संत पापा से मुलाकात करते बारी के धर्माध्यक्ष संत पापा से मुलाकात करते बारी के धर्माध्यक्ष 

बारी शहर में धर्माध्यक्षों को संत पापा का सम्बोधन

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 23 फरवरी को, इटली के बारी शहर की यात्रा की, जहाँ उन्होंने भूमध्यसागरीय क्षेत्र की कलीसियाओं के धर्माध्यक्षों को सम्बोधित किया। उन्होंने उन्हें भूमध्यसागर के भविष्य एवं बुलाहट पर चिंतन करने का प्रोत्साहन दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 24 फरवरी 2020 (रेई)˸ संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो, "मैं आप सभी से मुलाकात कर खुश और कृतज्ञ हूँ कि आप प्रत्येक ने इस सभा में भाग लेने हेतु इटली के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के निमंत्रण को स्वीकार किया है जो भूमध्यसागरीय कलीसियाओं को एक साथ लाती है। इस गिरजाघर के चारों ओर नजर डालते हुए, मैं एक दूसरी सभा की याद करता हूँ, जिसमें यहीं बारी में, ऑर्थोडॉक्स एवं काथलिक दोनों ही ख्रीस्तीय कलीसियाओं के शीर्ष धर्मगुरूओं ने मुलाकात की थी। कुछ ही महीनों के बाद यह दूसरी बार है जब हम एकता के इस चिन्ह को प्रकट कर रहे हैं।" इस प्रकार यदि बारी के महाधर्माध्यक्ष ककुची हमें अनुमति देंगे तो हम बारी को कलीसिया की एकता का केंद्र कह सकते हैं। 

भूमध्यसागर की बुलाहट एवं भविष्य पर चिंतन

बारी में धर्माध्यक्षों के साथ अपनी मुलाकात का महत्व बतलाते हुए संत पापा ने कहा, "बारी में हो रही इस मुलाकात को मैं अर्थपूर्ण मानता हूँ क्योंकि यह शहर मध्यपूर्व एवं अफ्रीका के साथ संबंध के कारण बहुत महत्वपूर्ण है। यह विभिन्न लोगों और परंपराओं के बीच गहरे निहित रिश्तों का एक स्पष्ट संकेत है। बारी धर्मप्रांत ने ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता एवं अंतर-धार्मिक वार्ता को हमेशा प्रोत्साहन दिया है तथा परस्पर सम्मान एवं भाईचारा के संबंध को बनाये रखने के लिए अथक प्रयास किया है।" उन्होंने कहा कि मैंने डेढ़ साल पहले बारी को जानबूझकर चुना था ताकि मध्यपूर्ण के ख्रीस्तीय समुदायों के धर्मगुरूओं के साथ मुलाकात कर, उस अवसर को एक खास विचार–विमार्श में व्यतीत किया जाए, जिससे कि हमारी बहन कलीसियाएँ एक साथ यात्रा कर सकें एवं एक दूसरे का साथ अनुभव कर सकें।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों से कहा कि इसी संदर्भ में आप भूमध्यसागर की बुलाहट एवं भविष्य पर चिंतन करने, विश्वास के हस्तांतरण एवं शांति को बढ़ावा देने आये हैं।

मारे नोस्त्रुम (भूमध्यसागर) एक भौतिक एवं आध्यात्मिक स्थल है जहाँ विभिन्न प्रकार के लोगों के आपसी सम्पर्क से हमारी सभ्यता ने आकार लिया। आज भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया के मद्देनजर इस क्षेत्र का महत्व कम नहीं हुआ है, इसके विपरीत, वैश्वीकरण ने भूमध्य की भूमिका को हितों और महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक धाराओं के एक चौराहे के रूप में उजागर किया है। भूमध्यसागरीय एक रणनीतिक क्षेत्र है जिसका संतुलन दुनिया के अन्य हिस्सों पर प्रभाव डालता है।

विश्वास का हस्तांतरण

संत पापा ने भूमध्यसागर के आकार के आधार पर इसकी तुलना गलीलिया सागर से की, जिसके द्वारा येसु के समय एवं आधुनिक समय में समानता की कल्पना की जा सकती है। येसु ने जिस तरह विभिन्न संस्कृति एवं आस्था की पृष्टभूमि पर जीया और कार्य किया, उसी तरह हम अपने आप को एक ऐसे विविध वातावरण में पाते हैं जो असमानता के विभाजनों और रूपों से आहत है जो अस्थिरता की ओर ले जाता है। आर्थिक, धार्मिक एवं राजनीतिक संघर्षों के बीच, हम एकता एवं शांति का साक्ष्य देने के लिए बुलाये गये हैं। हम ऐसा, कलीसिया में अपनी आस्था और सदस्यता के कारण करते हैं। हम उस योगदान को समझने की कोशिश करते हैं, जिसे हम, प्रभु के शिष्य के रूप में, भूमध्यसागरीय क्षेत्र के सभी पुरुषों और महिलाओं के लिए कर सकते हैं।

विश्वास का हस्तांतरण आवश्यक रूप से भूमध्यसागरीय क्षेत्र की विरासत पर आधारित है। वह विरासत को ख्रीस्तीय समुदाय ने धर्मशिक्षा, संस्कारों के अनुष्ठान, अंतःकरण के प्रशिक्षण तथा प्रभु के वचनों को व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से सुनने के द्वारा बढ़ाया, सुरक्षित एवं जीवित रखा गया है। संत पापा ने लोकप्रिय भक्ति के लिए विश्वासियों को धन्यवाद दिया तथा कहा कि यह सीधे और प्रामाणिक विश्वास की अभिव्यक्ति है। संत पापा ने भूमध्यसारीय क्षेत्र की कला की याद की जो विश्वास एवं सांस्कृतिक धरोहर को एक साथ प्रकट करती है जिससे आज भी लाखों लोग आकर्षित हो रहे हैं और इसे सावधानी पूर्वक सुरक्षित रखा जाना चाहिए ताकि भावी पीढ़ी को हस्तांतरित किया जा सके। इस आलोक में सुसमाचार के प्रचार को आमहित के लिए प्रतिबद्धता से अलग नहीं किया जा सकता जो हमें शांति-निर्माता के रूप में अथक प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है।  

