अमाजोन के लोगों से मुलाकात करते संत पापा अमाजोन के लोगों से मुलाकात करते संत पापा 

संत पापा के प्रेरितिक प्रबोधन में कलीसिया का अमाजोनी चेहरा

संत पापा ने अमाजोन पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का प्रेरितिक प्रबोधन प्रकाशित किया। प्रेरितिक प्रबोधन सुसमाचार प्रचार और पर्यावरण एवं गरीबों की देखभाल का नया मार्ग प्रशस्त करता है। संत पापा फ्राँसिस एक नये मिशनरी प्रेरणा की उम्मीद करते हैं तथा कलीसियाई समुदाय में लोकधर्मियों की भूमिका को प्रोत्साहन देते हैं।

अलेसांद्रो जिसोत्ती -वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 12 फरवरी 2020 (रेई)˸ "क्वेरिदा अमाजोन" (प्यारे अमाजोन) शीर्षक से प्रकाशित प्रेरितिक प्रबोधन की शुरूआत इन शब्दों से की गयी है, "प्यारे अमाजोन को विश्व के सामने इसके सारे वैभव, नाटक एवं रहस्यों के साथ प्रस्तुत किया गया।" संत पापा ने पहले विन्दु (2-4) पर, "इस प्रबोधन के अर्थ" की व्याख्या की है जिसमें अमाजोन क्षेत्र के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के दस्तावेजों का हवाला दिया गया है, इसके साथ ही, इसमें अमाजोन से संबंधित कविताओं को भी उद्धृत किया गया है। जोर दिया गया है कि वे "प्रतिध्वनियाँ व्यक्त" करना चाहते हैं कि सिनॉड ने उन्हें प्रदीप्त किया है। इससे स्पष्ट होता है कि यह अंतिम दस्तावेज का स्थान लेना या उसे दोहराना नहीं चाहता। इस आशा से कि समस्त कलीसिया समृद्ध हो एवं इससे परामर्श ले सके और अमाजोनी कलीसिया स्वयं "इसके इस्तेमाल के लिए" प्रतिबद्ध हो, पूरे दस्तावेज को पढ़ने का निमंत्रण देता है।

संत पापा फ्राँसिस "अमाजोन के लिए अपने स्वप्न" (5-7) को साझा करते हैं जिसका भाग्य सभी को चिंतित करता है क्योंकि यह भूमि भी "हमारी" है। इस प्रकार यह "चार महान स्वप्न" निरूपित करता है ˸ सबसे गरीब लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना, सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करना, प्राकृतिक सुंदरता की रक्षा उत्साह से करना और ख्रीस्तीय समुदाय अमाजोन में प्रवेश करने एवं कलीसिया अमाजोनी चेहरा धारण करने में सक्षम है।

सामाजिक सपना ˸ कलीसिया उपेक्षितों की बगल में

क्वेरिदा अमाजोन का पहला अध्याय "सामाजिक सपने" (8) पर केंद्रित है। यह जोर देता है कि "एक सच्चा पारिस्थितिक दृष्टिकोण" भी एक "सामाजिक दृष्टिकोण" है जो मूल निवासियों के "अच्छे जीवन" की सराहना करते हुए "संरक्षणवाद" के खिलाफ चेतावनी देता है जो सिर्फ पर्यावरण से संबंधित है। यह ऊँचे "स्वर में अन्याय और अपराध" पर आवाज उठाता है (9-14)। यह याद करता है कि संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ने "अमाजोन की पर्यावरण तबाही" की पहले ही निंदा की थी। यह चेतावनी देता है कि मूल निवासी, स्थानीय एवं बाह्य दोनों ताकतों द्वारा गुलामी के शिकार हैं। संत पापा के लिए आर्थिक क्रियाएँ जो तबाही, हत्या, भ्रष्टाचार को ईंधन प्रदान करते हैं उन्हें "अन्याय और अपराध" कही जा सकती हैं। संत पापा जॉन पौल द्वितीय के साथ वे भी बारम्बार दुहराते हैं कि वैश्विकरण एक नया उपनिवेशवाद न बन जाए।

