामिल होते हैं। न केवल औपचारिकता के लिए, बल्कि उस लक्ष्य की ओर एक साथ चलने के लिए, जिसको प्रभु दिखाते हैं, पूर्ण एकता।

 भविष्यवाणी में चुनौतियाँ

दूसरा शब्द – भविष्यवाणी। हमारे प्रेरितों को येसु प्रेरित करते हैं। पेत्रुस उन्हें यह सवाल करते हुए सुनते हैं, "तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?" (मती. 16,15) उस समय वे समझते हैं कि येसु कोई आम विचार नहीं चाहते बल्कि व्यक्तिगत रूप से चुने जाने की बात करते हैं। पौलुस का जीवन भी उस समय बदला, जब येसु ने उन्हें प्रेरित किया, "सौलुस सौलुस तुम मुझे क्यों सताते हो?" (प्रे.च. 9,4) प्रभु ने उन्हें अंदर तक हिला दिया और उससे भी अधिक, दमिश्क के रास्ते पर, उसका धर्मी एवं अच्छे व्यक्ति होने का मनोभाव गिर गया। इस तरह घमंडी सौलुस अब पौलुस बन गया, जिसका अर्थ है छोटा।

संत पापा ने कहा कि जीवन की इन प्रेरणाओं एवं प्रकाशनाओं के साथ भविष्यवाणी जुड़ी है। तुम पेत्रुस अर्थात् चट्टान हो और इस चट्टान पर मैं अपनी कलीसिया बनाऊँगा।" (मती. 16,18) और पौलुस से कहते हैं, वह मेरा कृपापात्र है। वह गैर-यहूदियों, राजाओं एवं इस्राएलियों के बीच मेरे नाम का प्रचार करेगा।" (प्रे.च. 9:15) अतः भविष्यवाणी तब आती है जब हम अपने आपको प्रभु से प्रेरित होने देते हैं न कि हम अपने आपसे चीजों का हल करते एवं उन्हें शांत कर देते हैं। जब सुसमाचार निश्चितता को बदल देता है तब भविष्यवाणी आती है। केवल वे ही लोग जो ईश्वर के विस्मय के लिए अपने आपको खोलते हैं नबी बनते हैं। यहाँ पेत्रुस और पौलुस नबी के रूप में भविष्यवाणी करते हैं – पेत्रुस घोषित करता है कि येसु मसीह हैं, जीवन्त ईश्वर के पुत्र हैं।" (मती. 16:16); पौलुस अपने जीवन के अंतिम समय को पहले ही जान जाता है। "अब मेरे लिए धर्मिकता का वह मुकुट तैयार है जिसे न्यायी विचारपति प्रभु मुझे उस दिन प्रदान करेंगे।" (2 तिम 4: 8)

सच्ची भविष्यवाणी की आवश्यकता

संत पापा ने विश्वासियों से कहा, "आज हमें भविष्यवाणी की आवश्यकता है, सच्ची भविष्यवाणी की, उन भाषणों की नहीं जो असंभव चीजों के वादे करते हैं, बल्कि साक्ष्य देते हैं कि सुसमाचार संभव है। चमत्कारिक प्रदर्शन की नहीं किन्तु उस जीवन की जरूरत है जो ईश्वर के प्रेम के चमत्कार को प्रकट करता है। सत्ता नहीं बल्कि सामंजस्य की आवश्यकता है। शब्दों की नहीं पर प्रार्थना की, घोषणा नहीं किन्तु सेवा की, सिद्धांत नहीं, साक्ष्य की जरूरत है। हमें धनी होना नहीं किन्तु गरीबों को प्यार करने की जरूरत है, अपने लिए कमाने की नहीं पर दूसरों के लिए खर्च करने की, दुनिया के आम राय के लिए नहीं किन्तु उस आनन्द के लिए जिसको दुनिया नहीं दे सकती। कुशल प्रेरितिक योजना के लिए नहीं बल्कि ऐसा चरवाहा जो अपना जीवन अर्पित करता है, वही ईश्वर के प्रेम में है। इस प्रकार पेत्रुस एवं पौलुस ने येसु के प्रेमियों की तरह उनकी घोषणा की। क्रूस पर चढ़ाये जाने के पहले पेत्रुस ने अपने बारे नहीं सोचा बल्कि अपने प्रभु की याद की और अपने आपको उनकी तरह मरने के अयोग्य समझा और क्रूस पर उल्टा लटकाये जाने की मांग की। हत्या कर दिये जाने के पूर्व पौलुस ने अपने जीवन को अर्पित करने के लिए सोचा और लिखा कि वे अपने आपको अर्पित कर देना चाहते हैं। (2 तिम 4: 6) यह भविष्यवाणी है और जिसने इतिहास बदल दिया।"

एक नवीकृत कलीसिया और मानवता का निर्माण

संत पापा ने कहा, येसु ने पेत्रुस से भविष्यवाणी की थी, तुम पेत्रुस अर्थात् चट्टान हो और मैं उस चट्टान पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा। यह भविष्यवाणी हमारे लिए भी है। यह बाईबिल की अंतिम पुस्तिका में मिलती है जहाँ येसु अपनी निष्ठापूर्ण भविष्यवाणी करते हैं, एक सफेद पत्थर, जिसपर एक नया नाम अंकित होगा।" (प्रका. 2,17). जैसा कि प्रभु ने सिमोन को पेत्रुस में बदल दिया हम सभी को बुलाते हैं कि वे हमें जीवित पत्थर बना सकें, जिसपर वे एक नवीकृत कलीसिया और मानवता का निर्माण कर सकें। कलीसिया में कुछ लोग ऐसे हैं जो हमेशा एकता को भंग करते एवं भविष्यवाणी को बंद कर देते हैं किन्तु प्रभु हम पर भरोसा करते हैं और हमसे मांग करते हैं, क्या तुम एकता के निर्माता बनोगे? क्या तुम इस पृथ्वी पर मेरे स्वर्ग की भविष्यवाणी करोगे?

"आइये, हम अपने आपको प्रभु द्वारा प्रेरित होने दें और उनसे यह कहने का साहस करें, जी हाँ, मैं यही चाहता हूँ।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

29 June 2020, 14:17