खजूर रविवार को ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस खजूर रविवार को ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस 

खजूर रविवार को संत पापा, येसु के क्रूस की ओर निहारें

संत पापा फ्राँसिस ने 5 अप्रैल को खजूर रविवार के अवसर पर वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 6 अप्रैल 20 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने 5 अप्रैल को खजूर रविवार के अवसर पर वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, “येसु ने दास का रूप धारण कर अपने आपको खाली कर दिया। (फिलि. 2,7) आइये, हम संत पौलुस के इन्हीं शब्दों से इन पवित्र दिनों में अपने आपको संचालित होने दें, जो ईशवचन के कोरस के समान येसु को एक सेवक के रूप में प्रस्तुत करता है। पुण्य बृहस्पतिवार को वे विश्वासघात किये गये थे जिन्होंने सेवक के रूप में अपने चेलों के पैर धोये थे। पुण्य शुक्रवार उन्हें पीड़ित एवं विजयी सेवक के रूप में प्रस्तुत किया गया। (इसा. 52.13) और कल हम नबी इसायस की भविष्यवाणी सुनेंगे, वह मेरा सेवक है मैं उसे संभालता हूँ। (इसा.42,1) ईश्वर ने हमें सेवा करते हुए बचाया। हम बहुधा सोचते हैं कि हम ईश्वर की सेवा करते हैं। पर ऐसा नहीं है, उन्होंने स्वतंत्र इच्छा से हमारी सेवा करने का चुनाव किया है क्योंकि उन्होंने ने ही पहले हमें प्यार किया है। प्यार करना और बदले में प्यार नहीं किये जाने को स्वीकार करना कठिन होता है। सेवा करने के लिए यह अधिक कठिन है यदि हम ईश्वर के द्वारा सेवा किये गये महसूस न किये हों।

ईश्वर ने किस तरह हमारी सेवा की?

उन्होंने अपना जीवन देकर हमारी सेवा की। हम उनके लिए प्रिय हैं, उनके लिए मूल्यवान हैं। फोलिन्यो की संत अंजेला करती हैं, उन्होंने एक बार येसु को यह कहते सुना, तुम्हारे लिए मेरा प्यार एक मजाक नहीं है।”  हमारे प्रति उनके प्रेम ने उन्हें खुद का बलिदान करने और हमारे पापों को अपने ऊपर लेने के लिए प्रेरित किया। यह हमें आश्चर्यचकित करता है। ईश्वर ने हमारे पापों के सारे दण्ड को अपने ऊपर लेकर, शिकायत किये बिना, सेवक की तरह दीनता, धीरज, आज्ञापालन एवं शुद्ध प्रेम से हमें बचा लिया। पिता ने येसु को हमारी सेवा करने दिया। उन्होंने उन बुराइयों को उनसे दूर नहीं किया जो उन्हें कुचल दिये बल्कि उनकी पीड़ा में उन्हें बल प्रदान किया ताकि हमारी बुराई पर अच्छाई द्वारा विजय पाया जा सके, उसे प्रेम द्वारा जीता जा सके।

प्रभु ने प्यार करने वालों के द्वारा विश्वासघात किये जाने एवं त्याग दिये जाने तक, अत्यधिक पीड़ा की स्थिति का सामना करते हुए हमारी सेवा की है।

विश्वासघात

येसु अपने शिष्यों के द्वारा विश्वासघात किये गये जिन्होंने उन्हें बेच दिया और अस्वीकार किया। वे उन लोगों के द्वारा धोखा दिये गये जिन्होंने होसन्ना गाया था जबकि बाद में चिल्लाया, उसे क्रूस दीजिए।(मती. 27:22).