अमाजोन के भविष्य के संबंध में गरीबों की सुनी जाए  

बहुत अधिक अन्याय सहने के कारण रूष्ट लोगों से संत पापा क्षमा मांगते हैं (15-19) संत पापा के लिए "एकात्मता एवं विकास के नेटवर्क" की जरूरत है तथा इसके लिए वे राजनीतिक नेताओं समेत सभी से प्रतिबद्धता का आह्वान करते हैं। उसके बाद संत पापा "सामुदायिक मनोभाव" (20-22) पर प्रकाश डालते हैं। वे याद दिलाते हैं कि अमाजोन के लोगों का मानवीय संबंध, आसपास की प्रकृति से गहराई से जुड़ा है। अतः वे लिखते हैं कि जब उन्हें शहरों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर किया जाता है तब उनके जीवन को सचमुच उखाड़ दिये जाने के समान है।

प्रबोधन के पहले अध्याय के अंतिम भाग को "निम्‍नीकृत संस्थाओं" (23-35) और "सामाजिक संवाद" (26-27) को समर्पित किया गया है। संत पापा भ्रष्टाचार की बुराई का विरोध करते हैं जो देश एवं संस्थाओं को विषक्त करता है। उनकी आशा है कि अमाजोन सामाजिक वार्ता का स्थान बनेगा, सबसे बढ़कर निम्न लोगों के साथ। उनके अनुसार अमाजोन में गरीबों की आवाज ही सबसे प्रभावशाली आवाज होगी।

सामाजिक सपना ˸ अमाजोन के बहुतल की देखभाल

दस्तावेज के दूसरे अध्याय को "सांस्कृतिक सपने" को समर्पित किया गया है। संत पापा फ्राँसिस यह तुरन्त स्पष्ट करते हैं कि "अमाजोन को बढ़ावा देने का अर्थ" इसे "सांस्कृतिक रूप से उपनिवेश" (28) बनाना नहीं है। अतः वे उस छवि का समर्थन करते हैं जो उन्हें प्रिय है: "अमाजोनी बहुतल" (29-32)। उन्होंने कहा है कि हमें आधुनिक काल के उपनिवेशवाद का सामना करना है। उनके लिए "मूल को बनाये रखना" (33-35) अति आवश्यक है।

"लौदातो सी" एवं "ख्रीस्तुस विवित" का हवाला देते हुए वे मानव प्राणी के उपभोक्तावादी दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं जो "सांस्कृतिक समजातीयता" चाहता है जिसका सबसे अधिक प्रभाव युवाओं पर पड़ता है। उन्होंने उनसे आग्रह किया है कि वे अपने "मूल की जिम्मेदारी लें" ताकि "घायल स्मृतियों को मिटाया जा सके।"

एक बंद मूल निवासीवाद को "न", अंतर-सांस्कृतिक मुलाकात की आवश्यकता

प्रबोधन में "अंतर-सांस्कृतिक मुलाकात" (36-38) की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है। स्पष्टतः, अधिक विकसित संस्कृतियाँ भी, "प्रकृति से जुड़कर विकसित सांस्कृतिक धरोहर" से सीख ले सकते हैं। इस प्रकार विविधता एक घेरा नहीं बल्कि एक सेतु है और यह पूरी तरह बंद मूल निवासीवाद को "न" कहता है।  दूसरे अध्याय का अंतिम भाग "भयभीत संस्कृतियों", "जोखिम में लोग" (39-40) पर प्रकाश डालता है। संत पापा की सिफ़ारिश है कि अमाजोन के लिए किसी भी योजना में, "लोगों के अधिकारों के परिप्रेक्ष्य को लेना आवश्यक है।" इन्हें शायद ही कभी संरक्षित किया जा सकता है यदि पर्यावरण जिसमें वे पैदा हुए थे उसमें "गिरावट" आये।

