बुजूर्गों से मुलाकात करते संत पापा बुजूर्गों से मुलाकात करते संत पापा 

विश्व रोगी दिवस पर संत पापा का संदेश

˸ "थके-मांदे और बोझ से दबे हुए लोगो तुम सब मेरे पास आओ।" यही विश्व रोगी दिवस की विषयवस्तु है जिसको 11 फरवरी को मनाया जाता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 4 जनवरी 2020 (रेई)˸ विश्व रोगी दिवस के उपलक्ष्य में प्रेषित अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने रोगियों की देखभाल करने हेतु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं में मानवीय निश्छलता, ख्रीस्त से व्यक्तिगत संबंध और भला समारी बनने का आह्वान किया है।

28वें विश्व रोगी दिवस के उपलक्ष्य में संत पापा के संदेश को वाटिकन ने शुक्रवार को प्रकाशित किया। काथलिक कलीसिया 11 फरवरी को, लुर्द की माता मरियम के पर्व के दिन विश्व रोगी दिवस मनाती है। इस वर्ष विश्व रोगी दिवस की विषयवस्तु है, ''थके-माँदे और बोझ से दबे हुए लोगो! तुम सभी मेरे पास आओ। मैं तुम्हें विश्राम दूँगा।"(मती. 11.28)

येसु सभी के लिए करुणावान

संत पापा ने कहा है कि "ख्रीस्त के शब्द एकात्मता, सांत्वना एवं आशा, सबसे अधिक साधारण, गरीब, बीमार, पापी और हाशिये पर जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए हैं, उन लोगों के लिए जो नियम के बोझ से दबे हैं और सामाजिक तौर तरीकों से बंधे हैं। येसु की दयालु और सहानुभूतिपूर्ण उपस्थिति लोगों को, उनकी स्थिति में ही, पूरी तरह अपनी बाहों में ले लेता है, वह किसी को नहीं छोड़ता बल्कि हरेक को अपने जीवन में सहभागी होने बुलाता है और अपने कोमल स्नेह का एहसास करने देता है।  

संत पापा ने कहा कि येसु ऐसा करते हैं क्योंकि वे स्वयं दुर्बल बने और मानवीय पीड़ा सही तथा अपने पिता से सांत्वना प्राप्त की, क्योंकि जो व्यक्तिगत रूप से पीड़ा का अनुभव किया है वही दूसरों को सांत्वना दे सकता है।

सौहार्द और व्यक्तिगत दृष्टिकोण

संत पापा ने कहा है कि कभी-कभी लाइलाज और पुरानी बीमारियाँ, मानसिक रूप से पीड़ित रोगियों, पुनर्वास की आवश्यकता, सहानुभूति, अनेक प्रकार की बीमारियों, बाल या बुढ़ापे की आवस्था में होने वाली बीमारियों के प्रति हमारे दृष्टिकोणों में मानवीय सौहार्द की कमी होती है। इसके लिए आवश्यकता है रोगी के साथ व्यक्तिगत संबंध रखना, न केवल देखभाल करने के लिए बल्कि मानवीय रूप से पूरी तरह चंगाई पाने के लिए भी।   

उन्होंने कहा है कि चिकित्सा और सहारा के लिए सेवा एवं ध्यान देने की जरूरत होती है। प्यार के शब्द की आवश्यकता हरेक रोगी को होती है, उनके साथ साथ उनका परिवार भी पीड़ित होता है और उन्हें भी सहारा एवं सांत्वना की आवश्यकता होती है।   

कलीसिया, भले समारी का सराय स्थल

रोगियों को सम्बोधित कर संत पापा कहते हैं कि वे येसु की नजर एवं हृदय को अपनी ओर आकर्षित करें। ख्रीस्त हमें दवा का पर्चा नहीं देते किन्तु अपने दुःखभोग, मृत्यु और पुनरूत्थान द्वारा बुराई के चंगुल से छुड़ाते हैं। इस संदर्भ में कलीसिया सबसे अधिक भले समारी, ख्रीस्त का सराय स्थल बनना चाहती है, एक ऐसा घर जहाँ सामीप्य, स्वीकृति और राहत की अभिव्यक्ति में उनकी कृपा को प्राप्त किया जा सके।

संत पापा स्वास्थ्य कर्मियों खासकर, चिकित्सकों, उपचारिकाओं, मेडिकल एवं प्रशासनिक अधिकारियों, सहायताकर्मियों एवं स्वयंसेवकों की भूमिका को स्वीकार करते हैं जो रोगियों की सेवा करते हैं। स्वास्थ्यकर्मियों की अपनी कमजोरी और दुर्बलताओं में वे महसूस करते हैं कि ख्रीस्त से सांत्वना और बल पाकर वे भी दूसरे भाई बहनों को सेवा और सहानुभूति प्रदान करने के लिए बुलाये गये हैं।

जीवन और मानव व्यक्ति को "हाँ"

संत पापा ने स्वास्थ्यकर्मियों से अपील की कि रोगी की सेवा करते हुए वे बीमारी को नहीं बल्कि व्यक्ति को प्राथमिकता दें। वे हरेक व्यक्ति की मानव प्रतिष्ठा एवं जीवन को महत्व दें तथा इच्छामृत्यु, आत्महत्या या जीवन को समाप्त करने के लिए किसी प्रकार के समझौते का बहिष्कार करें।

हम स्वीकार करें कि जीवन पवित्र है और यह ईश्वर का है। अतः किसी तरह से इसकी हानि नहीं की जानी चाहिए। कोई भी इसे स्वतंत्र रूप से नष्ट करने का दावा नहीं कर सकता। शुरू से अंत तक, जीवन का स्वागत, सुरक्षा, सम्मान और सेवा मानवीय एवं ईश्वर पर विश्वास दोनों कारणों से की जानी चाहिए क्योंकि यह जीवन के मालिक की मांग है।

स्वास्थ्य देखभाल पर हमला

संत पापा ने खेद प्रकट किया है कि युद्ध एवं हिंसक संघर्षों के दौरान, स्वास्थ्यकर्मियों और अस्पतालों पर हमले किये गये हैं और कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक अधिकारी अपने स्वयं के लाभ के लिए चिकित्सा देखभाल में हेरफेर करने का प्रयास करते हैं, इस प्रकार चिकित्सा पेशे की वैध स्वायत्तता को प्रतिबंधित कर देते हैं।

संत पापा ने इस बात पर गौर करते हुए कि कई लोग गरीबी के कारण स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं, अतः स्वास्थ्य केंद्रों, संस्थानों और सरकारी अधिकारियों से अपील की कि वे सामाजिक न्याय का बहिष्कार न करें।

संत पापा ने अपने संदेश के अंत में रोगियों की सेवा और देखभाल करने वाले सभी स्वयंसेवकों को धन्यवाद दिया जो कोमल स्नेह और सामीप्य के अपने कार्यों द्वारा, ख्रीस्त की छवि, भले सामरी को प्रतिबिम्बित करते हुए, संरचनात्मक कमियों की पूर्ति करते हैं।

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04 January 2020, 14:02