युद्ध नहीं शांति

संत पापा ने कहा, "मानवीय एवं आर्थिक संबंध स्थापित करने के बदले, घर, सेतु, फैक्ट्री एवं अस्पताल आदि को नष्ट करना, लोगों को मार डालना, संसाधनों को नष्ट करना, पागलपन है। शांति ही हर मानव समाज का अंतिम लक्ष्य है। शांति का कोई दूसरा तर्कसंगत विकल्प नहीं है क्योंकि शोषण या वर्चस्व के हर प्रयास में प्रणेता और उसके लक्ष्य दोनों ही शामिल हैं। शांति निर्माण हेतु न्याय एक अपरिहार्य स्थिति है जबकि न्याय को उस समय कुचल दिया जाता है जब व्यक्ति की जरूरतों को दरकिनार किया जाता और व्यक्तियों और समुदायों के अधिकारों पर पक्षपातपूर्ण आर्थिक हित प्रबल होते हैं।

उदासीनता

संत पापा ने प्रश्न किया, "यदि समाज जरूरतमंद लोगों के प्रति उदासीन हो जाती है तो इसकी तकनीकी प्रगति का क्या फायदा?" उन्होंने धर्माध्यक्षों से कहा कि हम अपनी ओर से, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एवं धार्मिक स्वतंत्रता हेतु सरकार को अपनी मांग रखते हुए आवाज उठायें। अत्याचार जिसका अनुभव सबसे अधिक ख्रीस्तीय समुदाय को हो रहा है यह हृदय विदारक सच्चाई है जो हमें उदासीन रहने नहीं दे सकती।  

भूमध्यसागर की खास बुलाहट

संत पापा फ्राँसिस ने भूमध्यसागर को "परस्पर मिश्रित करने वाला सागर" कहा तथा वार्ता करने की बुलाहट को जीने हेतु प्रोत्साहन दिया। उन्होंने कहा, "संवाद ही हमें अपनी कहानियों को सुनाने एवं एक-दूसरे को बेहतर रूप से जानने के द्वारा, एक साथ आने, पूर्वाग्रह और रूढ़िवादी धारणा से ऊपर उठने में मदद देगा।" उन्होंने सुनने की क्रिया को न केवल उदारता कहा बल्कि ईश्वर की आत्मा को सुनने का रास्ता कहा जो निश्चय ही दूसरे लोगों में क्रियाशील और जिनकी आवाज उन सीमाओं को पार कर जाती है जिनमें हम अक्सर सच्चाई को विवश करने के प्रलोभन में पड़ते हैं।

संवाद का ईशशास्त्र

संत पापा फ्राँसिस ने उनके सामने प्रस्ताव रखा कि "स्वीकृति एवं संवाद का ईशशास्त्र", न केवल "हम जो सत्य मानते हैं, उसे शामिल करने की दिशा में कदम उठाने का एक साधन हो सकता है बल्कि हमारी शिक्षा को परिभाषित करनेवाला बिंदु भी। यह एक सुसमाचारी शिक्षा की नई समझदारी तथा घोषणा की ओर अग्रसर कर सकती है। इस तरह जो शांति एवं भाईचारापूर्ण स्वीकृति के निर्माण हेतु एक साथ अपने हाथ गंदे करते, वे विश्वास के मुद्दे पर लड़ाई नहीं करेंगे बल्कि सम्मानपूर्ण विचार-विमर्श, आपसी सहयोग एवं एकता की तलाश करने के रास्ते पर चलेंगे।

प्रेरित संत पौलुस का उदाहरण

अंत में संत पापा फ्राँसिस ने अपने धर्माध्यक्ष भाइयों को प्रेरित संत पौलुस की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की जो भूमध्यसागर पार करने वालों में पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने कहा, "उनका उदाहरण, हमें हमारे समय में विश्वास को बांटने के हर्षित और मुक्तिदायक कार्य में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाये।" तब संत पापा ने नबी इसायस द्वारा इस्राएलियों की दी भविष्यवाणी की आशा दिलाते हुए कहा, "वे पुराने खँडहरों और नष्ट किये हुए स्थानों का पुनर्निर्माण करेंगे। वे उन नगरों में बस जायेंगे, जो पीढ़ियों से उजाड़ पड़े हैं।" (इसा. 61:4).

उन्होंने धर्माध्यक्षों से कहा कि यही काम प्रभु ने प्यारे भूमध्यसागर क्षेत्र की ओर से आप सभी को सौंपा है कि आप टूटे संबंधों को पुनः जोड़ें, हिंसा द्वारा नष्ट किये गये शहरों का पुनः निर्माण करें, जो इस समय निर्जन प्रदेश बन गया है उसे हरी-भरी वाटिका में बदलें, निराश लोगों में आशा का संचार करें और भयभीत लोगों को भय मुक्त होने के लिए प्रोत्साहित करें।

प्रभु आपके प्रयासों को साथ दे और मेल-मिलाप एवं शांति के आपके कार्यों को आशीर्वाद प्रदान करे।

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24 February 2020, 15:45