पारिस्थितिकी सपना: पर्यावरण देखभाल और व्यक्तिगत देखभाल को संयोजित करना

तीसरा अध्याय "पारिस्थितिकी सपने" पर केंद्रित है जो प्रेरितिक पत्र लौदातो सी से करीबी से जुड़ा है। परिचय (41-42) में इस बात पर जोर दिया गया है कि अमाजोन में, मानव प्राणी एवं प्रकृति के बीच गहरा संबंध है। उन्होंने कहा है कि ईश्वर जिस तरह हमारी देखभाल करते हैं उसी तरह हमें भाई बहनों की चिंता करना है। यह पहली परिस्थितिकी है जिसकी हमें आवश्यकता है। पर्यावरण की देखभाल एवं गरीबों की देखभाल को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। इसके बाद संत पापा हमारा ध्यान "जल के सपने" की ओर खींचते हैं (43-46)। चिते पाब्लो नेरूदा और अन्य स्थानीय कवि अमाजोन की नदी की सुन्दरता एवं शक्ति का वर्णन करते हैं। अपनी कविता में वे लिखते हैं कि तकनीकी और उपभोक्तावादी प्रतिमान जो प्रकृति का दम घोंटता है वह हमें उनसे मुक्त होने में मदद देती है।

अमाजोन की पुकार सुनें, विकास सतत्

संत पापा के लिए अमाजोन के लोगों की पुकार सुनना अनिवार्य है (47-52)। वे लिखते हैं कि इसमें न केवल स्थानीय हित है बल्कि अंतरराष्ट्रीय भी। अतः समाधान, अमाजोन का अंतर्राष्ट्रीयकरण नहीं बल्कि "राष्ट्रीय सरकारों की ज़िम्मेदारी" बढ़ने में है। सतत् विकास मांग करती है कि निवासियों को उन योजनाओं की जानकारी दी जाए जो उनसे संबंधित हैं तथा " अनुल्लंघनीय सीमा" के साथ "एक नियामक प्रणाली" के निर्माण की उम्मीद करते हैं। यह चिंतन हेतु निमंत्रण देता है। मूल वासियों की आवाज सुनने के द्वारा हम न केवल इसका प्रयोग बल्कि अमाजोन से प्रेम कर सकते हैं। हम इसे ईशशास्त्र के स्थान के रूप में देख सकते हैं, एक ऐसा स्थान जहाँ ईश्वर अपने आपको प्रकट करते हैं और अपने बच्चों को बुलाते हैं।

तीसरा अध्याय "शिक्षा एवं पारिस्थितिकी आदतों" (58-60) पर प्रकाश डालता है। संत पापा जोर देते हैं कि पर्यावरण कोई तकनीकी सवाल नहीं है बल्कि शैक्षणिक आयाम को हमेशा साथ रखता है।  

कलीसियाई सपना ˸ अमाजोनी चेहरे के साथ कलीसिया का विकास

अंतिम अध्याय के अधिकांश भाग को काथलिक याजकों एवं विश्वासियों के लिए समर्पित किया गया है तथा कलीसियाई सपने पर प्रकाश डाला गया है। संत पापा निमंत्रण देते है कि अमाजोनी चेहरे के साथ कलीसिया का विकास किया जाए, अमाजोन में एक महान मिशनरी घोषणा (61) एक अत्यावश्यक घोषणा है। (62-65) संत पापा के लिए यह काफी नहीं है कि सामाजिक संदेश लाया जाए क्योंकि उन्हें भी सुसमाचार की घोषणा करने का अधिकार है। अन्यथा सभी कलीसियाई संरचनाएँ गैरसरकारी संगठन बन कर रह जायेंगी। अध्याय के कुछ भाग को "सांस्कृतिक अनुकूलन" को समर्पित किया गया है। गौदियुम एत स्पेस का हवाला देते हुए उन्होंने सांस्कृतिक अनुकूलन (66-69) को एक प्रक्रिया कहा है जो सुसमाचार के प्रकाश में अमाजोन की संस्कृति में पूर्णता लाता है।

