संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में देवदूत प्रार्थना के लिए उपस्थित विश्वासी संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में देवदूत प्रार्थना के लिए उपस्थित विश्वासी 

येसु हमें दीन, सरल और विनीत बनना सिखाते हैं, देवदूत प्रार्थना

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 12 जनवरी को येसु के बपतिस्मा महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बधित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 13 जनवरी 2020 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 12 जनवरी को येसु के बपतिस्मा महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

एक बार फिर मुझे प्रभु के बपतिस्मा महापर्व पर, कुछ बच्चों को बपतिस्मा देने की खुशी प्राप्त हुई। आज वे 32 थे। हम उनके तथा उनके परिवार के लिए प्रार्थना करें।

इस वर्ष का धर्मविधिक पाठ येसु के बपतिस्मा की घटना को संत मती के अनुसार सुसमाचार से प्रस्तुत करता है। (मती. 3,13-17) सुसमाचार लेखक येसु और योहन बपतिस्ता के बीच वार्तालाप का वर्णन करते हैं जिसमें येसु बपतिस्मा देने का आग्रह करते हैं जबकि योहन ने यह कहते हुए उन्हें इंकार करना और रोकना चाहा, ''मुझे तो आप से बपतिस्मा लेने की जरूरत है और आप मेरे पास आते हैं? (पद. 14) येसु का यह निर्णय योहन को आश्चर्यचकित करता है। वास्तव में, मसीह को शुद्धीकरण की आवश्यकता नहीं थी, बल्कि वे शुद्ध करते हैं। संत पापा ने कहा कि ईश्वर परम पवित्र हैं उनके रास्ते हमारे समान नहीं हैं और येसु ईश्वर के रास्ते हैं, एक ऐसा रास्ता जो अप्रत्याशित है। हम याद रखें कि ईश्वर विस्मय के ईश्वर हैं।

ईश्वर और मानव के बीच दूरी को मिटाना

योहन ने घोषित किया था कि येसु और उनके बीच एक बड़ी दूरी है। "मैं तुम लोगों को जल से पश्चात्ताप का बपतिस्मा देता हूँ ; किन्तु जो मेरे बाद आने वाले हैं, वे मुझ से अधिक शक्तिशाली हैं। मैं उनके जूते का फीता खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वे तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देंगे।" (मती. 3,11), किन्तु ईश्वर के पुत्र इसलिए आये ताकि ईश्वर और मनुष्यों के बीच इस दूरी को भर दें। जब येसु पूरी तरह ईश्वर हैं और पूरी तरह मानव तो उनमें हर प्रकार का विभाजन भर चुका है।

यही कारण है कि वे योहन को जवाब देते हैं, ''अभी ऐसा ही होने दीजिए। यह हमारे लिए उचित हैं कि हम इस तरह धर्मग्रंथ पूरी करें।'' (पद. 15) मसीह ने बपतिस्मा देने का आग्रह इसलिए किया ताकि हर प्रकार की न्याय पूरी हो जाए, जो पिता की योजना में, कमजोर एवं पापी मनुष्य के साथ, पुत्र का आज्ञापालन एवं एकात्मता के रास्ते पर चलना है। यह विनम्रता का रास्ता है ईश्वर का अपने बच्चों के साथ पूर्ण सामीप्य का।

ईश्वर का सेवक

नबी इसायस भी ईश्वर के सेवक के न्याय की घोषणा करते हैं जो अपना मिशन दुनिया में दुनिया के मनोभाव से विपरीत पूर्ण करेंगे। "यह न तो चिल्लायेगा और न शोर मचायेगा, बाजारों में कोई भी इसकी आवाज नहीं सुनेगा। यह न तो कुचला हुआ सरकण्डा ही तोड़ेगा और न धुआँती हुई बत्ती ही बुझायेगा। यह ईमानदारी से धार्मिकता का प्रचार करेगा।" (ईसा. 42,2-3) यह विनम्रता और दीनता का मनोभाव है, अपनी विनम्रता का द्वारा येसु यही सिखलाते हैं।

