स्क्रीन पर देवदूत प्रार्थना का पाठ करते संत पापा फ्राँसिस स्क्रीन पर देवदूत प्रार्थना का पाठ करते संत पापा फ्राँसिस  

देवदूत प्रार्थना ˸ पवित्र आत्मा की कृपा से हम साक्षी बनते हैं

संत पापा फ्राँसिस ने चालीसा काल के दूसरे रविवार 8 मार्च को, कोरोना वायरस से बचने के सुरक्षा उपायों के कारण, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास के लाईब्रेरी से देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 9 मार्च 2020 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने चालीसा काल के दूसरे रविवार 8 मार्च को,  कोरोना वायरस से बचने के सुरक्षा उपायों के कारण, वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास के लाईब्रेरी से देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित अथवा टेलीविजन एवं विभिन्न संचार माध्यमों से जुड़े विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

"आज की यह देवदूत प्रार्थना थोड़ी अजीब है, जिसमें पोप एक लाईब्रेरी में बंद है पर मैं आपको देख सकता हूँ मैं आपके करीब हूँ। मैं उस दल (जो संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित है) से मिलना एवं उसे धन्यवाद देना चाहता हूँ जो इदलिब के भुला दिये गये लोगों के लिए प्रदर्शन एवं संघर्ष कर रहे हैं। आप जो कुछ कर रहे हैं उसके लिए धन्यवाद। आज इस तरह से देवदूत प्रार्थना हम निवारक प्रावधानों को पूरा करने के लिए कर रहे हैं ताकि एक छोटी भीड़ को रोका जा सके, जो वायरस को फैलने में मदद दे सकती है।"

दुःखभोग के रहस्य को समझना

चालीसा काल के दूसरे रविवार का सुसमाचार पाठ (मती. 17,1-9) येसु के रूपांतरण की घटना को प्रस्तुत करता है। वे अपने साथ पेत्रुस, याकूब और उसके भाई योहन को अपने साथ ले जाकर उन्हें एक ऊँचे पहाड़ पर एकान्त में चले गये जो ईश्वर के सामीप्य का प्रतीक है जिससे कि वे उनके व्यक्तित्व के रहस्य को पूरी तरह समझ सकें जिन्हें दुःख सहना, मरना और जी उठना होगा। वास्तव में, येसु अपने ऊपर बीतने वाले दुःख, मृत्यु और पुनरूत्थान के बारे बात कर रहे थे किन्तु शिष्य उसे स्वीकार नहीं कर पाये। इस कारण, पर्वत के ऊपर पहुँचने पर येसु प्रार्थना में लीन हो गये और तीन चेलों के सामने उनका रूपांतरण हो गया। सुसमाचार बतलाता है कि "उनका मुखमण्डल सूर्य की तरह दमक उठा और उनके वस्त्र प्रकाश के समान उज्ज्वल हो गये।" (पद. 2)

संत पापा ने कहा कि रूपांतरण की इस अनोखी घटना के द्वारा तीन शिष्य येसु में ईश्वर के पुत्र को महिमा से चमकते हुए देखने के लिए निमंत्रित किये गये। इस तरह वे अपने स्वामी को पहचानते हुए महसूस किये कि मानवीय आयाम उनकी पूरी वास्तविकता को प्रकट नहीं कर सकता। उनकी नजरों के लिए जीवन के बाद और येसु के दिव्य आयाम प्रकट हुए। "यह मेरा प्रिय पुत्र है ...इसकी सुनो।" (5) यह स्वर्गीय पिता के शब्द हैं जो अभिषेक को पुष्ट करते हैं। येसु यर्दन नदी में बपतिस्मा के समय अभिषिक्त हो चुके थे, जिनको सुनने एवं उनका अनुसरण करने के लिए, यह एक निमंत्रण है।

साक्ष्य देने के लिए बुलावा

इस बात पर गौर किया जा सकता है कि बारहों के बीच में से येसु पेत्रुस, याकूब और योहन को पर्वत पर जाने के लिए चुनते हैं। रूपांतरण के साक्ष्य को सिर्फ उन्हें प्रकट करते हैं। पर वे क्यों इन तीन लोगों को चुनते हैं? क्या वे दूसरों से अधिक पवित्र थे? संत पापा ने कहा, जी नहीं। इसके बावजूद पेत्रुस परीक्षा की घड़ी उन्हें अस्वीकार करेगा एवं दो भाई याकूब और योहन स्वर्ग राज्य में प्रथम स्थान की मांग करेंगे। (मती.  20,20-23)

