आप्रवासी दिवस पर पोप के संदेश में कोविड-19 व आंतरिक विस्थापन

संत पापा फ्राँसिस ने आगामी विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस के लिए अपना संदेश प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने आंतरिक विस्थापन की संख्या पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हुए नई नीति का आह्वान किया है। संत पापा ने उन सभी लोगों का आलिंगन किया है जो कोविद -19 के परिणामस्वरूप अनिश्चितता, परित्याग, हाशिए पर जीवनयापन करने और अस्वीकृति से पीड़ित हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 16 मई 2020 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने आगामी विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस के लिए अपना संदेश प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने आंतरिक विस्थापन की संख्या पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हुए नई नीति का आह्वान किया है। संत पापा ने उन सभी लोगों का आलिंगन किया है जो कोविद -19 के परिणामस्वरूप अनिश्चितता, परित्याग, हाशिए पर जीवनयापन करने और अस्वीकृति से पीड़ित हैं।

संत पापा ने विश्व आप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस के लिए अपने संदेश में उन लाखों पुरूषों, स्त्रियों एवं बच्चों की याद की है जो संघर्ष, गरीबी और जलवायु परिवर्तन के कारण देश के भीतर विस्थापित हैं।

कोविड-19 महामारी के बीच, जिसने उनके जीवन को अधिक दयनीय बना दिया है संत पापा ने उन सभी पर अपना ध्यान केंद्रित किया है जो संकट के परिणामस्वरूप अनिश्चितता, परित्याग, हाशिए पर जीवन यापन करने और अस्वीकृति की स्थितियों का सामना कर रहे हैं।

106वां विश्व आप्रवासी दिवस जिसको 27 सितम्बर 2020 को मनाया जाएगा, उसकी विषयवस्तु है, "येसु ख्रीस्त के समान भागने के लिए मजबूर।"

समकालीन विश्व की चुनौतियाँ

संत पापा ने संदेश में कहा है कि संघर्ष एवं जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न मानवीय आपात स्थिति के कारण विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ रही है और पहले से ही गरीबी की स्थिति में जीवनयापन करनेवाले लोगों को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा है कि आंतरिक विस्थापन, हमारे समकालीन विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती है।  

आंतरिक विस्थापन पर 2020 ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार, संघर्ष और आपदाओं ने 2019 में 145 देशों और क्षेत्रों में 33.4 मिलियन नए आंतरिक विस्थापन को जन्म दिया है।

संत पापा ने गौर किया है कि संघर्ष, हिंसा और आपदा, लोखों लोगों को हर साल अपने घरों से बाहर भेज रहा है। उन्होंने कहा कि महामारी के वैश्विक संकट की गंभीरता ने "राष्ट्रीय राजनीतिक एजेंडा की तह तक पहुंचा दिया है, जिसके लिए लोगों को बचाने हेतु आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की जरूरी है।"

संत पापा ने ख्रीस्तियों को याद दिलाते हुए आह्वान किया है कि वे उन पीड़ित लोगों में ख्रीस्त का चेहरा देखें। उन्होंने इस प्रेरितिक चुनौतियों का जवाब 2018 के विश्व आप्रवासी दिवस के संदेश के चार शब्दों में देने की अपील की है। ये शब्द हैं – स्वागत, सुरक्षा, प्रोत्साहन और एकीकरण।  

शब्दों के 6 नये जोड़े

इस साल संत पापा ने उन शब्दों के साथ और 6 जोड़े शब्द जोड़ दिये हैं। जिनके बारे में उन्होंने कहा है कि वे अत्यन्त व्यावहारिक हैं और कारण एवं प्रभाव के संबंध से जुड़े हुए हैं।

समझने के लिए जानना : संत पापा ने कहा है कि जानना, दूसरों को समझने का आवश्यक कदम है। जब हम आप्रवासियों एवं विस्थापितों के बारे बात करते हैं तब हम अक्सर आंकड़ों पर रूक जाते हैं, किन्तु यह आंकड़ा का मामला नहीं है यह सच्चे लोगों के बारे है। उनके साथ मुलाकात करने और उनकी कहानियों को जानने के द्वारा ही हम उनकी संकटपूर्ण स्थिति को समझ सकेंगे कि इस महामारी ने विस्थापित लोगों को किस तरह प्रभाविक किया है।

सुरक्षा हेतु नजदीक आना : भय एवं पूर्वाग्रह हमें दूसरों से दूर रखता एवं प्रेम से उनकी सेवा करने से रोकता है। दूसरों के नजदीक आने का अर्थ है जोखिम उठाने के लिए तैयार होना जिसका उदाहरण कई डॉक्टरों एवं नर्सों ने इन दिनों दिया है।

