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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

शैतान से कभी वार्तालाप न करें, देवदूत प्रार्थना में संत पापा

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 1 मार्च को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 मार्च 2020 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "चालीसा काल के इस पहले रविवार का सुसमाचार पाठ (मती. 4,1-11) बतलाता है कि यर्दन नदी में बपतिस्मा लेने के बाद "आत्मा ईसा को निर्जन प्रदेश ले चला, जिससे शैतान उनकी परीक्षा ले।" (पद. 1) वे वहाँ स्वर्ग राज्य की घोषणा करने के लिए अपने आपको तैयार करते हैं जैसा कि मूसा और एलियस ने पुराने व्यवस्थान में चालीसा काल के समय, चालीस दिनों तक उपवास किया था।" (1राजा 19,8)

तीन परीक्षाएँ

उपवास की इस अवधि के अंत में, प्रलोभन देनेवाला शैतान तीन बार आकर येसु को परेशान करता है। पहला प्रलोभन येसु के भूखे होने से जुड़ा है। शैतान उनसे कहता है, "'यदि आप ईश्वर के पुत्र हैं, तो कह दीजिए कि ये पत्थर रोटियाँ बन जायें''।(पद. 3). यह एक चुनौती है, परन्तु येसु का उत्तर स्पष्ट है वे कहते हैं, ''लिखा है- मनुष्य रोटी से ही नहीं जीता है। वह ईश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक शब्द से जीता है।'' (4,4) वे मूसा की याद करते हैं जिन्होंने मरूभूमि में लोगों के साथ यात्रा करते समय महसूस किया था कि उनका जीवन ईश वचन पर ही निर्भर है। (विधि.वि 8,3).

उसके बाद शैतान दूसरी बार परीक्षा लेता है (पद. 5-6) वह पवित्र धर्मग्रंथ का हवाला देने में भी चतुर है। उसकी रणनीति स्पष्ट है वह कहता है, "यदि आप ईश्वर के पुत्र हैं तो नीचे कूद जाइए; क्योंकि लिखा है- तुम्हारे विषय में वह अपने दूतों को आदेश देगा। वे तुम्हें अपने हाथों पर संभाल लेंगे कि कहीं तुम्हारे पैरों को पत्थर से चोट न लगे।'' (पद. 6). किन्तु इस बार भी येसु अपने आपको संदेह में पड़ने नहीं देते, वे जानते हैं कि जो ईश्वर पर भरोसा रखते हैं वे उनकी परीक्षा नहीं लेते बल्कि उन्हें अपनी अच्छाई प्रदान करते हैं। अतः बाईबिल का वचन जिसका उपयोग शैतान अपने औजार के रूप में प्रस्तुत करता है, येसु उसका जवाब दूसरे वचन से देते हैं, ''यह भी लिखा है- अपने प्रभु-ईश्वर की परीक्षा मत लो''। (पद. 7).

अंततः तीसरी परीक्षा (8-9) शैतान के वास्तविक सोच को प्रकट करता है ˸ चूँकि स्वर्ग राज्य का प्रकट होना, उसके हार का चिन्ह था, अतः शैतान येसु को राजनीतिक मसीहावाद की संभावना दिखाकर, उनके मिशन से भटकाना चाहता था। परन्तु येसु शक्ति की पूजा एवं मानवीय गारिमा का बहिष्कार करते हैं और अंत में यह कहते हुए शैतान को अपने आप से दूर कर देते हैं, "हट जा शैतान! लिखा है अपने प्रभु- ईश्वर की आराधना करो, और केवल उसी की सेवा करो।'' (10). इस पर शैतान उन्हें छोड़ कर चला गया, और र्स्वगदूत आ कर उनकी सेवा-परिचर्या करते रहे। (पद. 11)

शैतान से कभी बहस नहीं करना चाहिए

संत पापा ने कहा, "यह एक चीज सिखलाता है कि येसु शैतान से वार्तालाप नहीं करते। वे शैतान को अपने शब्दों से नहीं बल्कि ईश्वर के वचन से जवाब देते हैं। परीक्षा के समय कई बार हम प्रलोभन में शैतान से बात करने लगते हैं, "हाँ, लेकिन मैं ऐसा कर सकता हूँ...उसके बाद पापस्वीकार कर सकता हूँ, फिर ऐसा इत्यादि ...।" संत पापा ने कहा, "शैतान से कभी वार्तालाप नहीं करना चाहिए। येसु यहाँ शैतान के साथ दो चीजें करते हैं, उसे अपने आप से दूर भगाते और ईश्वर के वचनों से जवाब देते हैं।" उन्होंने कहा कि हम सावधान रहें, प्रलोभन से कभी बातचीत नहीं करें, शैतान से कभी बहस नहीं करें।   