येसु हमारे मापदण्ड के अनुसार नहीं बल्कि अपने प्रेम योजना के अनुसार चुनते हैं। येसु के प्रेम का कोई माप नहीं है। यह प्रेम है और उसी प्रेम की योजना द्वारा वे चुनते हैं। यह एक मुफ्त, बेशर्त चुनाव है, एक स्वतंत्रत पहल है, एक दिव्य मित्रता जो बदले में कुछ नहीं मांगता। जिस तरह उन्होंने तीन शिष्यों को बुलाया, उसी तरह आज वे कुछ लोगों को अपने करीब रहने के लिए बुलाते हैं ताकि उनका साक्ष्य दे सकें। येसु का साक्षी बनना एक कृपा है जो हमारी क्षमता पर निर्भर नहीं है। हम अयोग्य महसूस करते हैं किन्तु हम अपनी अयोग्यताओं को बहाना का कारण नहीं बना सकते।

पवित्र आत्मा की कृपा

हम ताबोर पर्वत पर नहीं चढ़े हैं, न ही येसु के चेहरे को सूर्य की तरह चमकते देखा है। फिर भी, हमें मुक्ति के शब्द दिये गये हैं, हमें विश्वास प्रदान किया गया है और हमने येसु के साथ मुलाकात के आनन्द को विभिन्न रूपों में अनुभव किया है। येसु हमसे भी कहते हैं, ''उठो, डरो मत''। (मती. 17, 7) इस दुनिया में जो स्वार्थ और लालच से प्रभावित है ईश्वर का प्रकाश दैनिक जीवन की चिंताओं के बादल से घिरा है। हम बहुधा कहते हैं, मेरे पास प्रार्थना करने के लिए समय नहीं है, मैं पल्ली में सेवा नहीं दे सकता, दूसरों की सहायता नहीं कर सकता किन्तु हमें नहीं भूलना चाहिए कि हमने जो बपतिस्मा एवं दृढ़ीकरण संस्कार ग्रहण किया है उसके कारण हम साक्षी बन गये हैं। 

चालीसा काल के इस अनुग्राही समय में कुँवारी मरियम हमें आत्मा के प्रति उदार बनने में मदद करे ताकि हम मन-परिवर्तन के रास्ते पर आगे बढ़ सकें। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

संत पापा का अभिवादन

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा प्रार्थना में भाग ले रहे विश्वासियों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "मैं आप सभी का अभिवादन करता हूँ जो इस समय मेरे साथ प्रार्थना कर रहे हैं, मैं विशेषकर, "नये तरीके से सम्पर्क करने के अनीमेटर्स" प्रशिक्षण कोर्स के प्रतिभागियों, स्पेन के टोर्रेंन्ट के विश्वासियों का अभिवादन करता हूँ।" उन्होंने कोवेरचानो के युवाओं एवं मोन्तेओडोरिसियो के प्रथम परमप्रसाद ग्रहण करने वाले बच्चों का भी अभिवादन किया।  

सीरिया के लिए प्रार्थना

संत पापा ने सीरियाई लोगों के साथ एकात्मता में जुड़े दल एवं संगठन, खासकर, इदलिब एवं उत्तर पूर्वी सीरिया के निवासियों को सम्बोधित करते हुए कहा, "मैं आपको यहाँ देख रहा हूँ जो युद्ध के कारण भागने के लिए मजबूर हुए हैं।" उन्होंने कहा कि मैं इन असुरक्षित लोगों के साथ बीत रहे अमानवीय स्थिति के लिए दुःखी हूँ। इसमें बुहत सारे बच्चे भी हैं जिनका जीवन खतरे में है। हमें इस अमानवीय संकट को अनदेखा नहीं करना चाहिए किन्तु प्राथमिकता से ध्यान देना चाहिए। आइये, हम इन लोगों के लिए प्रार्थना करें, जो उत्तर पूर्वी सीरिया के इदलिब शहर में पीड़ित हैं।

कोरोना वायरस से पीड़ित एवं उनकी देखभाल करनेवालों के प्रति सहानुभूति

तब संत पापा ने कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के प्रति अपने सामीप्य का आश्वासन दिया। उन्होंने उन्हें सम्बोधित कर कहा, "मैं अपनी प्रार्थना द्वारा उन लोगों के करीब हूँ जो इस कोरोना वायरस की महामारी से पीड़ित हैं और जो उनकी देखभाल कर रहे हैं। मैं अपने धर्माध्यक्ष भाइयों के साथ विश्वासियों को प्रोत्साहन देता हूँ कि इस कठिन समय को विश्वास की शक्ति, आशा की निश्चितता और उदारता के उत्साह से जीयें। चालीसा काल हमें इस कठिनाई और दुःख की घड़ी में भी सुसमाचारी मनोभाव अपनाने में मदद दे।"

अंत में, संत पापा ने अपने लिए प्रार्थना का आग्रह किया तथा खिड़की से लोगों के सामने प्रकट होते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

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09 March 2020, 15:23