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देवदूत प्रार्थना के पूर्व संदेश देते संत पापा फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना के पूर्व संदेश देते संत पापा फ्राँसिस 

अपने आपमें बदलाव आने दें, देवदूत प्रार्थना में संत पापा

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 14 जून को, ख्रीस्त के पावन शरीर और रक्त के महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 14 जून 2020 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 14 जून को, ख्रीस्त के पावन शरीर और रक्त के महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, 

आज इटली एवं अन्य देशों में ख्रीस्त के पावन शरीर और रक्त का महापर्व कोरपुस ख्रीस्ती मनाया जाता है। आज की धर्मविधि के दूसरे पाठ में संत पौलुस यूखरिस्त समारोह की व्याख्या करते हैं (1कोर.10:16-17) वे आशीष का प्याला पीने और रोटी तोड़ने के दो प्रभावों पर प्रकाश डालते हैं- रहस्यात्मक प्रभाव एवं सामुदायिक प्रभाव।

मसीह के रक्त के सहभागी

पहला, प्रेरित (पौलुस) कहते हैं- क्या आशीष का प्याला जिसपर हम आशीष की प्रार्थना करते हैं हमें मसीह के रक्त का सहभागी नहीं बनाता? (पद. 16).

संत पापा ने कहा कि ये शब्द रहस्य को प्रकट करते हैं या हम कह सकते हैं कि – यूखरिस्त के आध्यात्मिक प्रभाव को प्रस्तुत करते हैं। यह ख्रीस्त के साथ हमारे संबंध को बतलाता है जो रोटी और दाखरस में अपने आपको हमारी मुक्ति के लिए हमें अर्पित करते हैं। येसु, पवित्र यूखरिस्त संस्कार में उपस्थित हैं हमें पोषित करने, हमारे साथ आत्मसात करने के लिए जो हर पड़ाव या पतन का बाद नवीनीकरण की शक्ति एवं आगे बढ़ने की चाह प्रदान करता है किन्तु इसके लिए हमारी स्वीकृति की आवश्यकता है, हमारे सोचने और कार्य करने के तरीके में बदलाव लाने की तत्परता की आवश्यकता है। अन्यथा, हम जिस यूखरिस्तीय समारोह में भाग लेते हैं वह मात्र खाली और औपचारिक अनुष्ठान मात्र रह जायेगा, और जब कोई मिस्सा जाता है तो वह केवल एक सामाजिक समारोह, सम्मान दिखाने का अवसर मात्र रह जायेगा जबकि इसका रहस्य कुछ और है, वहाँ येसु उपस्थित हैं एवं हमें पोषित करने आते हैं।

आपसी एकता

दूसरा प्रभाव है, सामुदायिक जिसको संत पौलुस इन शब्दों में व्यक्त करते हैं। "क्योंकि रोटी तो एक ही है इसलिए अनेक होने पर भी हम एक हैं। (17) संत पापा ने कहा कि यह उन लोगों की आपसी एकता है जो यूखरिस्त में भाग लेते हैं, वे एक शरीर बन जाते हैं उसी तरह एक रोटी तोड़ी और बांटी जाती है। हम एक समुदाय हैं जो ख्रीस्त के शरीर और रक्त से पोषित किये जाते हैं। यह ख्रीस्त के शरीर के साथ एकता, समन्वय, एकजुटता एवं बांटने का चिन्ह है। आपसी भाईचारा के लिए खुद को प्रतिबद्ध किये बिना हम यूखरिस्त में निष्ठापूर्वक भाग नहीं ले सकते। किन्तु प्रभु अच्छी तरह जानते हैं कि इसके लिए हमारी मानवीय शक्ति मात्र काफी नहीं है। दूसरी ओर वे यह भी जानते हैं कि उनके शिष्यों के बीच विरोध, ईर्ष्या, पूर्वाग्रह, विभाजन आदि के प्रलोभन हमेशा बने रहेंगे। हम इन सब के प्रति सचेत हैं। यही कारण है कि उन्होंने अपने सच्चे, ठोस एवं स्थायी उपस्थिति के चिन्ह को हमारे लिए छोड़ दिया। जिससे कि उनके साथ संयुक्त होकर हम हमेशा भ्रातृत्व प्रेम की कृपा को प्राप्त कर सकें। येसु कहते हैं, "मेरे प्रेम में दृढ़ बने रहो।" (यो.15:9) जो पवित्र यूखरिस्त के द्वारा संभव है। जिसके द्वारा हम उनकी मित्रता और प्रेम में बने रह सकते हैं।

 यूखरिस्त के दो फल

संत पापा ने कहा कि यूखरिस्त के दो फल – ख्रीस्त के साथ एकता एवं उनके द्वारा पोषित लोगों के बीच एकता, ख्रीस्तीय समुदाय को उत्पन्न करता एवं उसे लगातार नवीकृत करता है। कलीसिया संस्कार बनाती है किन्तु यह अधिक आधारभूत है कि यूखरिस्त, कलीसिया का निर्माण करता एवं मिशन को जारी रखता है। यही यूखरिस्तीय एकता का रहस्य है, येसु को ग्रहण करना जिससे कि वे हमें अंदर से परिवर्तित कर दें, येसु को ग्रहण करना ताकि हम उनमें संयुक्त रहें न कि उनसे अलग रहें।  

संत पापा ने कुँवारी मरियम से प्रार्थना की कि धन्य कुँवारी मरियम हमें इस महान वरदान को विस्मय एवं कृतज्ञता के साथ स्वीकार करने की कृपा दे जिसको येसु ने अपने शरीर एवं रक्त के पावन संस्कार द्वारा प्रदान किया है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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15 June 2020, 16:16