संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

कृतज्ञता ईश्वर के राज्य का संकेत है,संत पापा

रविवार को देवदूत की प्रार्थना का पाठ करने से पहले संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तियों से आग्रह किया कि वे अपने क्रूस को उदारता और कृतज्ञता के साथ येसु के चरणों में अर्पित करें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 29 जून 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित यात्रियों और विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ करने से पहले रविवारीय पूजन विधि के लिए निर्धारित संत मत्ती के सुसमाचार से लिये गये पाठ (10, 37-42) पर चिंतन किया जहाँ येसु ने स्पष्ट रुप से अपना शिष्य बनने हेतु अपनी मांग को प्रकट किया।

येसु के प्रति प्यार, परिवार के लिए प्यार की ओर ले जाता है

संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "येसु का पहला शर्त था कि जो अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्यार करता है वह मेरे योग्य नहीं। जो अपने पुत्र या पुत्री को मुझसे अधिक प्यार करता है, वह मेरे योग्य नहीं।" संत पापा ने कहा कि येसु माता-पिता और बच्चों के प्रति प्रेम को कम नहीं करना चाहते हैं। इसके बजाय, येसु "जानते हैं कि परिवार के बंधन को, अगर पहली जगह में रखा जाता है, तो हम भलाई करने के सही रास्ते से भटक सकते हैं।"

संत पापा ने कहा कि  यह सब, हम अनुभव करते हैं। उदाहरण के लिए जब पारिवारिक संबंध हमें ऐसे विकल्प बनाने के लिए प्रेरित करते हैं जो सुसमाचार के विपरीत हैं। " इसके बजाय, जब माता-पिता और बच्चों के प्रति प्यार, प्रभु के प्रति प्यार से प्रेरित होता है, यह तब पूरी तरह से शुद्ध और फलदायी हो जाता है और परिवार के अच्छे के लिए फल पैदा करता है।"

उन्होंने कहा कि येसु से सच्चा प्यार करने के लिए हमें अपने माता-पिता और बच्चों से सच्चा प्यार करना चाहिए। हालाँकि, अगर हम पारिवारिक हितों को पहले रखते हैं, तो यह हमेशा हमें गलत रास्ते पर ले जाता है।

 अपना क्रूस उठाना

संत पापा ने अपने क्रूस को उठाने और येसु का अनुसरण करने हेतु येसु के निमंत्रण पर विचार किया।

संत पापा ने कहा कि यह वही रास्ता है जिसे येसु ने खुद तय किया। इस रास्ते में कोई शॉर्टकट नहीं है। क्रूस के बिना कोई सच्चा प्यार नहीं है, अर्थात सच्चे प्यार के लिए हमें व्यक्तिगत रुप से मूल्य चुकाना ही पड़ता है।

हालाँकि, हमें याद रखना चाहिए कि हम कभी भी अपने क्रूस को अकेले नहीं ढोते हैं, क्योंकि हमारी कठिनाईयों और परीक्षाओं में येसु हमेशा हमारे साथ रहते हैं, वे हमें शक्ति और साहस देते हैं।

संत  पापा ने कहा कि हमें अपने अहंकारी व्यवहार के माध्यम से अपने स्वयं के जीवन को संरक्षित करने के लिए उत्तेजित होने की आवश्यकता नहीं है।

 आत्म-बलिदान में है पूर्णता

संत पापा ने कहा कि आज के सुसमाचार में येसु विरोधाभास का प्रस्ताव करते है: "जिसने अपना जीवन सुरक्षित रखा है वह उसे खो देगा और जिसने मेरे कारण अपना जीवन खो दिया है, वह उसे सुरक्षित रख सकेगा।"

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि इतिहास ने हमें कई उदाहरण दिए हैं कि येसु के शब्द सही हैं।

"इन दिनों में बहुत सारे लोग हैं जो दूसरों की मदद करते हुए अपना क्रूस ढोते हैं। वे इस महामारी के दौरान दूसरों की मदद के लिए खुद का बलिदान कर देते हैं। संत पापा ने कहा, “येसु के साथ, हम कुछ भी कर सकते हैं।”

"जब हम स्वयं को सुसमाचार के लिए खोलते और दूसरों का स्वागत करते और दूसरों की भलाई करते हैं तो जीवन और आनंद की पूर्णता मिलती है।"

कृतज्ञता और उदारता के साथ

संत पापा ने कहा कि दूसरों की मदद करने में, उदाहरण के लिए किसी को ठंडा पानी पिलाने का छोटा कार्य भी हमें ईश्वर की उदारता और कृतज्ञता का अनुभव कराता है।

फिर संत पापा ने एक कहानी सुनाई जिसे उन्होंने हाल ही में एक पुरोहित से छोटे बच्चे की उदारता के बारे सुनी थी। एक बच्चा पुरोहित के पास आया और पुरोहित के हाथों कुछ रुपये देते हुए कहा, "फादर जी, यह मेरी बचत है। यह थोड़ा ही है। यह उन लोगों के लिए है, जिन्हें आज महामारी की वजह से जरूरत है।" संत पापा फ्राँसिस ने तब निष्कर्ष निकाला, "यह थोड़ा है, लेकिन बच्चे की बहुत बड़ी उदारता है।"

संत पापा ने कहा कि जो हमारी जरूरतों का ख्याल रखते हैं, उनके प्रति हम अनायास ही अपना आभार प्रकट करते हैं  कृतज्ञता और उदारता, दोनों अच्छे शिष्टाचार और एक ख्रीस्तीय की प्रमुख विशेषता का संकेत है। "यह ईश्वर के राज्य का एक सरल लेकिन वास्तविक संकेत है, कृतज्ञ प्रेम का राज्य है।"

माता मरियम का उदाहरण

संत पापा फ्राँसिस ने अंत में कहा कि धन्य कुवांरी मरियम हमें येसु के नक्शेकदम पर आगे बढ़ने में हमारी मदद करें। वे "हमेशा ईश्वर के सामने अपने आप को तैयार रखने में हमारी मदद करें, ताकि ईश्वर अपनी इच्छा अनुसार हमारे व्यवहार और हमारे जीवन का न्याय कर सकें।"

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29 June 2020, 13:40