लोगों के जीवन में शैतान का आना

आज भी शैतान अपने लालच भरे प्रस्तावों के साथ, लोगों के जीवन में प्रलोभन देने आता है। वह अंतःकरण को कई आवाजों के साथ मिश्रित कर शांत करने का प्रयास करता है। चारों ओर से आने वाले संदेश प्रलोभन में डालते हैं कि हम रोमांच के लिए चीजों का उल्लंघन करें। येसु का अनुभव हमें सिखलाता है कि प्रलोभन, ईश्वर के रास्ते के समान दूसरे रास्ते पर चलने का विकल्प देता है, "आप ऐसा कर सकते हैं इसमें कोई दिक्कत नहीं है, ईश्वर क्षमा कर देंगे,... एक ही दिन की खुशी के लिए, इससे क्या पाप होगा- कुछ भी पाप नहीं लगेगा... आदि।" दूसरे वैकल्पिक रास्ते, आपको आत्म-संतुष्टि का, जीवन का आनन्द लेने का अनुभव देते हैं, पर यह भ्रमात्मक है, हम शीघ्र महसूस करने लगते हैं कि हम ईश्वर को अपने आप से जितना दूर करते, अपने अस्तित्व की बड़ी समस्याओं के सामने, उतना ही अधिक असुरक्षित एवं असहाय महसूस करने लगते हैं।

माता मरियम से प्रार्थना

कुँवारी मरियम, सांप के सिर को कुचलने वाले की माता, चालीसा काल में हमारी सहायता करे ताकि हम प्रलोभनों के सामने सचेत रह सकें, इस दुनिया की देवमूर्तियों के सामने न झुकें और बुराई से लड़ने में येसु का अनुसरण करें ताकि हम येसु के समान विजय पा सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

चालीसा काल की शुभकामनाएँ

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विश्वासियों एव तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "मैं रोम के विश्वासियों तथा इटली एवं विभिन्न देशों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन करता हूँ विशेषकर, मैं फोरमेनतेरा के युवाओं, ओस्तुनी एवं रोम में पेत्रोलचिना के संत पियो पल्ली के विश्वासियों का अभिवादन करता हूँ।"  

उन्होंने चालीसा काल की शुभकामनाएँ देते हुए कहा, "सभी को चालीसा काल की यात्रा की शुभकामनाएँ, जो अभी–अभी शुरू हुई है। यह आत्मा के फल से समृद्ध एवं भले कार्यों से पूर्ण हो।"

विस्थापितों के लिए प्रार्थना का आह्वान

संत पापा ने युद्ध के कारण पलायन करने एवं शरण की खोज करने वाले लोगों के लिए प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "मुझे यह समाचार पाकर दुःख हुआ कि बहुत सारे विस्थापित लोग आ रहे हैं। कई स्त्री, पुरूष और बच्चे युद्ध के कारण भगा दिये गये हैं। विश्व में कई लोग शरण एवं सहायता की गुहार लगा रहे हैं। इन दिनों यह बहुत अधिक हो रहा है आइये हम उनके लिए प्रार्थना करें।"

रोमन कूरिया के कर्मचारी आध्यात्मिक साधना में

संत पापा फ्राँसिस ने रोमन कूरिया के कर्मचारियों की भी याद की जो आध्यात्मिक साधना शुरू कर रहे हैं, उन्होंने कहा, "वे अरिच्चा में आध्यात्मिक साधना शुरू कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, सर्दी ने इस साल मुझे इसमें भाग लेने से रोक दिया, मैं यहीं से मनन-चिंतन में भाग लूँगा। मैं आध्यात्मिक रूप से कूरिया के साथ एवं उन सभी लोगों के साथ हूँ जो अपने घरों में आध्यात्मिक साधना एवं प्रार्थना कर रहे हैं।" अंत में, संत पापा ने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।  

      

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02 March 2020, 15:02