खोज

देवदूत प्रार्थना का पाठ करते संत पापा फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना का पाठ करते संत पापा फ्राँसिस 

ख्रीस्त प्रकाश हैं जो हमारा अंधकार दूर करते हैं, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 22 मार्च को वाटिकन के प्रेरितिक आवास की लाईब्रेरी से लाइव प्रसारण के माध्यम से, देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 23 मार्च 20 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 22 मार्च को वाटिकन के प्रेरितिक आवास की लाईब्रेरी से लाइव प्रसारण के माध्यम से, देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाईयो एवं बहनो सुप्रभात।

चालीसा काल के इस चौथे रविवार की धर्मविधि के केंद्र का विषय है प्रकाश। सुसमाचार पाठ (यो. 9,1-41) जन्म से अंधे व्यक्ति की कहानी बतलाता है जिसको येसु ने दृष्टि दान प्रदान किया। यह चमत्कारिक चिन्ह, येसु के उस कथन की पुष्टि है जिसमें वे कहते हैं, “मैं संसार की ज्योति हूँ।” (5) ज्योति जो हमारे अंधकार को प्रकाशित करती है। वही ज्योति हैं येसु। वे दो स्तर पर आलोकित करने का कार्य करते हैं – शारीरिक और आध्यात्मिक : अंधा पहले आँख की दृष्टि प्राप्त करता है उसके बाद वह ईश्वर के पुत्र में विश्वास करता है। (पद 35) संत पापा ने विश्वासियों को संत योहन रचित सुसमाचार के 9वें अध्याय का पाठ करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “आप इसे पढ़ें। यह बहुत अच्छा है आप के लिए अच्छा होगा।” येसु ने जो चमत्कार किये उसका अर्थ लोगों को आश्चर्यचकित करना नहीं बल्कि आंतरिक परिवर्तन के द्वारा उन्हें विश्वास के रास्ते पर आगे बढ़ाना था।

 संसार की ज्योति

संहिता के पंडित, जिनका एक दल वहाँ उपस्थित था- वह चमत्कार को अस्वीकार करते  हुए चंगा किये गये युवक से उन्मादी सवाल करता है किन्तु वह युवक सच्चाई की शक्ति से उन्हें टालने की कोशिश करता है, “वह पापी है या नहीं इसके बारे मैं कुछ नहीं कह सकता। मैं यही जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखता हूँ।” (पद. 25) अविश्वास एवं विरोध के बीच वहाँ एकत्रित लोगों ने नास्तिकों की तरह सवाल किया। युवक ने एक यात्रा तय की जिसमें वह धीरे-धीरे उन्हें पहचाना जिन्होंने उसकी आँखें खोल दी थीं और वह उनमें विश्वास किया। शुरू में वह उसे एक नबी समझा (17) फिर उन्हें ईश्वर के यहाँ से आया हुआ व्यक्ति माना। (33) और अंत में मसीह स्वीकार किया तथा उनको दण्डवत किया। (36-38) वह समझ गया कि उसे दृष्ट प्रदान कर, येसु ने ईश्वर के कार्य को प्रकट किया।

एक नई सृष्टि

संत पापा ने कहा, “हम भी यह अनुभव कर सकें। विश्वास के प्रकाश में वह जो अंधा था उसने अपनी नई पहचान को प्राप्त की। वह अब एक नई सृष्टि बन गया, एक नये प्रकाश में वह अपने जीवन एवं अपने आपपास की दुनिया को देखने लगा, क्योंकि वह ख्रीस्त से संयुक्त होकर, एक अलग आयाम में प्रवेश कर चुका था। वह अब भिखारी भी नहीं रहा जो समुदाय में हाशिये पर जीवन यापन करता था। वह अब अंधेपन एवं पूर्वाभास का गुलाम नहीं था।

उसके आलोकित किये जाने का रास्ता, पाप से मुक्त होने का प्रतीक है जिसके लिए हम बुलाये गये हैं। पाप एक काले पर्दे के समान है जो हमारे चेहरे को ढंक लेता है और हमें अपने आपको एवं दुनिया को देखने नहीं देता है। ईश्वर की क्षमा इस अंधकार को दूर करती और हमें नया प्रकाश प्रदान करती है। चालीसा काल जिसमें हम जी रहे हैं वह प्रभु के पास आने का एक महत्वपूर्ण समय एवं अवसर है कि हम माता कलीसिया द्वारा प्रदान किये गये विभिन्न उपायों को अपनाते हुए उनकी दया की याचना करें।

चंद्रमा का रहस्य

चंगा किया गया व्यक्ति जो अब अपने शरीर एवं आत्मा दोनों की आँखों से देख सकता है वह सभी बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति का प्रतीक है। हम कृपा द्वारा अंधकार से दूर किये गये हैं और विश्वास के प्रकाश में रखे गये हैं किन्तु प्रकाश को प्राप्त करना मात्र काफी नहीं है। हम सभी दिव्य प्रकाश को प्राप्त करने के लिए बुलाये गये हैं ताकि हम अपने सम्पूर्ण जीवन से उसे प्रकट कर सकें। प्रथम ख्रीस्तीय और उनका ईशशास्त्र कहता था कि ख्रीस्तीय समुदाय अर्थात् कलीसिया, चंद्रमा का रहस्य है जो प्रकाश देता है किन्तु वह उसका अपना प्रकाश नहीं है वह ख्रीस्त से प्रकाश प्राप्त करता था। संत पापा ने कहा कि हमें भी चंद्रमा का रहस्य बनने की आवश्यकता है जिससे कि हम ख्रीस्त रूपी सूर्य से प्रकाश प्राप्त कर दूसरों को प्रकाश दे सकें।

संत पौलुस आज हमें याद दिलाते हैं कि हम प्रकाश की संतान की तरह आचरण करें। “आप लोग पहले अंधकार थे अब प्रभु के शिष्य होने के नाते ज्योति बन गये हैं इसलिए ज्योति की संतान की तरह आचरण करें। जहाँ ज्योति है वहाँ हर प्रकार की भलाई, धार्मिकता और सच्चाई उत्पन्न होती है।” (एफे. 5,8-9)

बपतिस्मा द्वारा नवजीवन का जो बीज हममें लगाया गया है वह आग की चिंगारी के समान है जो हमारे हृदय के अंदर की बुराईयों को जलाकर, सबसे पहले हमें शुद्ध करता और हमें चमकने तथा हमें येसु के प्रकाश से ज्योति प्रकट करने देता है।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की कि धन्य कुँवारी मरियम हमें सुसमाचार के अंधे व्यक्ति का अनुसरण करने हेतु सहायता दे ताकि हम ख्रीस्त के प्रकाश से सराबोर हो सकें और उनके साथ मुक्ति के रास्ते पर चल सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

23 March 2020, 13:45