बुजुर्गों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुजुर्गों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 

ईश्वर की मुक्ति योजना में बुजुर्गों की भूमिका है, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने बुजुर्गों के प्रेरितिक देखभाल पर चल रहे एक सम्मेलन के प्रतिभागियों से मुलाकात की। अपने संबोधन में, संत पापा ने कलीसिया को "परिवारों और समुदायों में बड़ी संख्या में बुजुर्गों की उपस्थिति का जवाब देने के लिए अपने प्रेरितिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए" आमंत्रित किया है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 1 फरवरी 2020 (वाटिकन न्यूज) :   संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन के शाला रेजिया में बुजुर्गों के प्रेरितिक देखभाल पर चल रहे एक सम्मेलन के करीब 600 प्रतिभागियों से मुलाकात की। संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि वृद्धावस्था "एक अनमोल खजाना है जो प्रत्येक पुरुष और महिला के जीवन की यात्रा में आकार लेता है, ये उनका जन्म,  उनकी पृष्ठभूमि,  आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियां हैं।" उन्होंने कहा, "जीवन एक उपहार है, और लम्बा जीवन खुद के लिए और दूसरों के लिए भी सौभाग्य की बात है। संत पापा ने उन्हें बुजुर्गों की देखभाल करने हेतु चेहरे में मुस्कान लिये और हाथों में सुसमाचार लिये जाने को कहा।  

उन्होंने इस बात पर गौर किया कि दुनिया एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय परिवर्तन का सामना कर रही है यहाँ युवा लोगों की संख्या कम और बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि समाज में बुजुर्गों के प्रति सामाजिक भटकाव, उदासीनता और अस्वीकृति को देखते हुए कलीसिया को "गंभीर रूप से चिंतन करने और बुढ़ापे के मूल्य की सराहना करने हेतु सीखने की जरुरत है।

लोगों की संपन्नता

सम्मेलन के विषय का उल्लेख करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि जीवन के कई वर्षों की समृद्धि लोगों की समृद्धि है, हर एक व्यक्ति के पास कई वर्षों का जीवन अनुभव और इतिहास है।

संत पापा ने उनके सम्मेलन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पहल बुजुर्गों के प्रेरितिक देखभाल की गहनता और विवेक की यात्रा बने। उन्होंने कहा, “हमें अपने परिवारों और समुदायों में इतने बुजुर्ग लोगों की मौजूदगी का जवाब देने के लिए अपनी प्रेरितिक कार्यों को बदलने की जरूरत है।”

बुढ़ापा एक आशीर्वाद 

संत पापा ने याद दिलाया कि, बाइबल में “दीर्घायु एक आशीर्वाद है” और ईश्वर की मुक्ति योजना में बुजुर्गों का विशेष स्थान प्राप्त है। "बुजुर्गों की अपूरणीय भूमिका के प्रति जागरूक", "कलीसिया एक ऐसी जगह बन जाती है जहां ईश्वर की प्रेमपूर्ण योजना में पवित्र आत्मा के उपहारों का पारस्परिक आदान-प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग और युवा दोनों ही कलीसिया के भविष्य हैं। विशेष रूप से, कि दादा-दादी "विश्वास में बच्चों और युवाओं को शिक्षित करने में अपरिहार्य माध्यम" हैं।  उन्होंने जोर देकर कहा, बुजुर्ग न केवल कलीसिया की देखभाल से संतुष्ट बैठ जायें, बल्कि "प्रेरितिक प्रचार कार्यों में अभिनेता और ईश्वर के प्रेम के गवाह" भी बनें।

आगे बढ़ते रहें

संत पापा ने उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा, “आप न डरें। आप ने जो पहल शुरु किया है उसे जारी रखें। बुजुर्गों की प्रेरितिक देखभाल में अपने धर्माध्यक्षों और धर्मप्रांतों की सहायता करें। आप कभी हताश न हों ....आगे बढ़ते रहें!”

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01 February 2020, 16:21