मिस्सा के बाद संत पापा बाइबल देते हुए मिस्सा के बाद संत पापा बाइबल देते हुए 

'ईश वचन को अपने जीवन में जगह दें',संत पापा

ईश वचन के पहले रविवार को संत पापा फ्राँसिस ने विशवासियों से कहा कि हमें ईश्वर के वचन की आवश्यकता है ताकि हम अपने दैनिक जीवन में हजारों आवाजों के बीच उस आवाज को सुन सकें, जो हमें किसी चीज़ के बारे में नहीं, बल्कि जीवन के बारे में बताता है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 27 जनवरी, 2020 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने 'ईश वचन रविवार' के दिन संत पेत्रुस महागिरजाघर में विश्वासियों के साथ मिलकर पवित्र मिस्सा बलिदान का अनुष्ठान किया और पवित्र बाईबल को अपने जीवन में उचित स्थान देने का आग्रह किया।

26 जनवरी तीसरे सामान्य रविवार को’ ईश वचन रविवार’ के रूप में मनाए जाने हेतु संत पापा फ्राँसिस ने अपने मोतू प्रोप्रियो "एपेरिट इलिस" में इसकी घोषणा की थी। संत पापा ने इस रविवार को ईश वचन के उत्सव, अध्ययन और प्रसार के लिए समर्पित किया।

ईश वचन रोजमर्रा की जिन्दगी का हिस्सा

संत पापा फ्राँसिस ने अपने प्रवचन की शुरुआत संत मत्ती के सुसमाचार से लिये गये पाठ से किया, जहाँ येसु अपना प्रेरितिक कार्य शुरु करता है: "वह जो ईश्वर का वचन है वह हमारे साथ, अपने जीवन से और अपने वचनों से ईश्वर के वचन को प्रकट करने आया है।”  

संत पापा ने कहा, "आइये, हम येसु के उपदेश की जड़ों तक जायें, "जो" हमें यह जानने में मदद करता है कि येसु ने कैसे, कहां और किसके लिए उपदेश देना शुरू किया।"

येसु ने अपना प्रवचन एक बहुत ही सरल वाक्यांश के साथ शुरू किया: “पश्चाताप करो, स्वर्ग का राज्य तुम्हारे निकट है।”  येसु ने कई जगह घूम-घूम कर उपदेश दिया पर उनके उपदेशों का मुख्य सार यही था।

संत पापा ने कहा,“हमें यह बताते हुए कि ईश्वर निकट हैं, वे पृथ्वी पर आ गये हैं और मनुष्य बन गये हैं। वे ईश्वर और मनुष्य के बीच की दीवार को तोड़ते हैं तथा स्वर्ग और पृथ्वी की दूरी को कम करते हैं।

 ईश्वर हमसे प्यार करते हैं

संत पापा ने कहा "यह एक शुभ संदेश है: ईश्वर मनुष्य बनकर, हमसे मिलने आए और उन्होंने इसे कर्तव्य के रुप में नहीं, बल्कि प्रेम से किया।”

उन्होंने कहा, "ईश्वर ने हमारे मानव स्वभाव को ग्रहण किया क्योंकि वे हमसे प्यार करते हैं और उनकी इच्छा है कि हम मुक्ति प्राप्त करें। हम उनकी मदद के बिना अकेले, मुक्ति प्राप्त करने की उम्मीद नहीं कर सकते। वे हमारे साथ रहना चाहते हैं और हमें जीवन की सुंदरता, दिल की शांति, क्षमा किए जाने की खुशी और प्यार महसूस कराना चाहते हैं। येसु हमें “पश्चाताप” करने के लिए कहते हैं, दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं, "अपना जीवन बदलो।"

संत पापा ने कहा, “यह एक नए तरीके से जीने का निमंत्रण है, यह ईश्वर के साथ और उसके लिए जीने का समय है, याने दूसरों के साथ और प्यार से जीने का समय है। येसु हमसे बात करते हैं वे चाहते हैं कि हम उन्हें अपने जीवन में प्रवेश करने की अनुमति दें।”