 अमाजोन में सुसमाचार का एक नए सिरे से सांस्कृतिक अनुकूलन     

संत पापा अमाजोन में सांस्कृतिक अनुकूलन के रास्तों को इंगित करते हैं (70-74) वे लिखते हैं कि वास्तविक समुदायों में जो मूल्य हैं उन्हें सुसमाचार प्रचार में ध्यान दिया जाना चाहिए। अगले दो परिच्छेदों में वे सामाजिक एवं आध्यात्मिक सांस्कृतिक अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।(75-76) वे इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि, अमाजोन के कई निवासियों की गरीबी को देखते हुए, सांस्कृतिक अनुकूलन "एक मजबूत सामाजिक मोहर" होना चाहिए। हालांकि, साथ ही, सामाजिक आयाम को "आध्यात्मिक" के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए।

संस्कार सभी के लिए उपलब्ध हो खासकर, गरीबों के लिए

तत्पश्चात् प्रबोधन में "अमाजोन की पवित्रता" के आरम्भिक विन्दु को इंगित किया गया है। (77-80) जिसे अन्य स्थानों के मॉडल की प्रतिलिपि नहीं बनानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा है कि "आदिवासियों के प्रतीकों को कुछ हद तक मूर्तिपूजा करार दिये बिना स्वीकार किया जाना संभव है।" यह किसी मिथक से जुड़ा हो सकता है एवं इसमें धार्मिक भावना हो सकती है अतः इसे गैरख्रीस्तीय गलती के रूप में नहीं देखा जा सकता। यही बात कुछ धार्मिक छुट्टियों पर भी लागू है जिसके लिए शुद्धिकरण प्रक्रिया की आवश्यकता होती है जिसका पवित्र अर्थ होता है।     

क्वेरिदा अमाजोन पर एक अन्य परिच्छेद में धर्मविधि के सांस्कृतिक अनुकूलन पर प्रकाश डाला गया है। (81-84)  संत पापा गौर करते हैं कि द्वितीय वाटिकन महासभा ने पहले ही आदिवासी लोगों में धर्मविधिक सांस्कृतिक अनुकूलन की मांग की थी। उन्होंने याद किया कि सिनॉड में अमाजोनी रीति का विस्तार करने का प्रस्ताव था। कहा गया था कि संस्कार सुलभ हो खासकर, गरीबों के लिए। कलीसिया अमोरिस लेतित्सिया की याद करते हुए रेखांकित करती है कि उसे रिवाज में बदला नहीं जा सकता।

लातीनी अमरीकी धर्माध्यक्षों द्वारा मिशनरियों को अमाजोन भेजा जाना

इससे संबंधित विषयवस्तु है "प्रेरिताई कार्य का सांस्कृतिक अनुकूलन" (85-90) जिसपर कलीसिया को प्रत्युत्तर देना है। संत पापा के अनुसार यूखरिस्त समारोह में अधिक बार भाग लेने की गारांटी दी जाए। इस संबंध में वे जोर देते हैं कि "यह निर्धारित करना महत्वपूर्ण है कि पुरोहित से अधिक क्या विशिष्ट है। इसका उत्तर हम पावन पुरोहितीय संस्कार में पढ़ते हैं जो पुरोहितों को यूखरिस्त संस्कार का अनुष्ठान करने की अनुमति देता है। फिर दूरस्थ क्षेत्रों में "याजकीय मिशन को कैसे सुनिश्चित किया जाए"? संत पापा सभी धर्माध्यक्षों से, विशेषकर, लातीनी अमरीका के धर्माध्यक्षों से अपील करते हैं कि वे अधिक उदार बनें, उन लोगों का मार्गदर्शन करें जो मिशनरी बुलाहट से प्रेरित हैं ताकि वे अमाजोन को चुन सकें और पुरोहितों के प्रशिक्षण का पुनः अवलोकन किया जाए।

