अरिच्चा में आध्यात्मिक साधना में भाग लेते प्रतिभागी अरिच्चा में आध्यात्मिक साधना में भाग लेते प्रतिभागी 

ईश्वर के साथ गहरे संबंध का आदर्श मूसा

संत पापा फ्राँसिस ने परमधर्मपीठीय रोमी कार्यालय के कर्मचारियों के लिए आध्यात्मिक साधना के संचालक फादर पियेत्रो बोभाती को एक पत्र भेजा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

अरिच्चा, मंगलवार, 3 मार्च 2020 (वीएन)˸ संत पापा फ्राँसिस सर्दी जुकाम के कारण वाटिकन के प्रेरितिक आवास से ही आध्यात्मिक साधना में भाग ले रहे हैं किन्तु अरिच्चा में आध्यात्मिक साधना शुरू करने हेतु उन्होंने आध्यात्मिक साधना के संचालक जेस्विट फादर पियेत्रो बोभाती को एक पत्र भेजा।

पत्र में संत पापा ने आध्यात्मिक के संचालक एवं आध्यात्मिक साधना के प्रतिभागियों को अपनी प्रार्थना का आश्वासन देते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया है। उन्होंन पत्र में लिखा है, "मैं यहीं से आपके साथ चल रहा हूँ, मैं फादर बोभाती के प्रवचन को लेते हुए आध्यात्मिक साधना, अपने ही कमरे में करूँगा। मैं अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। मैं आपके लिए प्रार्थना कर रहा हूँ, कृपया आप भी मेरे लिए प्रार्थना करें।  

प्रथम दिनः दिव्य प्रकाशना के प्रति खुला

परमधर्मपीठीय बाईबिल आयोग के सचिव फादर बोभाती ने रविवार शाम को आध्यात्मिक साधना शुरू करते हुए अपना पहला प्रवचन प्रस्तुत किया। उसकी विषयवस्तु थी, "झाड़ी में आग" (निर्गमन 3˸2) निर्मगन ग्रंथ के आलोक में ईश्वर एवं मनुष्य के बीच मुलाकात। आध्यात्मिक संचालक ने कहा कि प्राचीन व्यवस्थान में मूसा की कहानी दिव्य प्रकाशना के प्रति खुला होने में आराम करने का निमंत्रण है।

प्रार्थना का आदर्श

फादर बोभाती ने कहा कि मूसा कुछ दिनों के लिए तम्बू में अपने आपको लोगों से अलग करता है जहाँ वह प्रभु से आमने-सामने बात करता है। फादर ने कहा कि सच्ची प्रार्थना मूसा के समान आग के सामने आना है जो हमें साक्ष्य देने के प्रचार मिशन को पूरा करने में मदद देगा। उन्होंने कहा कि मूसा प्रभु के प्रति आज्ञाकारी था। मूसा ने प्रभु के कहने पर अपने जूते उतारे। यह दिखलाता है कि व्यक्ति को उस रास्ते पर, उस दिशा में या ख्रीस्त से अलग होकर नहीं चलना है जो सही रास्ता नहीं है।  

दूसरा दिनः इच्छा की यात्रा

सोमवार सुबह को आध्यात्मिक साधना के संचालक ने अपने प्रवचन में निर्गमन ग्रंथ 2ः 1-10, मती 1: 18-25; स्तोत्र 139 के पाठों पर चिंतन किया।

उन्होंने पुनः प्रार्थना में मूसा को आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जो तम्बू में प्रभु से मुलाकात करते थे। उन्होंने उसे "इच्छा की यात्रा" कहा। जब मूसा तम्बू में प्रवेश करते थे प्रवेश द्वार पर एक बादल छा जाता था जो प्रभु की उपस्थिति का चिन्ह था। फादर ने कहा कि सच्ची प्रार्थना एक नबी के समान महसूस करना है जिसमें मानव प्राणी एकान्त में ईश्वर की आवाज सुन सके।  

 

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03 March 2020, 16:28