संत पापा ने ईश वचन का वर्णन एक तरह से "प्रेम पत्र" के रूप में किया, जिसमें उन्होंने हम में से प्रत्येक को यह समझने में मदद करने के लिए लिखा है कि वे हमारे साथ हैं। “उनका वचन हमें दिलासा देता है और प्रोत्साहित करता है। यह हमें चुनौती देता है, हमें हमारे स्वार्थ के बंधन से मुक्त करता है और हमें हृदय परिवर्तन के लिए बुलाता है। क्योंकि उनके शब्द में हमारे जीवन को बदलने और हमें अंधकार से प्रकाश में ले जाने की शक्ति है।”

जीवन के अंधकार में मुक्तिदायी शब्द का प्रवेश

संत पापा ने कहा कि येसु ने अपना उपदेश गलीलिया प्रदेश से शुरु किया। उस समय गलीलिया को अंधकारमय और बेकार क्षेत्र माना जाता था। यहाँ हमारे लिए एक संदेश है: मुक्ति का संदेश अछूता, स्वच्छ और सुरक्षित स्थानों की तलाश में नहीं जाता है। इसके बजाय, यह हमारे जीवन के जटिल और अंधकारमय स्थानों में प्रवेश करता है।

ईश्वर "हमारे उन जगहों पर जाना चाहते हैं जहाँ हमें लगता है कि वे कभी नहीं जाएंगे। फिर भी हम कितनी बार उनके लिए अपने दरवाजे को बंद करते हैं, हमारे भ्रम, हमारे अंधेरे पक्ष को छिपाए रखना पसंद करते हैं।"

उन्होंने कहा कि कितनी बार हम अपने रटे-रटाये निवेदन प्रार्थनाओं दवारा प्रभु से संपर्क करते हैं। येसु ने गलीलिया में सुसमाचार का प्रचार किया और हर बीमारी और हर दुर्बलता को दूर किया। आज भी येसु "हमारे दिलों और हमारे जीवन के सबसे कठिन और अंधकारमय कोनों में प्रवेश करने से डरते नहीं हैं।"

उन्होने कहा, “सिर्फ उनकी दया ही हमें ठीक कर सकती है, उनकी उपस्थिति ही हमें बदल सकती है और उनका शब्द ही हमें नया बना सकता है।”

प्रभु सभी से बात करते हैं

अंत में, संत पापा ने इस तथ्य को स्पष्ट किया कि येसु ने अपने कार्य को आगे बढ़ाने के लिए साधारण लोगों को चुना था।

येसु ने लोगों की क्षमताओं को देखते हुए, सावधानी के साथ या मंदिर में प्रार्थना करने वाले समर्पित लोगों को नहीं चुना लेकिन उन्होंने सबसे पहले उन लोगों को बुलाया जो मछुआरे थे, सामान्य कामकाजी लोग थे। उन्हें अपने मिशन में हिस्सेदार बनाया। उन मछुआरों ने येसु की मात्र आज्ञा का पालन नहीं किया परंतु येसु के प्रेम ने उन्हें अपनी ओर आकर्षित किया।

अच्छे काम पर्याप्त नहीं हैं

संत पापा ने कहा,“येसु का अनुसरण करने के लिए, केवल अच्छे कार्य करना पर्याप्त नहीं हैं, हमें उसकी आवाज को रोज सुनना होगा। हमें उनके वचन की आवश्यकता है: ताकि हम अपने दैनिक जीवन में हजारों आवाजों के बीच उस आवाज को सुन सकें, जो हमें किसी चीज़ के बारे में नहीं, बल्कि जीवन के बारे में बताता है।”

संत पापा ने सभी ख्रीस्तियों से ईश्वर के वचन के लिए अपने जीवन में जगह बनाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, “हर दिन, हम बाइबल की एक या दो पद पढ़ें। आइए, हम सुसमाचार को पढ़ना शुरू करें।'' हम इसे अपनी मेज पर खुला रखें, इसे अपनी जेब में रखें, इसे अपने सेल फोन पर भी डाउलोड कर पढ़ें। जब हम ईश वचन को प्रतिदिन मनन करेंगे तो हम जान पायेंगे कि ईश्वर हमारे बहुत करीब हैं, वे हमारे जीवन के अंधेरे को दूर करते हैं और बड़े प्यार से हमारे जीवन रुपी नौका को गहरे पानी में ले जाते हैं।”

पवित्र मस्सा समारोह के बाद वहाँ उपस्थित सभी विश्वासियों को ईश वचन को अपने जीवन में जगह देने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए बाइबल की एक मुफ्त प्रति दी गई।

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27 January 2020, 16:58