समुदायों में लोकधर्मी नेतृत्व को प्रोत्साहन

संस्कारों के बाद, अमाजोन की देखभाल में "जीवन से भरपूर समुदाय" (91-98) पर प्रकाश डाला गया है। जिसमें लोकधर्मियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को लेना है। संत पापा के लिए, इसमें अभिषिक्त याजकों की अधिक उपस्थिति को बढ़ावा देने का सवाल नहीं है। अतः नये लोकधर्मी सेवाओं की आवश्यकता है। इस प्रकार लोकधर्मियों के विशेष नेतृत्ववाद के द्वारा भी कलीसिया अमाजोन की चुनौतियों का जवाब दे सकती है। संत पापा के अनुसार समर्पित लोगों का भी एक विशेष स्थान है उन्होंने याद किया कि स्थानीय समुदाय, सामाजिक अधिकारों की रक्षा करते एवं रिपाम की गतिविधियों को प्रोत्साहन देते हैं।

महिलाओं के लिए नया स्थान किन्तु याजक बनाये जाने के बिना

संत पापा ने महिलाओं की क्षमता एवं शक्तियों को भी स्थान दिया है (99-103)। उन्होंने गौर किया कि अमाजोन में कुछ समुदाय, सिर्फ महिलाओं के उदार एवं मजबूत उपस्थिति के द्वारा समर्थन प्राप्त किया है। किन्तु उन्होंने चेतावनी दी कि कलीसिया केवल कार्यात्मक संरचना होने तक सीमित नहीं हो सकती। यदि यह ऐसा होता तो उन्हें याजकीय भूमिका की संभावना प्रदान की जाती। वे महिलाओं को याजक बनाये जाने से इंकार करते हैं बल्कि महिलाओं के समान उनके योगदान को स्वीकार करते हैं जिनमें माता मरियम की कोमलता एवं शक्ति होती है।    

अमाजोन की गरीबी दूर करने के लिए ख्रीस्तीयों का एक साथ संघर्ष

संत पापा ने कहा है कि हमें "संघर्ष के परे क्षितिज को विस्तृत करना है"(104-105) तथा हमें अपने आपको अमाजोन द्वारा चुनौती दिया जाना है ताकि आंशिक पहलुओं में बंद रहने के सीमित दृष्टिकोण से बाहर निकल सकें।

अध्याय चार "ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता एवं अंतर-धार्मिक वार्ता के सहअस्तित्व" की विषयवस्तु से समाप्त होता है। संत पापा विश्वासियों को निमंत्रण देते है कि वार्ता एवं आमहित के लिए एक साथ कार्य करने हेतु जगह बनायी जाए। उन्होंने कहा है कि हम कैसे मिलकर संघर्ष नहीं कर सकते? कैसे हम एक साथ प्रार्थना नहीं कर सकते? और अमाजोन के गरीबों की रक्षा करने के लिए एक साथ काम नहीं कर सकते?  

हम अमाजोन और उनके लोगों को माता मरियम को समर्पित करें

अमाजोन की देखभाल पर प्रकाशित प्रबोधन का समापन संत पापा, अमाजोन की माता मरियम से प्रार्थना करते हुए करते हैं। (111) "हे माँ, अमाजोन के गरीबों पर दृष्टि डाल क्योंकि उनका घर, क्षुद्र लाभ के लिए नष्ट किया गया है।" आप शक्तिशालियों की संवेदनशीलता को छू सकते हैं क्योंकि यदि हमें लगता है कि यह पहले से ही देर हो चुकी है, तो भी तू हमें बुलाता है कि हम उनकी रक्षा करें जो अभी भी जीवित हैं।”  

 

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12 February 2020, 17:46