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स्वर्ग की रानी प्रार्थना के दौरान संत पेत्रुस प्राँगण में उपस्थित विश्वासी स्वर्ग की रानी प्रार्थना के दौरान संत पेत्रुस प्राँगण में उपस्थित विश्वासी 

कलीसिया क्षमा किया गया, मिशन के लिए तैयार समुदाय है, पोप

संत पापा फ्राँसिस ने पेंतेकोस्त महापर्व के अवसर पर, रविवार 31 मई को, कोरोना वायरस महामारी के कारण बंदी के बाद, पहली बार संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 1 जून 2020 (रेई) – संत पापा फ्राँसिस ने पेंतेकोस्त महापर्व के अवसर पर, रविवार 31 मई को, कोरोना वायरस महामारी के कारण बंदी के बाद, पहली बार संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज चूँकि प्राँगण खुल गया है, हम वापस लौट सके हैं। यह एक खुशी की बात है।

आज हम पेंतेकोस्त का महापर्व मना रहे हैं, प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय पर पवित्र आत्मा के उतरने की यादगारी। आज का सुसमाचार पाठ (यो. 20,19-23) हमें पास्का संध्या की याद दिलाता है और हमारे लिए पुनर्जीवित ख्रीस्त को प्रस्तुत करता है जो पिछली व्यारी के बंद कमरे में प्रकट हुए, जहाँ शिष्य ठहरे हुए थे। वे भयभीत थे। उनके बीच खड़े होकर उन्होंने कहा, "तुम्हें शांति मिले।"(19)

"तुम्हें शांति मिले"

संत पापा ने येसु इन शब्दों की व्याख्या करते हुए कहा, "पुनर्जीवित प्रभु के इन शब्दों "तुम्हें शांति मिले" को अभिवादन से बढ़कर, क्षमा के रूप में समझना चाहिए। यह शिष्यों को क्षमा करने के रूप में है जिन्होंने उन्हें बिलकुल छोड़ दिया था। ये मेल-मिलाप और क्षमा के शब्द हैं। हम भी जब दूसरों को शांति का अभिवादन देते हैं तब हम क्षमा देते हैं अथवा क्षमा मांगते हैं। येसु अपनी शांति उन शिष्यों को प्रदान कर रहे हैं जो भयभीत हैं, जो उन चीजों को विश्वास नहीं कर पा रहे हैं जिनको उन्होंने देखा है अर्थात् खाली कब्र और वे मरिया मगदलेना एवं अन्य महिलाओं के साक्ष्य को गौण समझ रहे हैं। येसु माफ करते हैं वे हमेशा क्षमा देते हैं और अपने मित्रों को शांति प्रदान करते हैं। संत पापा ने कहा, "यह न भूलें कि येसु क्षमा करने से कभी नहीं थकते बल्कि हम उनसे क्षमा मांगने से थक जाते हैं।"

मेल-मिलाप किया हुआ समुदाय

शिष्यों को क्षमा करते एवं उन्हें अपने पास एकत्रित करते हुए, येसु उनसे, अपनी कलीसिया का निर्माण करते हैं : जो एक मेल-मिलाप किया हुआ समुदाय है और मिशन के लिए तैयार है। संत पापा ने कहा कि जब एक कलीसिया मेल-मिलाप नहीं करती, मिशन के लिए तैयार नहीं होती, तब वह आपस में आंतरिक विवाद करने के लिए तैयार हो जाती है। पुनर्जीवित प्रभु के साथ मुलाकात, शिष्यों के अस्तित्व को बदल देती और उन्हें साहसी साक्षी बना देती है। जबकि, इसके तुरन्त बाद वे कहते हैं, "जिस तरह पिता ने मुझे भेजा है उसी तरह मैं तुम्हें भेजता हूँ। (21) इन शब्दों के द्वारा हम समझ सकते हैं कि शिष्य, पिता द्वारा येसु को दिये गये उसी मिशन को आगे बढ़ाने के लिए भेजे गये हैं। येसु कहते हैं, "मैं तुम्हें भेज रहा हूँ- यह बंद रहने का समय नहीं है, न ही रोने और उस समय के लिए पछतावा करने का, जिसको उन्होंने गुरूजी के साथ व्यतीत किया था।

पुनरूत्थान का आनन्द

पुनरूत्थान का आनन्द महान है, किन्तु यह बांटने के लिए है जिसको अपने पास नहीं रखा जाना चाहिए।" पास्का काल के रविवारों में, पहले हमने इस घटना के बारे सुना, उसके बाद एम्माउस के शिष्यों से मुलाकात, भला चरवाहा, विदाई भाषण एवं अंत में पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा के बारे सुना। ये सभी शिष्यों के विश्वास को मजबूत करने के लिए हैं और साथ ही, मिशन के दृष्टिकोण से हमारे विश्वास को भी सुदृढ़ करने के लिए।  

मिशन को आगे ले जाने के लिए ही येसु शिष्यों को अपना आत्मा प्रदान करते हैं। सुसमाचार कहता है कि "ईसा ने उनपर फूँककर कहा, "पवित्र आत्मा को ग्रहण करो।" (22) पवित्र आत्मा वह आग है जो पापों को जला डालती एवं नये स्त्री और पुरूषों की रचना करती है। यह प्रेम की आग है जिससे शिष्य दुनिया को प्रज्वलित करेंगे, उसी प्रेम की कोमलता जो छोटे, गरीब और बहिष्कृत लोगों पर ध्यान देती है।

पवित्र आत्मा के वरदान

बपतिस्मा संस्कार एवं दृढ़ीकरण संस्कार में हमने पवित्र आत्मा के वरदानों : प्रज्ञा, बुद्धि, परामर्श, धैर्य, ज्ञान, पवित्रता और ईश्वर के प्रति भय को ग्रहण किया है। अंतिम वरदान- ईश्वर का भय, उस डर से बिलकुल भिन्न है जिसने शिष्यों को लकवाग्रस्त कर दिया था। यह प्रभु के लिए भय है उनकी करुणा एवं उनकी अच्छाई की निश्चितता है और उनके द्वारा बतलायी गई दिशा में, उनकी उपस्थिति एवं बल का लगातार अनुभव करते हुए आगे बढ़ने का भरोसा है।  

पेंतेकोस्त महापर्व उस चेतना को नवीकृत करता है कि हममें पवित्र आत्मा की जीवन- दायी उपस्थिति है। वह हमें छोटे दलों में, चुपचाप, उदासीन आदतों में बंद नहीं बल्कि  बाहर निकलने का साहस प्रदान करता है।

माता मरियम से प्रार्थना

तब संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वन करते हुए कहा कि हम माता मरियम की याद करें, पवित्र माता जो प्रेरितों पर पवित्र आत्मा के उतरने के समय, प्रथम समुदाय की नायिका के रूप में शिष्यों के साथ उपस्थित थीं। हम प्रार्थना करें कि वे कलीसिया के लिए उत्साही मिशनरी भावना प्रदान करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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01 June 2020, 17:03