आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्राँसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्राँसिस 

प्रभु से जुड़े रहकर परीक्षाओं का सामना करें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में "प्रेरित चरित" पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ाते हुए, हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन

वाटिकन सिटी, बुधवार, 8 जनवरी 2020 (रेई)˸ प्रेरित चरित की किताब का अंतिम भाग बतलाता है कि सुसमाचार आगे बढ़ रहा है न केवल थल पर बल्कि समुद्र से भी, एक जहाज द्वारा, जिसमें कैदी पौलुस कैसरिया से रोम यूरोप के केंद्र की ओर बढ़ रहे हैं ताकि पुनर्जीवित ख्रीस्त के शब्द सच साबित हों, जिसमें उन्होंने कहा था, "...पृथ्वी के अन्तिम छोर तक मेरे साक्षी होंगे।'' (प्रे.च. 1: 8) संत पापा ने प्रेरित चरित का पाठ करने की सलाह देते हुए कहा कि आप प्रेरित चरित की किताब पढ़ें और देखेंगे कि किस तरह सुसमाचार पवित्र आत्मा की शक्ति से सभी लोगों तक पहुँचता एवं विश्वव्यापी बन जाता है।

ईश्वर हमारी चिंता करते हैं

जहाज को शुरू से ही एक प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। पौलुस सलाह देता है कि वे नाव को आगे न बढ़ायें किन्तु शतपति उनकी नहीं सुनता और कप्तान एवं जहाज के मालिक पर अधिक विश्वास करता है। यात्रा जारी रहती है और जहाज एक  भयंकर तूफान की चपेट में आ जाता है। कप्तान संतुलन खो देता और जहाज अपने आप बहने लगता है।

जब मृत्यु सामने दिखाई देने लगती है एवं निराशा सभी को घेरने लेता है, तब पौलुस उनके बीच खड़ा होकर कहता है, ‘‘सज्जनों! आप लोगों को मेरी बात मान कर क्रेत से प्रस्थान नहीं करना चाहिए था। तब आप को यह संकट और यह हानि नहीं सहनी पड़ती।" (2 कोर.11˸23) वे अपने साथियों को यह कहते हुए ढाढ़स बंधाते हैं, "क्योंकि मैं जिस ईश्वर का सेवक तथा उपासक हूँ, उसका दूत आज रात मुझे दिखाई पड़ा और उसने मुझ से कहा, पौलुस! डरिए नहीं। आप को कैसर के सामने उपस्थित होना है, इसलिए ईश्वर ने आप को यह वरदन दिया है कि आपके साथ यात्रा करने वाले सब-के-सब बच जायेंगे।" (प्रे.च. 27,23-24) इस प्रकार परीक्षा की घड़ी में भी वे दूसरों के जीवन के रक्षक एवं आशा के संदेशवाहक बने रहते हैं।

ईश्वर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देते हैं

संत लूकस दिखलाते हैं कि जो योजना पौलुस को रोम की ओर ले जा रही है वह न केवल पौलुस की बल्कि उनके साथ यात्रा करने वाले सभी लोगों की रक्षा करती है। दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति के कारण जहाज टूट जाता है लेकिन यह सुसमाचार प्रचार हेतु  सुनहरा अवसर बन जाता है।

जहाज माल्टा द्वीप के तट पर टूट जाता है, पर वहाँ के निवासी उनके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। संत पापा ने कहा कि माल्टा के लोग अच्छे हैं वे विनम्र हैं तथा उसी समय से स्वागत करते आ रहे हैं।

पानी बरसने लगा था और ठण्ड पड़ रही थी, इसलिए पौलुस ने आग जला कर सबों का स्वागत किया। यहाँ भी पौलुस ख्रीस्त के सच्चे शिष्य की तरह व्यवहार करते हैं, उन्होंने कुछ लकड़ी जमाकर आग जलाने के द्वारा अपने साथियों की सेवा की। इन कार्यों के बीच एक सांप उन्हें काट लेता है और जिसको देखकर लोग कहने लगे कि ''निश्चय ही वह व्यक्ति हत्यारा है। यह समुद्र से तो बच गया है, किन्तु न्याय देवता ने उसे जीवित नहीं रहने दिया।'' वे उसके मरने का इंतजार कर रहे थे किन्तु उन्हें कुछ नहीं होता है, लोग उन्हें बुराई करने वाला मान लिये थे जबकि उन्होंने उनका ध्यान ईश्वर की ओर खींचा।