वे धार्मिक संस्थाओं द्वारा धोखा दिये गये जिन्होंने उन्हें अन्यायपूर्ण तरीके से दण्ड दिलाया और राजनीतिक संस्थाएँ जिन्होंने उनकी ओर से अपना हाथ धो लिया।

हम हर तरह के छोटे-बड़े विश्वासघातों की याद कर सकते हैं जिनको हमने अपने जीवन में सहा है। जिन लोगों पर पूर्ण भरोसा था उनसे विश्वासघात किया जाना, अत्यन्त दुखद है। इसके द्वारा हमारे हृदय की गहराई में एक निराशा उत्पन्न होती है जो जीवन को अर्थहीन महसूस कराती है। ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि हम प्यार किये जाने के लिए पैदा हुए हैं। उन लोगों के द्वारा धोखा खाना सबसे अधिक दर्द भरा होता है जिन्होंने वफादार रहने का वादा किया था। यह कल्पना करना कठिन है कि ईश्वर के लिए यह कितना दर्दनाक रहा होगा जो प्रेम हैं।

ईश्वर की सांत्वना

हम अपने अंदर झांक कर देखें। कि हममें कितने झूठ, पाखंड और दोगलेपन हैं! कितने अच्छे मतलब विश्वासघात के शिकार होते हैं। कितने वादे तोड़े जाते हैं कितने संकल्प बिना पूरा किये छोड़ दिये जाते। प्रभु हमारे हृदय को हमसे ज्यादा अच्छा जानते हैं। वे जानते हैं कि हम कितने कमजोर और अनिश्चियी हैं। हम कितनी बार गिर जाते हैं, उससे उठना हमारे लिए कितना कठिन होता है और कुछ घाव ऐसे होते हैं जिनसे चंगा होना कितना मुश्किल होता है। हमारी मदद करने और हमें बचाने के लिए उन्होंने क्या किया। उन्होंने हमें नबियों के माध्यम से बतलाया, “मैं उनके अविश्वास को चंगा करूँगा, मैं उन्हें गहराई से प्यार करुँगा।” (होश.14:5) वे हमारी अविश्वासनीयता एवं विश्वासघात को अपने ऊपर लेकर हमें चंगा करते हैं। अतः गिरने के भय से निराश होने के अपेक्षा, अब हम क्रूस की ओर देखें, उनके आलिंगन को महसूस करें और कहें, मेरी बेवफाई वहाँ है येसु ने उसे अपने ऊपर ले लिया है। उन्होंने अपनी बाहे मेरे लिए फैलाये, प्रेम से मेरी सेवा की, वे मुझे अब भी साथ देते हैं अतः मैं आगे बढ़ूँगा।

परित्याग

आज के सुसमाचार पाठ में येसु क्रूस से एक चीज कहते हैं, “मेरे ईश्वर, मेरे ईश्वर तूने मुझे क्यों त्याग दिया?” (मती. 27:46) ये अत्यन्त प्रभावशाली शब्द हैं। येसु ने अपने ही लोगों के द्वारा त्याग दिये जाने का अनुभव किया, जो उन्हें छोड़कर भाग गये, किन्तु पिता उनके साथ थे और अकेलापन के गर्त में, येसु ने पहली बार उन्हें “ईश्वर” कहकर पुकारा। ऊँची आवाज में उनसे सवाल किया, तूने मुझे क्यों त्याग दिया?”। ये शब्द वास्तव में स्तोत्र के हैं  (22,2) जो बतलाते हैं कि येसु ने भी अपनी प्रार्थना में बहुत अधिक अकेलापन महसूस किया। उन्होंने बहुत अधिक त्याग दिये जाने का अनुभव किया, जिसको सुसमाचार उन्हीं के शब्दों में प्रस्तुत करता है।

ये सब क्यों हुआ?

