रोम के महागिरजाघर में रोगियों के लिये प्रार्थना अर्पित करते सन्त पापा फ्राँसिस  रोम के महागिरजाघर में रोगियों के लिये प्रार्थना अर्पित करते सन्त पापा फ्राँसिस  

कोविद-19 पर सन्त पापा फ्राँसिस, प्रभु ईश्वर हैं शक्ति का स्रोत

इटली के दैनिक समाचार पत्र "ला स्ताम्पा" के साथ कोविद-19 महामारी पर बातचीत में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि प्रार्थना हमें हमारी दुर्बलताओं के प्रति सचेत कराती है, किन्तु प्रभु ईश्वर हमारे समीप रहते तथा हममें शक्ति का संचार करते हैं।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 20 मार्च 2020 (रेई, वाटिकन रेडियो): इटली के दैनिक समाचार पत्र "ला स्ताम्पा" के साथ कोविद-19 महामारी पर बातचीत में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि प्रार्थना हमें हमारी दुर्बलताओं के प्रति सचेत कराती है, किन्तु प्रभु ईश्वर हमारे समीप रहते तथा हममें शक्ति का संचार करते हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर के समक्ष हम सब उनकी सन्तानें हैं और इसी विश्वास के बल पर हम विजयी होंगे। 

एकजुट होकर समस्या को पार करें  

सन्त पापा ने कहा, "हम रोते हैं, विलाप करते हैं, पीड़ित हैं, किन्तु हम सभी सम्पूर्ण मानवता स्वरूप ही इस स्थिति से बाहर निकल सकते हैं।" अस्तु, उन्होंने कहा, "यह ज़रूरी है कि एकात्मता के भाव में हम अन्यों को देखें।"   

संकट की इस घड़ी को पश्चाताप, दया और आशा के साथ जीने का आह्वान करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि प्रायः हम अपने जीवन के अधकारपूर्ण खण्डों को भुला देते हैं, हम इस भ्रम में पड़े रहते हैं कि आपदा केवल अन्यों पर पड़ सकती है, हम पर नहीं। उन्होंने कहा कि इस क्षण में यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति इस कठिन दौर में भागीदार बने तथा अपने-अपने दायित्व का पालन करे। 

चालीसाकाल और महामारी की आपात स्थिति 

चालीसाकाल के समय इस महामारी के प्रकोप के विषय में सन्त पापा ने कहा, "प्रार्थना एवं उपवास अन्यों को, और विशेष रूप से, पीड़ितों को एकात्मता की दृष्टि से देखने में हमारी मदद करते हैं।" उन्होंने कहा, "तूफान की स्तिथि में प्रेरितों का एकजुट होकर प्रार्थना करना हम याद करें, प्रभु को वे पुकार कर कहते हैं, हम डूब रहे हैं।" उन्होंने कहा, "इस अभूतपूर्व स्थिति में, जब सब कुछ खाली-खाली नज़र आ रहा है, हम सतत् प्रार्थना करें। प्रार्थना ही हमें हमारी दुर्बलताओं के प्रति सचेत करती है। प्रार्थना पीड़ितों का विलाप है, जो डूब रहे हैं, अकेले हैं, ख़तरे में पड़े हैं।" उन्होंने कहा, "कठिन निराशा और हताशा की घड़ी में यह जानना महत्वपूर्ण है कि संकट के काल में प्रभु ईश्वर को हम पुकार सकते हैं, प्रभु ही हमारी शक्ति और हमारे दुर्ग हैं।"

सन्त पापा ने कहा, "इस तथ्य के प्रति सचेत होना महत्वपूर्ण है कि चाहे हम विश्वासी हों अथवा ग़ैरविश्वासी प्रत्येक मानव परिवार का सदस्य है तथा इस समय सम्पूर्ण मानवता पीड़ित है जिसे प्रार्थना की नितान्त आवश्यकता है। इस समय ज़रूरत है, परस्पर सहयोग की, आपसी समझदारी की, ज़िम्मेदारी और बलिदान की भावना की। किसी के प्रति किसी प्रकार के भेदभाव का यह समय नहीं है, मानवता की जड़ तक हम पहुँचे। ईश्वर के समक्ष हम सब भाई-बहन हैं।"

कठिन स्थिति की स्मृति मददगार

सन्त पापा ने प्रार्थना की कि कोरोना वायरस महामारी से पीड़ित सभी लोगों को शीघ्रातिशीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो। बीमारों की सेवा करनेवाले चिकित्सकों, उपचारकों एवं सभी स्वास्थ्य कर्मियों पर उन्होंने प्रभु की अनुकम्पा का आह्वान किया। साथ ही, इस महामारी से मर चुके लोगों के परिवारों के प्रति गहन सहानुभुति प्रकट करते हुए मृत लोगों को प्रभु की करुणा के सिपुर्द किया तथा उनकी आत्मा शान्ति के लिये आर्त याचना की।

सन्त पापा ने कहा कि जो कुछ हो रहा है यह सब "समस्त स्त्री-पुरुषों को यह याद दिलाने के लिये अत्यधिक महत्वपूर्ण होगा कि हम सब एक हैं, सम्पूर्ण मानवजाति एक ही समुदाय है तथा मानव बिरादरी कितनी महत्वपूर्ण है। हमारे बीच यथार्थ भ्रातृत्व का निर्माण कितना महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने कहा, "भविष्य में आगे बढ़ने के लिये इस कठिन स्थिति की स्मृति मददगार सिद्ध होगी तथा आशा के साथ हम आगे बढ़ सकेंगे। भविष्य के पुनर्निर्माण की कुँजी शब्द होगी, जड़ें, स्मृति,  भाईचारा और आशा।"

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20 March 2020, 11:27