संत पापा ने कहा कि सरलता, सम्मान, संयम और संवृति की मांग आज भी प्रभु के शिष्यों से है। यह कहना खेदजनक है कि प्रभु के कितने शिष्य उनके शिष्य होने के कारण अकड़कर चलते हैं। संत पाप ने कहा कि एक शिष्य का अकड़कर चलना ठीक नहीं है। एक अच्छा शिष्य विनम्र और दीन है वह दिखाये बगैर अच्छे कार्यों को पूरा करता है। मिशनरी कार्यों में ख्रीस्तीय समुदाय दूसरों से मुलाकात करने हेतु बाहर निकलने के लिए बुलाया जाता है। वह साक्ष्य देने के लिए भेजा जाता है किन्तु किसी प्रकार का दबाव डाले बिना, लोगों के वास्तविक जीवन में शामिल होने के लिए।

हम भी पिता ईश्वर के प्रिय बेटे-बेटियाँ

जैसे ही येसु ने यर्दन नदी में बपतिस्मा लिया तब स्वर्ग खुल गया और पवित्र आत्मा कपोत के रूप में उनके ऊपर उतरा तथा एक आवाज सुनाई पड़ी, "यह मेरा प्रिय पुत्र है मैं इसपर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।" (मती. 3:17) येसु के बपतिस्मा पर्व में हम हमारी बपतिस्मा पर गौर करें। जिस तरह येसु पिता के प्रिय पुत्र हैं हमारा जन्म भी जल और पवित्र आत्मा से हुआ है और हम जानते हैं कि हम भी पिता के प्रिय बेटे-बेटियाँ हैं। पिता हम सभी को प्यार करते हैं। ईश्वर का आनन्द है, कई लोगों के भाई-बहन बनना, पिता के असीम प्रेम का साक्ष्य देना एवं घोषणा करने के महान मिशन के लिए समर्पित होना।

बपतिस्मा की तिथि को याद रखना महत्वपूर्ण

येसु का बपतिस्मा हमें अपनी बपतिस्मा की याद दिलाती है। हम भी बपतिस्मा में नया जन्म प्राप्त करते हैं। बपतिस्मा में पवित्र आत्मा हमारे साथ रहने के लिए हमपर उतरता है। यही कारण है कि अपने बपतिस्मा की तिथि को याद रखना महत्वपूर्ण है। संत पापा ने कहा कि हम प्रायः अपने जन्म की तिथि को याद रखते, मगर बपतिस्मा की तिथि को याद नहीं करते हैं। संत पापा ने कहा कि निश्चय ही, कुछ लोग होंगे जो अपने बपतिस्मा की तिथि को नहीं जानते हैं...संत पापा ने बपतिस्मा की तिथि की खोज करने को कहा, "जब आप घर लौटेंगे तो पूछिए कि मेरा बपतिस्मा कब हुआ था? और अपने बपतिस्मा की तिथि को हर साल अपने हृदय में मनायें। आप ऐसा करें क्योंकि यह भी प्रभु के प्रति न्याय करना है जो हमारे लिए बहुत अच्छे हैं।

संत पापा ने प्रार्थना की कि संत मरियम बपतिस्मा के वरदान को अधिक से अधिक समझने और दैनिक जीवन की परिस्थितियों में उनके अनुकूल जीने में मदद दे।   

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

संत पापा का अभिवादन

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया, खासकर, उन्होंने परिवारों, पल्ली दलों, संगठनों और विश्वासियों का अभिवादन किया।

उन्होंने कोलोम्बिया, ब्राजील, पाराग्वे और कोरिया के फोकोलारे मूवमेंट के युवाओं का अभिवादन किया जो प्रभु सेवक कियारा लुबिक के जन्म के 100 साल बाद, एक प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए रोम आये हैं।  

तब संत पापा ने ओरांटो के विश्वासियों एवं मंदुरिया के अल्मा गौदिया दायक दल का अभिवादन किया।

अंत में, संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

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13 January 2020, 13:53