वास्तव में, इन सब के द्वारा पुनर्जीवित ख्रीस्त का प्रचार हुआ जो उनके साथ थे जैसा कि उन्होंने स्वर्ग चढ़ने के पहले विश्वासों से प्रतिज्ञा की थी। वे "सांपों को उठा लेंगे। यदि वे विष पियेंगे, तो उस से उन्हें कोई हानि नहीं होगी। वे रोगियों पर हाथ रखेंगे और रोगी स्वस्थ हो जायेंगे।'' (मार. 16:18)  कहा जाता है कि उसी समय से माल्टा में सांप नहीं है। यह उन भले लोगों का स्वागत करने के लिए ईश्वर का आशीर्वाद है।

सुसमाचार का नियम

संत पापा ने कहा कि माल्टा में पौलुस का रूकना, "शब्द" को "शरीर" प्रदान करने  का एक भाग्यशाली अवसर था जिसने सुसमाचार की घोषणा की एवं रोगियों की चंगाई करने में करुणा के मिशन का एहसास दिलाया। उन्होंने कहा कि यही सुसमाचार का नियम है। जब एक विश्वासी मुक्ति का अनुभव करता है वह उसे अपने आप के लिए नहीं रखता किन्तु दूसरों को बांटता है। अच्छाई हमेशा बांटे जाने के लिए होता है। हर सच्चाई एवं सुन्दरता का अनुभव, अपने आप फैलता है और हर व्यक्ति जो पूर्ण स्वतंत्रता का अनुभव करता, वह दूसरों की जरूरतों के सामने अधिक संवेदनशील बनता है।  

परीक्षाओं से गुजरा हुआ ख्रीस्तीय निश्चय ही पीड़ित लोगों के अधिक करीब होता है क्योंकि वह जानता है कि पीड़ा क्या है। वह उनके लिए अपना हृदय खोलता एवं उनके साथ सहानुभूति रखता है।  

पौलुस सिखलाते हैं कि परीक्षा की घड़ी हम प्रभु की स्तुति करें और अपने विश्वास को सुदृढ़ करें क्योंकि ईश्वर हर परिस्थिति में कार्य कर सकते हैं चाहे यह असफल होता दिखाई क्यों न पड़े। जो अपने आपको ईश्वर के प्रेम के लिए अर्पित करता है वह निश्चय ही फलप्रद होगा। प्रेम हमेशा फलप्रद होता है, ईश्वर के प्रति प्रेम हमेशा फल लाता है और यदि हम अपने आपको प्रभु को अर्पित कर देंगे और उनकी कृपाओं को ग्रहण करेंगे तब हम निश्चय ही उसे दूसरों को बाटेंगे। प्रभु के प्रेम के लिए हम हमेशा आगे बढ़ेंगे।

परीक्षा को विश्वास की शक्ति से जीतें

आज हम प्रभु से कृपा की याचना करें कि हर परीक्षा को विश्वास की शक्ति से जीत सकें तथा इतिहास में जहाज टूटने के शिकार लोगों के प्रति संवेदनशील हो सकें, जो हमारी तटों पर आते हैं क्योंकि हम भी ख्रीस्त से मुलाकात द्वारा, भाईचारा के साथ उनका स्वागत करना जानते हैं। यह वह शक्ति है जो उदासीनता और अमानवीयता की ठंड से बचाती है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और विश्व के विभिन्न देशों से आये सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया, खासकर, उन्होंने अस्ट्रेलिया के तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।

उन्होंने युवाओं, वयोवृद्धों, बीमार और नव दम्पतियों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि अगला रविवार प्रभु के बपतिस्मा का पर्व मनाया जाएगा। हम बपतिस्मा संस्कार में मिली कृपा को पुनः प्राप्त करें एवं अपने दैनिक जीवन के समर्पण में उसे जीयें। संत पापा ने सभी विश्वासियों को अपने बपतिस्मा की तिथि की याद करने की सलाह दी। अंत में उन्होंने अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।सिटी

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

08 January 2020, 15:37