मेल-मिलाप करने के लिए हमें सुनने की आवश्यकता : संत पापा ने कहा कि आज की दुनिया में संदेश भरे हुए हैं किन्तु सुनना खो चुका है। फिर भी, हम केवल विनम्र एवं ध्यान पूर्वक सुनने के द्वारा ही सच्चा मेल-मिलाप कर सकते हैं। इस साल हमारे सड़कों पर नाटकीय और कष्ट दायक मौन कई सप्ताहों से जारी है किन्तु इसने हमें दुर्बलों, विस्थापितों एवं गंभीर रूप से बीमार हमारे ग्रह को सुनने का अवसर दिया है।  

बढ़ने के लिए हमें बांटने की आवश्यकता : संत पापा ने कहा है कि ईश्वर नहीं चाहते हैं कि इस ग्रह के संसाधनों का लाभ केवल कुछ लोगों को मिले। महामारी ने हमें याद दिलाया है कि हम किस तरह एक ही नाव पर सवार हैं। हम सभी की एक समान चिंता एवं भय है, हममें से कोई भी अकेला नहीं बच सकता।

प्रोत्साहन देने के लिए शामिल होना : यदि हम सचमुच उन्हें प्रोत्साहन देना चाहते हैं जिनको हम साथ देते हैं तो हमें उन्हें शामिल करना होगा और उनकी मुक्ति के लिए उन्हीं को एजेंट बनाना होगा। महामारी ने याद दिलाया है कि आपसी जिम्मेदारी की कितनी आवश्यकता है और केवल सभी के सहयोग से ही इस संकट का सामना किया जा सकता है तथा हम एक ऐसे स्थान बनाने का साहस कर सकते हैं जिसमें सभी पहचान सकें कि वे बुलाये गये हैं और नये प्रकार के आतिथ्य, भाईचारा एवं एकात्मता को बढ़ने दिया जा सके।

निर्माण करने हेतु सहयोग देना : ईश्वर के राज्य का निर्माण सभी ख्रीस्तियों का आम कर्तव्य है अतः हमें ईर्ष्या, कलह और विभाजन के प्रलोभन में पड़े बिना एक-दूसरे का सहयोग करने सीखना है। संत पापा ने कहा है कि इस वर्तमान पृष्टभूमि पर इस बात पर जोर दिया जा सकता है कि यह आत्मक्रेंद्रित होने का समय नहीं है क्योंकि हम जो संकट झेल रहे हैं उसे सभी झेल रहे हैं। हमारे आमघर की रक्षा करने और उसे ईश्वर की योजना के अधिक अनुरूप बनाने के लिए हम सभी की प्रतिबद्धता की आवश्यकता है ताकि अंतरराष्ट्रीय सहयोग, वैश्विक एकात्मता एवं किसी को बिना छोड़े स्थानीय समर्पण को सुनिश्चित किया जा सके।   

संत जोसेफ के आदर्श पर प्रार्थना

संत पापा ने अपने संदेश का समापन एक प्रार्थना से की है जो संदेश की विषयवस्तु पर प्रकाश डालती है। संत पापा ने कहा है कि उन्होंने यह प्रेरणा संत जोसेफ से पायी है जिन्हें बालक येसु को बचाने के लिए मिस्र से भागना पड़ा था।

हे पिता, आपने संत जोसेफ को सबसे मूल्यवान, बालक येसु एवं उनकी माता को सौंप दिया कि दुष्टों के भय एवं खतरे से उनकी रक्षा हो सके। कृपा दे कि हम उनकी सुरक्षा एवं मदद को महसूस कर सकें। वे जो शक्तिशालियों की घृणा के कारण भागने के लिए मजबूर हुए, उनकी पीड़ा को महसूस किये, उन सभी भाई-बहनों को सांत्वना एवं सुरक्षा प्रदान कर जो युद्ध, गरीबी और आवश्यकताओं कारण, सुरक्षित स्थान पाने हेतु अपना घर एवं अपनी भूमि छोड़ने के लिए मजबूर हैं।   

संत जोसेफ की मध्यस्थता द्वारा उनकी मदद कर, ताकि वे धीरज की शक्ति प्राप्त कर सकें, उनके दुःखों में सांत्वना दे और कठिनाइयों के बीच साहस प्रदान कर।

जो उनका स्वागत करते हैं उन्हें इस धर्मी और बुद्धिमान पिता का कोमल स्नेह प्रदान कर, जिन्होंने येसु को अपने सच्चे बेटे की तरह प्यार किया और यात्रा के हर कदम में मरियम को सहारा दिया।

जिन्होंने अपने हाथों के परिश्रम से अपनी रोटी कमायी, उन लोगों पर दया दृष्टि कर, जिन्होंने अपने जीवन में सब कुछ देखा है उनके लिए काम की प्रतिष्ठा और घर की शांति प्रदान कर।

हम यह प्रार्थना करते हैं आपके पुत्र येसु के द्वारा जिनको संत जोसेफ ने मिस्र भागने के द्वारा बचाया और माता मरियम की मध्यस्थता को समर्पित करते हैं जिनको उन्होंने एक निष्ठावान पति के रूप में आपकी इच्छा के अनुसार प्रेम किया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

16 May 2020, 14:40