ये हमारे खातिर, हमें सेवा देने के लिए किया गया ताकि जब हम पर विपत्ति आ पड़े, जब हम अपने आपको अंत के बिलकुल नजदीक पायें, सब ओर अंधेरा हो, निकलने का कोई रास्ता न मिले, जब लगे कि ईश्वर भी कोई उत्तर नहीं दे रहे हैं, तब हमें याद करना चाहिए कि हम अकेले नहीं हैं। येसु ने पूरी तरह त्याग दिये जाने का एहसास किया है जिसको उन्होंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था ताकि सभी बातों में हमारे समान हों।

उन्होंने इसको मेरे लिए, आपके लिए और हम सभी के लिए किया। उन्होंने ऐसा हमें यह कहने के लिए किया, “डरो मत तुम अकेले नहीं हो। मैंने तुम्हारे द्वारा छोड़ दिए जाने का अनुभव किया ताकि तुम्हारे अधिक करीब आ सकूँ।” इस हद तक येसु ने हमारी सेवा की है। वे हमारे दुःख के सबसे गहरे गर्त में उतरे, विश्वासघात एवं त्याग दिये गये।

महामारी के समय प्रेम के लिए हृदय खोलें

आज इस महामारी की त्रासदी में कई झूठी सुरक्षाएँ जो ध्वस्त हो चुकी हैं, कई आशाएँ धोखा खा चुके हैं, छोड़ दिये जाने का एहसास हृदय को भारी बना दिया है- येसु हम प्रत्येक से कहते हैं। ढाढ़स रखो, मेरे प्रेम के लिए अपना हृदय खोलो। तुम्हें ईश्वर से सांत्वना मिलेगी जो तुम्हें बल प्रदान करते हैं।

प्यारे भाइयो एवं बहनो, हम ईश्वर के इस महान कार्य के लिए क्या कर सकते हैं जिन्होंने विश्वासघात किये जाने एवं त्याग दिया जाने तक हमारी सेवा की? हम उनका तिरस्कार न करें जिन्होंने हमारी सृष्टि की है। हमारे जीवन के लिए जो महत्व रखता है उसे न छोड़ दें। हम इस दुनिया में उन्हें और अपने पड़ोसियों को प्यार करने के लिए रखे गये थे। सब कुछ समाप्त हो जायेगा सिर्फ प्रेम रह जाएगा।

महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान दें

जो संकट हम इस समय महसूस कर रहे हैं हमारा आह्वान करता है कि हम उन चीजों को गंभीरता से लें जो गम्भीर हैं, उन चीजों पर आसक्त न हों जो महत्वपूर्ण नहीं हैं। इस बात को समझ सकें कि हमारे जीवन का कोई मूल्य नहीं है यदि हम इसका प्रयोग दूसरों की सेवा के लिए न करें क्योंकि जीवन की माप प्रेम से की जायेगी। अतः इन पवित्र दिनों में हमारे घरों में क्रूस के सामने खड़े होकर, क्रूसपर नजर डालें, जो ईश्वर के पूर्ण प्रेम की माप है, ईश्वर जो अपना प्राण अर्पित करने तक हमें देते हैं यह उनकी सेवा है। क्रूस पर एकटक निहारते हुए हम दूसरों की सेवा करने हेतु जीने के लिए कृपा की याचना करें। ताकि हम उन लोगों तक पहुँच सकें जो पीड़ित हैं और जो सबसे अधिक जरूरतमंद हैं। हम अपने अभाव की बहुत अधिक चिंता न कर दूसरों के लिए क्या अच्छा कर सकते हैं उस पर ध्यान दे सकें।

सेवा का रास्ता जीत का रास्ता

पिता जिन्होंने येसु को उनके दुःखभोग में बल प्रदान किया, वे सेवा करने के प्रयास में हमें शक्ति प्रदान करें। दूसरों को प्यार करना, उनके लिए प्रार्थना करना, परिवार और समाज में उनकी देखभाल करना निश्चय ही कठिन है, यह हमारे लिए क्रूस रास्ता के समान हो सकता है, किन्तु सेवा करने का रास्ता जीत का रास्ता है, जीवन देने का रास्ता है जिसके द्वारा हम बचाये गये थे।

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06 April 2020, 12:43