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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

ईश्वर की आवाज सच्ची शांति लाती है, संत पापा

वाटिकन स्थित प्रेरित आवास की लाईब्रेरी से संत पापा फ्राँसिस ने लाईव प्रसारण के माध्यम से स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 4 मई 2020 (रेई)- वाटिकन स्थित प्रेरित आवास की लाईब्रेरी से संत पापा फ्राँसिस ने लाईव प्रसारण के माध्यम से स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया। स्वर्ग की रानी प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

पास्का का चौथा रविवार जिसको हम मना रहे हैं यह येसु भले चरवाहे को समर्पित है। सुसमाचार बतलाता है कि भेड़ें उसकी आवाज पहचानती हैं। वह नाम ले ले कर अपनी भेड़ों को बुलाता और बाहर ले जाता है। (यो. 10,3) संत पापा ने कहा कि प्रभु नाम लेकर बुलाते हैं क्योंकि वे प्यार करते हैं, किन्तु सुसमाचार कहता है कि दूसरी आवाजें भी हैं जिनका अनुसरण नहीं करना चाहिए। वे अपरिचित आवाजें चोर और डाकूओं की हैं जो भेड़ों की बुराई चाहते हैं।

अच्छाई एवं बुराई की आवाज

संत पापा ने कहा कि ये अलग अलग आवाजें हमारे अंदर गूँजती हैं। उनमें ईश्वर की आवाज हमारे अंतःकरण में सौम्य से बोलती है और मोहने की आवाज बुराई के लिए प्रेरित करती है। भले चरवाहे की आवाज और चोर की आवाज को किस तरह पहचाना जाए। हम बुराई के प्रलोभन से ईश्वर की प्रेरणा को कैसे अलग कर सकते हैं?

संत पापा ने कहा कि हमें इन दो आवाजों को परखने सीखना है, वास्तव में वे दो अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं अर्थात् वे हमारे हृदय को विपरीत तरीकों से दस्तक देते हैं। वे अलग भाषा बोलते हैं। जब हम भाषा परखना सीख जायेंगे तब हम ईश्वर की आवाज एवं बुराई की आवाज को भी परखना सीख जायेंगे। ईश्वर की आवाज कभी दबाव नहीं डालती। वह प्रस्ताव रखती है। जबकि बुराई की आवाज बहकाती, आक्रमण करती एवं दबाव डालती है। यह काल्पनिक भ्रम फैलाती है, प्रलोभन देती और भावुक करती है। यह सबसे पहले फुसलाती, हमें विश्वास दिलाती कि हम शक्तिशाली हैं किन्तु अंत में अंदर से खाली कर देती एवं हमपर दोष लगाती है कि "तुम्हारा कोई मूल्य नहीं है।" दूसरी ओर ईश्वर की आवाज हमें बड़े धीरज से सुधारती, हमेशा प्रोत्साहन और सांत्वना देती है, यह हमेशा आशा से भर देती है। ईश्वर की आवाज वह आवाज है जिसका क्षितिज है जबकि दुश्मन की आवाज हमें दीवार के पास अथवा कोने में ले जाती है।

अच्छाई एवं बुराई की आवाजों में दूसरा अंतर

दुश्मन की आवाज हमें वर्तमान से भटकाती है और भविष्य के भय अथवा अतीत के दुःखों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करती है। दुश्मन वर्तमान को पसंद नहीं करता। यह कड़वाहट और दुखद स्थिति की याद दिलाता है जो हमें आहत करते हैं। जबकि ईश्वर की आवाज वर्तमान के बारे बोलती है, "इस समय तुम अच्छा काम कर सकते हो, प्रेम की रचनात्मकता प्रकट कर सकते हो, तुम आत्मग्लानि और पछतावा  को छोड़ सकते हो जो हृदय को कैद करके रखते हैं। यह हमें प्रेरित करती, आगे ले चलती और वर्तमान में बोलती है।

अच्छाई की आवाज में शांति की प्राप्ति  

दोनों आवाजें हमसे अलग अलग सवाल करती हैं- जो सवाल ईश्वर से आता है वह यह है- मेरे लिए क्या अच्छा है? दूसरी ओर प्रलोभन देनेवाला जोर देता है कि- मैं क्या करने जा रहा हूँ? मैं क्या चाहता हूँ? इस तरह बुरी आवाज हमेशा अपने आपके बारे सोचने के लिए प्रेरित करती है। यह अपनी आवश्यकताओं को तुरन्त हासिल करना चाहती है। यह बच्चों के समान सब कुछ को और तत्काल प्राप्त करना चाहती है।

ईश्वर की आवाज कम कीमत पर आनन्द की प्रतिज्ञा नहीं करती है। यह हमें निमंत्रण देती है कि हम अपने आपसे परे जाकर सच्ची अच्छाई और शांति प्राप्त करें। याद दिलाती है कि बुराई कभी शांति नहीं दे सकती, यह हमारे सामने उन्माद रखती और बाद में कड़वाहट से भर देती है। यह बुराई का तरीका है।

अच्छाई और बुराई की आवाजें किन परिस्थियों में

अंततः ईश्वर की आवाज और प्रलोभन देनेवाले की आवाज अलग-अलग परिस्थिति में बोलती हैं। दुश्मन अंधकार,  झूठ और शिकायत पसंद करता है जबकि प्रभु सूर्य का प्रकाश, सच्चाई, ईमानदारी और पारदर्शिता पसंद करते हैं। दुश्मन आप से कहेंगे, अपने आपको बंद कर लो, तुम्हें कोई नहीं समझता, अपने आपको सुनों दूसरों पर भरोसा मत करो। इसके विपरीत, ईश्वर हमें निमंत्रण देते हैं – कि हम खुले रहे, स्पष्ट बोलें और ईश्वर एवं दूसरों पर भरोसा रखें।

माता मरियम से प्रार्थना

संत पापा ने कहा कि प्यारे भाइयो एवं बहनों इस समय में कई प्रकार के विचार और चिंताएँ हमें अपने आपमें बंद हो जाने के लिए प्रेरित करते हैं। हम उन आवाजों पर ध्यान दें जो हमारे हृदय तक पहुँचते हैं। उनसे पूछे कि वे कहाँ से आ रहे हैं। उन्हें पहचानने के लिए कृपा की याचना करें और भले चरवाहे की आवाज का अनुसरण करें जो हमें स्वार्थ की सीमा से बाहर निकालते एवं हमारी सच्ची स्वतंत्रता की चरागाह पर ले चलते हैं। कुँवारी मरियम, भली सलाह की माता हमारी आत्मजाँच का मार्गदर्शन करें और हमारा साथ दें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने स्वर्ग की रानी प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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04 May 2020, 15:24