संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

प्रभु, आप अपने हाथों से महामारी को रोकें, संत पापा

संत पापा ने इतालवी समाचार पत्र "रिपब्लिका" के साथ साक्षात्कार में सभी लोगों से अपील की है कि वे महामारी में अपनों को खोये हुए लोगों के करीब रहने का प्रयास करें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 18 मार्च 2020 (रेई) : “मैंने ईश्वर से महामारी को रोकने के लिए कहा : प्रभु, आप इसे अपने हाथ से रोकें। मैंने इसके लिए प्रार्थना की।" रविवार शाम को संत मरिया मेजर महागिरजाघर और संत मार्सेल गिरजाघर के दौरे के बारे वाटिकन न्यूज के रिपोर्टर पाओलो रोडारी द्वारा साक्षात्कार में पूछे गये सवाल के जवाब में संत पापा फ्राँसिस ने उक्त बातें कहीं।

संत पापा ने इन मुश्किल दिनों को कैसे जीना है, इसका प्रस्ताव देते हुए कहा: "हमें उन छोटी-छोटी बातों की महत्ता को फिर से खोजना चाहिए, जो हमारे परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच में है।हम यह समझें कि छोटी-छोटी चीजों में हमारा खजाना है। कोमलता, स्नेह, करुणा के इशारे हैं, जो हालांकि महत्वपूर्ण हैं,पर कभी-कभी रोजमर्रा की जिंदगी की गुमनामी में खो जाते हैं, उदाहरण के लिए, एक गर्म पकवान, एक चुम्मा, एक आलिंगन, एक फोन कॉल ... ये हर दिन के सामान्य जीवन में एक दूसरे से जुड़े रहने का तरीका है।

आपसी निकटता हेतु नई खोज

संत पापा ने कहा, “कभी-कभी हमारे बीच केवल आभासी संचार होता है। इसके बजाय हमें आपसी निकटता हेतु नई खोज करनी चाहिए। हमारे संबंधों को बड़े ध्यान और धैर्य के साथ ठोस बनाना चाहिए। अक्सर घर पर परिवार के सदस्य बड़ी खामोशी में एक साथ भोजन करते हैं, वे आपस में एक-दूसरे से बात नहीं करते हैं। खाते समय माता-पिता टेलीविजन देखते हैं और बच्चे फोन पर होते हैं। ऐसा लगता है कि वहाँ भिक्षु बैठकर खाना खा रहे हों जो आपस में बातें नहीं कर सकते। संत पापा ने कहा कि परिवार में हमें एक दूसरे से बातें करना उनकी बातें सुनना बहुत महत्वपूर्ण है। तभी हम एक-दूसरे की जरूरतों, प्रयासों, इच्छाओं को समझ सकते हैं। ठोस इशारों से बनी एक भाषा होती है जिसे हमें सुरक्षित रखनी चाहिए। मेरी राय में, इन मुश्किल दिनों में हमारे पारिवारिक संबंधों को फिर से मजबूत करने की जरुरत है।"  

पीड़ितों के परिवारों को सांत्वना

संत पापा ने स्वास्थ्य कर्मियों, स्वयंसेवकों और पीड़ितों के परिवारों को विशेष याद करते हुए कहा, "मैं उन लोगों को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने दूसरों की सेवा में खुद को समर्पित किया है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आप उन लोगों के करीब रहें, जिन्होंने प्रियजनों को खो दिया है, हर संभव तरीके से उनका साथ देने की कोशिश करें। उन्हें सांत्वना देना हम सभी की प्रतिबद्धता होनी चाहिए।"  इस संबंध में संत पापा हाल ही में फाबियो फैज़ियो द्वारा प्रकाशित एक लेख को याद किया जिसमें इस बात की चर्चा की गई है कि "हमारा व्यवहार हमेशा दूसरों के जीवन को प्रभावित करता है।" लेखक ने उन लोगों का उदाहरण दिया है, जो करों का भुगतान नहीं करते हैं जिसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाओं की कमी हो जाती है।

आशा बनायें रखें

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने सभी को धैर्य और आशा बनाये रखने के लिए आमंत्रित किया। जो लोग ईश्वर में विश्वास नहीं करते हैं: वे भी ईश्वर के बच्चे हैं और ईश्वर सबकी देखभाल करते हैं। यहां तक ​​कि अभी तक जिन्होंने ईश्वर का अनुभव नहीं किया है, जिनके पास विश्वास का उपहार नहीं है, वे भी अच्छी चीजों में अपना रास्ता ढूंढ सकते हैं, जिसमें वे विश्वास करते हैं: वे अपने परिवार, भाइयों और बच्चों के प्यार में ताकत पा सकते हैं। कोई यह कह सकता है, "मैं प्रार्थना नहीं कर सकता क्योंकि मैं विश्वास नहीं करता हूँ।" लेकिन एक ही समय में, हालांकि, वह अपने आस-पास के लोगों के प्यार पर विश्वास कर सकता है और वहां आशा पा सकता है।

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18 March 2020, 14:44